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Tax Calculator: कैलकुलेटर केंद्रीय बजट 2023-24 में नई टैक्स रिजीम में प्रस्तावित बदलावों के आधार पर टैक्सपेयर्स को उनकी कर देनदारी तय करने में मदद करेगा.
IT department released tax calculator: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने केंद्रीय बजट 2023 (Union Budget 2023) में नई टैक्स रिजीम (New Tax Regime) को आकर्षक बनाने के लिए कई घोषणाएं की हैं. नई टैक्स रिजीम को लुभावना बनाने के लिए वित्त मंत्री ने टैक्स रिबेट्स (tax rebates) में भी बदलाव बदलाव किए हैं. हालांकि अगर आप अभी भी निर्णय नहीं कर पा रहे हैं कि ओल्ड टैक्स रिजीम (Old Tax Regime) और नई टैक्स रिजीम में से किसको चुनें, तो यह खबर आपके लिए है. टैक्सपेयर्स को नई और पुरानी टैक्स रिजीम के बीच निर्णय लेने में मदद करने के लिए आयकर विभाग (Income Tax Department) ने एक टैक्स कैलकुलेटर (Tax Calculator) लॉन्च किया है.
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आईटी विभाग का क्या है कहना?
इनकम टैक्स विभाग द्वारा कैलकुलेटर जारी करने से लाखों टैक्सपेयर्स को अपना टैक्स कैलकुलेट करने में आसानी होगी. इसके आलावा वह यह भी तय कर सकते हैं कि कौन सी रिजीम आपके लिए बेहतर है. सोमवार को आयकर विभाग ने अपने ट्वीट में कहा है कि individual/ HUF/ AOP/ BOI/ Artificial Juridical Person (AJP) के लिए धारा 115बीएसी के अनुसार ओल्ड टैक्स रिजीम की नई टैक्स रिजीम के साथ तुलना करने के लिए एक समर्पित कर कैलकुलेटर अब उपलब्ध है. आयकर विभाग की वेबसाइट पर जाकर इसे देखा जा सकता है.
काफी पहले जारी किया गया कैलकुलेटर
कैलकुलेटर केंद्रीय बजट 2023-24 में नई टैक्स रिजीम में प्रस्तावित बदलावों के आधार पर टैक्सपेयर्स को उनकी कर देनदारी तय करने में मदद करेगा. यह 1 अप्रैल से शुरू होने वाले नए वित्तीय वर्ष से काफी पहले जारी किया गया है. इससे टैक्सपेयर्स को अपनी टैक्स कैलकुलेट करने के लिए काफी समय मिलता है जिससे वो आसानी से अपने लिए बेहतर विकल्प को चुन सकते हैं.
नई टैक्स रिजीम के फायदे
नई रियायती आयकर व्यवस्था (concessional income tax regime) को लोकप्रिय बनाने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2023-24 में टैक्सपेयर्स के लिए इसे और अधिक आकर्षक बनाने के लिए कई बदलावों की घोषणा की थी. इनमें नई टैक्स व्यवस्था में स्लैब की संख्या घटाकर पांच करना, टैक्स छूट की सीमा बढ़ाकर 3 लाख रुपये करना और इनकम टैक्स छूट की सीमा बढ़ाकर 7 लाख रुपये करना शामिल है. स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ नई टैक्स रिजीम में भी बढ़ा दिया गया है. पुरानी आयकर व्यवस्था वैसे ही बनी हुई है और टैक्सपेयर्स के पास यह विकल्प है कि अगर वे इसे अधिक आकर्षक पाते हैं तो वह इस विकल्प को चुन सकते हैं.