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Mutual Funds: बाजार में उतार-चढ़ाव पर घबराएं नहीं, SIP बनाए रखिए होगा फायदा

AMFI की ओर से 2017 में लॉन्च 'म्यूचुअल फंड्स सही है' कैंपेन की वजह से SIP काफी लोगों तक पहुंचा है.

AMFI की ओर से 2017 में लॉन्च 'म्यूचुअल फंड्स सही है' कैंपेन की वजह से SIP काफी लोगों तक पहुंचा है.

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FE Online
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Mutual Funds: बाजार में उतार-चढ़ाव पर घबराएं नहीं, SIP बनाए रखिए होगा फायदा

AMFI ने सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के डेटा को जारी किया है.

systematic investment plan do not stop or switch SIP due to volatility in market AMFI ने सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के डेटा को जारी किया है.

साल 2019 में भारतीय शेयर बाजारों में अस्थिरता के बावजूद म्यूचुअल फंड में SIP कंट्रीब्यूशन (इनफ्लो) हर महीने करीब 8,000 करोड़ रुपये के साथ रहा. जनवरी से नवंबर 2019 तक SIP निवेश कुल 90,094 करोड़ रुपये रहा. SIP AUM रिकॉर्ड 3.12 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. हाल ही में एसोशिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) की ओर से जारी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के आंकड़ों में यह जानकारी सामने आई. AMFI के आंकड़ों से साफ है कि वित्तीय सलाहकारों के लिए एक मजबूत SIP बुक तैयार करने का बेहतर अवसर उपलब्ध है.

फिलहाल, इंडस्ट्री के करीब 2.94 करोड़ SIP अकाउंट्स या फोलियो हैं जिसके जरिए निवेशक नियमित तौर पर कई म्यूचुअल फंड स्कीम्स में अपनी बचत को लगाते हैं, जिनमें मुख्य इक्विटी होता हैं. AMFI द्वारा 2017 में लॉन्च 'म्यूचुअल फंड्स सही है' कैंपेन की वजह से SIP काफी लोगों तक पहुंचा है.

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हालांकि, डेटा से यह भी पता चलता है कि कई निवेशकों ने SIP को जारी नहीं रखते हैं. इसके साथ ही अधिकतर निवेशकों का होल्डिंग पीरियड 2 साल से ज्यादा का नहीं होता. केवल 35% इक्विटी एसेट 24 महीनों से ज्यादा अवधि के लिए जारी रखे गए हैं. इसलिए, वित्तीय सलाहाकारों का रोल महत्त्वपूर्ण हो जाता है. वर्तमान में कुछ रोबो-इनवेस्टिंग प्लेटफॉर्म्स पैदा हो रहे हैं, लेकिन युवा (25 साल से 35 साल की उम्र) बैंक या डिस्ट्रिब्यूटर्स से सलाह लेने को प्राथमिकता देते हैं और पेपर फॉर्म में निवेश करते हैं. AMFI के डेटा से पता चलता है कि रिटेल और हाई नेट वर्थ वाले व्यक्ति म्यूचुअल फंड डिस्ट्रिब्यूटर्स की सेवाओं को चुनते हैं.

स्विच करने पर लगती है कॉस्ट

निवेशकों के बीच आमतौर पर यह माना जाता है कि उम्मीद से कम प्रदर्शन कर रही स्कीम्स से निकलकर तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रही स्कीम्स में जाना और बाजार की हलचल के आधारित अपने निवेश के फैसले लेना रिटर्न को बढ़ाता है. लेकिन इससे स्विचिंग कॉस्ट लगती है जिससे रिटर्न पर असर पड़ता है. बाजार में हलचल से शॉर्ट टर्म में स्कीम के प्रदर्शन पर असर होने की संभावना रहती है, इसलिए निवेशक को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बाजार में अस्थिरता आम है. निवेशक को ऐसी स्थिति में घबराना नहीं चाहिए.

अस्थिरता के समय भी SIP के साथ रहने के महत्त्व को निवशकों को अच्छी तरह से समझाने की जरूरत है.

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SIP को न रोकें

बाजार की हलचल से प्रभावित होकर या कुछ अच्छी स्कीम्स के शॉर्ट टर्म में उम्मीद से कम प्रदर्शन करने पर SIP को रोकने से निवेशक अपने लॉन्ग टर्म में वित्तीय लक्ष्य जैसे घर खरीदना, बच्चों की शिक्षा, रिटायरमेंट आदि को खतरे में डाल देता है.

इसलिए हमेशा स्कीम का मूल्यांकन करें, उसके लॉन्ग टर्म में ट्रैक रिकॉर्ड को देखें. ऐसे समय, जब बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट और स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स पर ब्याज दरें कम हो रही हैं, म्यूचुअल फंड्स , खासकर इक्विटी केंद्रित, लंबी अवधि में दौलत बनाने के लिए एक आकर्षक निवेश है. अगर निवेशक में जोखिम लेने की क्षमता ज्यादा है , इसके साथ वह कम से कम 5 सालों में अपना लक्ष्य पाना चाहता है और ज्यादा रिटर्न चाहता है, तो उसे डाइवर्सिफाइड में SIP करनी चाहिए.

जब निवेशक लंबे समय यानी 15 से 20 साल से ज्यादा में अपने लक्ष्य को हासिल करना चाहता है, तो उसे SIP को बढ़ाना चाहिए. इससे निवेशकों को मुद्रास्फीति से मुकाबला करने में आसानी होगी और वह अपने वित्तीय लक्ष्यों को आराम से हासिल कर पाएंगे.

By: जिम्मी पटेल, MD & CEO, Quantum AMC

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