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1 रु की ज्यादा इनकम बढ़ा देगी 13000 रु की टैक्स देनदारी, समझें बेहद आसान कैलकुलेशन

टैक्सपेयर्स को टैक्स प्लानिंग में कुछ छोटी-छोटी चीजों का ध्यान रखना चाहिए.

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Ashutosh Ojha
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Income Tax Calculation: आज के दौर में यदि आप किसी से 1 रुपये की वैल्यू पूछेंगे तो शायद वह यही कहेगा, 'अब एक चाय भी एक रुपये में नहीं आती.' लेकिन, यदि आप नौकरीपेशा हैं तो आपको ऐसा जवाब देना भारी पड़ सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि, शायद आप यह नहीं जानते कि एक तय लिमिट से 1 रुपये की ज्यादा इनकम आपको सालाना कुल 13,000 रुपये की टैक्स देनदारी में डाल सकती है. चालू वित्त वर्ष 2019-20 में यदि किसी व्यक्ति की सभी कटौती और पात्र टैक्स छूट के बाद सालाना टैक्सेबल इनकम 5,0,000 रुपये है, तो उसकी टैक्स देनदारी 12,500 रुपये होगी. लेकिन, आयकर कानून के सेक्शन 87A के तहत सरकार उसे इतना ही टैक्स रिबेट दे देती है. इस तरह 5 लाख रुपये तक की कर योग्य उसकी आय करमुक्त यानी टैक्स फ्री हो जाती है.

अब 1 रुपये की कीमत समझिये

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अब बात करते हैं 1 रुपये की अतिरिक्त कमाई की. यदि किसी व्यक्ति की टैक्सेबल इनकम 5 लाख से एक रुपये भी ज्यादा है तो उसे सेक्शन 87A के तहत टैक्स रिबेट नहीं मिलेगा और उसे 12,500 रुपये का टैक्स चुकाना होगा. इस पर हेल्थ और एजुकेशन सेस मिला दें तो कुल टैक्स देनदारी 13,000 रुपये हो जाएगी. यानी, अब समझ गए होंगे कि एक रुपये की कीमत कितनी है. एक रुपये की अतिरिक्त आमदनी पर आपको 13,000 रुपये का टैक्स सरकार को चुकाना ही पड़ेगा.

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कैसे करें टैक्स प्लानिंग?

यदि टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपये से 500 या 1000 रुपये ज्यादा हो जाती है तो इस स्थिति में टैक्सपेयर्स किस तरह टैक्स प्लानिंग करनी चाहिए. इस बारे में CA सनी कुमार सिंह का कहना है कि आयकर कानून के तहत टैक्सपेयर्स को कर कटौती के कई विकल्प दिए गए हैं. 80C के अंतर्गत 1.5 लाख रुपये की लिमिट यदि करदाता ने पूर कर ली है तो वह सेक्शन 80D के तहत 25 हजार रुपये तक की छूट ले सकता है.

सनी कुमार सिंह का कहना है आमतौर पर य​ह देखने में आता है कि टैक्सपेयर 80C और 80D की टैक्स छूट ले लेते हैं. इसके बावजूद यदि टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपये से ज्यादा होती है तो टैक्सपेयर के पास सेक्शन 80G के तहत टैक्स छूट लेने का विकल्प है. टैक्सपेयर 80G में रजिस्टर्ड संस्थाओं को दान देकर आयकर कानून की धारा 80G के तहत कर में कटौती का लाभ हासिल कर सकता है. आमतौर पर व्यक्ति आयकर दाता 80जी के तहत छूट नहीं लेते हैं. टैक्स प्लानिंग में इस विकल्प का इस्तेमाल किया जा सकता है.

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वित्त वर्ष 2020 में क्या है टैक्स स्लैब?

आयकर कानून के तहत वित्त वर्ष 2019-20 में 4 टैक्स स्लैब हैं. इनमें 2.50 लाख रुपये की टैक्सेबल इनकम कर मुक्त है. यानी, इस पर जीरो टैक्स है. 2.5 लाख से 5 लाख रुपये तक की टैकक्सेबल इनकम पर 5 फीसदी की दर से टैक्स देना होता है. वहीं, 5 से 10 लाख की आय पर 20 फीसदी और 10 लाख से ज्यादा पर 30​ फीसदी की दर से टैक्स देना होता है.

टैक्स रेटसामान्य नागरिकवरिष्ठ नागरिक (60-80 साल)
अति वरिष्ठ नागरिक 
(80 साल से अधिक)
0%2.5लाख रु तक3 लाख रु तक5 लाख रु तक
5%2,50,001 से 5,00,000 रु तक3,00,001 से 5,00,000 रु तकशून्य
20%5,00,001 से 10 लाख रु तक5,00,001 से 10 लाख रु तक
5,00,001 से 10 लाख रु तक
30%10 लाख से अधिक10 लाख से अधिक10 लाख से अधिक

(नोट: कुल टैक्स देनदारी पर 4 फीसदी सेस/सरचार्ज)

बजट में नए टैक्स स्लैब का भी विकल्प

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2020 में नए टैक्स स्लैब का एलान किया है. हालांकि, सरकार ने इसे वैकल्पिक रखा है. यानी, टैक्सपेयर नए टैक्स सिस्टम का विकल्प चुन सकते हैं लेकिन इसमें शर्त यह है उन्हें चैप्टर 6ए के तहत मिलने वाली सभी छूट छोड़नी पड़ेगी.

बजट 2020 में प्रस्तावित वैकल्पिक टैक्स स्लैब

सालाना आयटैक्स रेट
0 से 2.5 लाख रु तक0%
2.5 लाख से 5 लाख रु तक5%
5 लाख से 7.50 लाख रु तक10%
7.50 लाख से 10 लाख रु तक15%
10 लाख से 12.50 लाख रु तक20%
12.50 लाख से 15 लाख रु तक25%
15 लाख रु से ज्यादा30%
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