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Tax Talk: प्रॉपर्टी से होने वाली आय पर कैसे लगता है टैक्स, जानिए क्या हैं इससे जुड़े नियम

Tax Calculation on Property: अचल संपत्ति को लंबे समय से निवेश के सुरक्षित माध्यम के रूप में माना जाता रहा है. हालांकि इस पर टैक्स का कैलकुलेशन भी करना जरूरी है.

Tax Calculation on Property: अचल संपत्ति को लंबे समय से निवेश के सुरक्षित माध्यम के रूप में माना जाता रहा है. हालांकि इस पर टैक्स का कैलकुलेशन भी करना जरूरी है.

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Tax Talk How to calculate tax on your property know here in details

Tax Calculation on Property: अचल संपत्ति को लंबे समय से निवेश के सुरक्षित माध्यम के रूप में माना जाता रहा है. लंबे समय के लिए अपनी पूंजी का निवेश करना हो तो लोगों के बीच प्रॉपर्टी में निवेश पसंदीदा विकल्प के तौर पर सामने आता है. संपत्ति की खरीदारी रहने के लिए या किराया हासिल करने लिए या भविष्य में उसकी बिक्री के उद्देश्य से की जाती है. जब प्रॉपर्टी की वैल्यू बढ़ जाती है और इसे भुनाने के लिए संपत्ति की बिक्री की जाती है तो कैपिटल गेन पर बिक्री के समय टैक्स कैलकुलेट किया जाता है. इसके अलावा किराए से होने वाली आय और घर खरीदने को किसी वित्तीय संस्थान से लिए गए होन लोन पर भी टैक्स से जुड़े प्रावधानों का पालन करना होता है.

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किराए से होने वाली आय पर टैक्स

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  • रेंटल इनकम पर 'हाउस प्रॉपर्टी' हेड के तहत टैक्स देनदारी बनती है लेकिन संपत्ति की सब-लेटिंग से होने वाली आय पर 'अन्य स्रोत' हेड के तहत टैक्स देनदारी बनती है. सब-लेटिंग का मतलब अपने घर के पूरे या कुछ हिस्से को किसी अन्य शख्स को देना और फिर वह उसका इस्तेमाल करे.
  • संयुक्त तौर पर कोई प्रॉपर्टी है तो संपत्ति में जितनी हिस्सेदारी है, उसके आधार पर कमाई को बांटकर टैक्क गणना की जाएगी.
  • खुद व अपने परिवार के रहने के लिए आवासीय संपत्ति पर कोई टैक्स देनदारी नहीं बनती है. यह छूट अधिकतम दो संपत्ति के लिए है. हालांकि कॉमर्शियल प्रॉपर्टी से मिलने वाले किराए पर टैक्स चुकाना होगा.

मकान मालिक को भी मिलती है किराये पर टैक्स में छूट, इस तरह उठा सकते हैं फायदा

  • दो आवासीय संपत्ति पर रेंटल इनकम को टैक्स के दायरे से बाहर रखा गया है लेकिन इससे अधिक जितने भी घर हैं, उन्हें किसी को किराए पर नहीं भी दिया है तो नोशनल रेंट के मुताबिक इंडिविजुअलल को टैक्स चुकाना होगा.

    रेंट से होने वाली आय पर टैक्स कैलकुलेश करते समय इनकम टैक्स एक्ट 1961 के तहत कुछ डिडक्शंस भी मिलते हैं. वर्ष के दौरान संपत्ति मालिक द्वारा चुकाए गए म्यूनिसिपल टैक्स के अलावा इस टैक्स के बाद बची किराए की राशि के 30 फीसदी पर स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा मिलता है और शेष 70 फीसदी पर टैक्स कैलकुलेशन किया जाता है.

  • स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा प्रापर्टी के मैंटेनेंस व रिपेयर खर्चों के लिए दिया जाता है. हालांकि यह ध्यान रहे कि इसका फायदा लेने के बाद सोसायटी फ्लैट्स में मेंटेनेंस चार्ज व इंश्योरेंस इत्यादि अन्य खर्च पर कोई डिडक्शन नहीं मिलता है.

होम लोन पर चुकाया गया ब्याज

  • इनकम टैक्स एक्ट के तहत घर की खरीदारी, निर्माण, रिपेयर, रिन्यूअल या रीकंस्ट्रक्शन के लिए गए होम लोन पर चुकाए गए गए ब्याज पर भी टैक्स राहत मिलता है.
  • सेल्फ-अकुपाइड संपत्ति के मामले में अधिकतम 2 लाख रुपये तक के ब्याज के डिडक्शन का दावा कर सकते हैं. हालांकि रेंटेड प्रॉपर्टी के मामले में ऐसी कोई सीमा तय नहीं की गई है.
  • रेंटल इनकम से ऊपर होम लोन का जितना अधिक ब्याज चुकाना है, उस लॉस पर टैक्स बेनेफिट लिया जा सकता है. रिलिवेंट वर्ष के दौरान किसी भी अन्य इनकम हेड के तहत अधिकतम 2 लाख रुपये तक का लॉस सेट ऑफ किया जा सकता है.
  • कंस्ट्रक्शन के वास्ते लिए गए लोन पर ब्याज को दो चरणों में बांटा गया है- प्री-कंस्ट्रक्शन व पोस्ट-कंस्ट्रक्शन. प्री-कंस्ट्रक्शन ब्याज पर जिस वर्ष प्रॉपर्टी बनाई गई है या ली गई है, उससे पांच साल के भीतर बराबर किश्तों में बांटा जाता है. इसके विपरीत पोस्ट-कंस्ट्रक्शन ब्याज को हर साल मंजूरी दी गई है.
  • टैक्सपेयर्स सेंक्शन 80सी के तहत होम लोन के तहत कर्ज ली गई राशि के लिए अपनी कुल आय से डिडक्शन का दावा कर सकते हैं. सेक्शन 80सी के तहत अधिकतम सीमा 1.5 लाख रुपये है.
  • टैक्सपेयर्स सेक्शन 80ईई और सेक्शन 80ईईए के तहत भी लोन के ब्याज पर अतिरिक्त टैक्स बेनेफिट्स हासिल कर सकते हैं.

    (Article: Shailesh Kumar, Partner, Nangia & Co LLP)