/financial-express-hindi/media/post_banners/9uQRntKCsuM0IHaPiiP1.jpg)
आज के समय में अगर आप निवेश के ज़रिए अच्छा रिटर्न चाहते हैं तो एक बेहतर पोर्टफोलियो का होना काफी अहम है.
Stock Market: आमतौर पर इस बारे में चर्चा होती रहती है कि निवेशकों को पोर्टफोलियो से जुड़े फैसले लेते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए. लेकिन निवेशकों के लिए यह समझना भी उतना ही जरूरी है कि उन्हें क्या नहीं करना चाहिए. यह समझना एक निवेशक के तौर पर आपके इन्वेस्टमेंट जर्नी के लिए बेहद अहम है. आज के समय में अगर आप निवेश के ज़रिए अच्छा रिटर्न चाहते हैं तो एक बेहतर पोर्टफोलियो का होना काफी अहम है. कई निवेशक शेयर या म्यूचुअल फंड्स में ही अपना सारा पैसा लगा देते हैं. डाइवर्सिफिकेशन का फायदा यह है कि यह मोटे तौर पर आपके इनवेस्टमेंट में रिस्क को कम करता है. इसके अलावा, यह लंबी अवधि में आपके रिटर्न को भी बढ़ाता है.
हर एसेट क्लास की खासियत अलग-अलग होती है. इसलिए इनमें रिटर्न का पैटर्न भी अलग होता है. एक निवेशक को अपने पोर्टफोलियो में इक्विटी, फिक्स्ड इनकम, रियल एस्टेट, गोल्ड और दूसरी कमोडिटीज का सही संतुलन बनाना चाहिए.
भविष्य को लेकर अनुमान लगाने से बचें
निवेशक अक्सर बाजार के उतार-चढ़ाव को लेकर अनुमान लगाते रहते हैं. निवेशकों को ऐसा करने से बचना चाहिए. अभी भी लॉन्ग टर्म में बाजार ऊपर की ओर जाएंगे क्योंकि बिजनेस समय के साथ बेहतर प्रदर्शन करते हैं. अक्सर निवेशक बाजार की गिरावट को देखकर घबरा जाते हैं और अपने शेयर बेचने लगते है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि करेक्शन के समय हमें घबराने के बजाए इसे इन्वेस्टमेंट के मौके के तौर पर देखना चाहिए.
सोशल मीडिया पर सलाह लेने से बचें
सोशल मीडिया या ट्विटर या किसी प्लेटफॉर्म पर तैरने वाली किसी भी राय या सलाह को न मानें. इस तरह की सलाह को मानकर आप किसी मुश्किल में फंस सकते हैं. इसलिए हमेशा यह सलाह दी जाती है कि निवेश से जुड़े किसी भी तरह के फैसले लेने से पहले अपने निवेश सलाहकार से चर्चा कर लें.
अटकलें न लगाएं और निवेश करें
अपने पोर्टफोलियो से जुड़े फैसले लेते समय अटकलें लगाने से बचें और निवेश करें. आप किसी स्टॉक को जितना समय देंगे उसके अच्छे प्रदर्शन की संभावना भी उतनी ही बढ़ जाती है. इसलिए निवेश के दौरान धैर्य बनाए रखना भी बेहद जरूरी है.
FPI ने मई में भारतीय शेयर बाजारों से निकाले 40,000 करोड़, आगे कैसा रहेगा निवेशकों का रुझान?
पोर्टफोलियो की समीक्षा है जरूरी
फाइनेंशियल प्लानर्स और फंड मैनेजरों का मानना है कि आपको अपने पोर्टफोलियो की नियमित तौर पर समीक्षा करते रहना चाहिए. यह इसलिए जरूरी है कि हो सकता है कि पहले आपने जिस एसेट क्लास में बेहतर रिटर्न की उम्मीद की थी, समय के साथ रिटर्न के मामले में उसकी अहमियत कम हो जाए. अगर ऐसे एसेट क्लास को लेकर तुरंत रणनीति में बदलाव न किया जाए तो आपको बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है. जैसे-जैसे बाजार बदलता है, आपको अपने पोर्टफोलियो में भी बदलाव करना चाहिए. निवेशकों को यह समझने की जरूरत है कि पोर्टफोलियो को संतुलित करना एक बार का काम नहीं है. यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमने जिन एसेट्स में निवेश किया है, वह आगे भी बेहतर रिटर्न देंगे, नियमित तौर पर समीक्षा जरूरी है.
अपने गोल्स और रिस्क लेने की क्षमता को समझें
निवेश को लेकर आपके गोल्स और रिस्क लेने की क्षमता काफी हद तक इस बात पर निर्भर है कि आपकी उम्र, इनकम, टेन्योर और निवेश का कारण क्या है. ऐसे निवेशक जो अभी युवा हैं और जिनका परिवार उन पर निर्भर नहीं है वे अपने निवेश का एक बड़ा हिस्सा इक्विटी में निवेश कर सकते हैं. जीवन में समय के साथ हमारी जरूरतें और गोल्स भी बदलते रहते हैं. ऐसे में आप बाद में हायब्रिड फंड में स्विच कर सकते हैं. इसके ज़रिए न केवल आपका रिटर्न सुनिश्चित होता है बल्कि जोखिम को भी सावधानी से कम किया जाता है. जिन निवेशकों को न्यूनतम जोखिम के साथ आय का एक स्थिर स्रोत चाहिए, वे शॉर्ट टर्म फंड और लिक्विड फंड में निवेश कर सकते हैं.