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अंधेरे पर रोशनी की जीत के रूप में नवरात्रि के आखिरी दिन दशहरे का उत्सव धूम-धाम से मनाया जाता है.
Financial Tips from Dussehra: अंधेरे पर रोशनी की जीत के रूप में नवरात्रि के आखिरी दिन दशहरे का उत्सव धूम-धाम से मनाया जाता है. नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना के बाद दसवें दिन रावण दहन किया जाता है. दशहरा को रक्षराज रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों को जलाने की परंपरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. हालांकि इस पर्व का संदेश सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है बल्कि इससे हम सभी वित्तीय सीख भी ले सकते हैं. दशानन रावण के दहन के साथ ही हम सभी को दस बुरी वित्तीय आदतों को भी जलाना चाहिए ताकि बुरे फैसलों और नुकसान से बचा जा सके.
निवेश पोर्टफोलियो की नकल करना
बुरी मनी हैबिट्स में सबसे पहले यह आता है कि जब हम अपने लिए बेहतर रणनीति बनाने की बजाय किसी अन्य शख्स के फैसलों के हिसाब से निवेश करने लगते हैं. इसके विपरीत हमें अपना पोर्टफोलियो बनाते समय खुद की रिस्क लेने की क्षमता, जिंदगी के लक्ष्य और जरूरतों को ध्यान में रखना चाहिए.
बिना किसी लक्ष्य के निवेश
अपनी गाढ़ी कमाई को बिना किसी लक्ष्य के निवेश नहीं करना चाहिए. यह बहुत जरूरी है. लक्ष्य तय होने पर न सिर्फ प्रेरणा मिलती है बल्कि इससे भविष्य के लिए योजना बनाने में मदद मिलती है. यह लक्ष्य बच्चों की पढ़ाई या इमरजेंसी फंड तैयार करना हो सकता है. निवेश शुरू करने से पहले अपने लक्ष्य तय कर लें और फिर उसके हिसाब से निवेश शुरू करें. लक्ष्य स्पष्ट रहने पर जरूरत के मुताबिक निवेश विकल्पों में बदलाव भी किए जा सकते हैं ताकि उन्हें हासिल किया जा सके.
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बिना सोचे-समझे खर्च करना
हम सभी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए कमाई करते हैं. हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि अपनी मेहनत की कमाई को बिना सोचे--समझे खर्च किया जाए. अपने वेतन के 30 फीसदी से अधिक खर्च नहीं करना चाहिए और इसी 30 फीसदी से ही मकान के किराए या खाने-पीने का खर्च किया जाना चाहिए. हालांकि सालगिरह, जन्मदिन, त्योहारों इत्यादि पर अधिक खर्च कर सकते हैं लेकिन इसकी भरपाई अगले महीनों में की जानी चाहिए.
एसेट एलोकेशन को नजरअंदाज करना
अपनी पूंजी को एक से अधिक विकल्पों में निवेश करना चाहिए. अगर पूरी पूंजी किसी एक विकल्प में निवेश करते हैं तो इसके डूबने या निगेटिव रिटर्न की आशंका बनी रहती है. हालांकि निवेश के लिए विकल्पों का चयन भी सावधानी से करें और उन पर लगातार नजर बनाए रखना भी जरूरी है.
शॉर्ट टर्म के लिए लांग टर्म निवेश में कमी
विदेशी यात्रा में भारी राशि की जरूरत होती है. इस प्रकार के शॉर्ट टर्म खर्चों हालांकि बदल भी सकते हैं लेकिन इसके लिए लांग टर्म के लक्ष्यों में कोई बदलाव नहीं करना चाहिए यानी शॉर्ट टर्म खर्चों के लिए इसमें निवेश घटाना नहीं चाहिए क्योंकि इससे भविष्य में वित्तीय स्थिरता पर असर पड़ सकता है. जैसे कि अगर आप अगले कुछ वर्षों में मकान खरीदने के लिए निवेश कर रहे हैं तो इसके लिए तय निवेश जारी रख सकें.
परिवार के सदस्यों के साथ फाइनेंस की चर्चा न करना
जिंदगी अनिश्चित है और कभी भी ऐसी स्थिति ऐसी आ सकती है कि आप अपने निवेश तक एक्सेस न कर सकें. ऐसी स्थिति में आपात स्थिति में बहुत दिक्कतें हो सकती हैं. ऐसे में यह जरूरी है कि अपने परिवार में किसी सदस्य को इसके बारे में जरूर जानकारी दें. उन्हें बताएं कि इसे एक्सेस कैसे करें, कहां देखना है, किसे कॉल करना है, नॉमिनी कौन है, कौन से शेयर आपने खरीदे हैं, किस म्यूचुअल फंड में आपने निवेश किया है और कितने रिटर्न की उम्मीद है? इन सबकी जानकारी परिवार को होनी चाहिए.
ऑप्टिमल इंश्योरेंस कवर न रखना
एकाएक किसी प्रतिकूल स्थिति के लिए इंश्योरेंस जरूर होना चाहिए. इससे आर्थिक नुकसान की भरपाई होगी. कोई इंश्योरेंस पॉलिसी न होने की स्थिति में परिवार को काफी आर्थिक दिक्कतें झेलनी पड़ सकती हैं और इंश्योंरेस भी ऑप्टिमल होना चाहिए यानी कि यह बहुत कम कवरेज का न हो.
इमरजेंसी फंड न तैयार करना
कुछ पैसों को इमरजेंसी के लिए भी तैयार रखना जरूरी होता है. इमरजेंसी फंड के लिए ऐसे जगह निवेश करना चाहिए, जहां यह सुरक्षित होकर बढ़े और आपात जरूरतों के वक्त निकाल सकें. रिटायरमेंट फंड जैसे लांग टर्म निवेश से लंबे समय की जरूरतें पूरी होती हैं लेकिन इसमें लिक्विडिटी नहीं है. इमरजेंसी फंड के लिए लिक्विड विकल्प में पूंजी का निवेश करना चाहिए जिसका सिर्फ आपात स्थिति में उपयोग किया जाए.
निवेश को लेकर धैर्य न रखना और संदेह करना
बाजार में लगातार उतार-चढ़ाव बना हुआ है और शेयरों व फंडों में भी चढ़ान-उतरान देखने को मिल रहा है. हालांकि निवेशकों को धैर्य बनाए रखना चाहिए और घबराहट में पूंजी निकालनी नहीं चाहिए. आपने जिन विकल्पों में निवेश किया है, उसके प्रदर्शन पर नजर बनाए रखना जरूरी है.
जरूरी सलाह को अनसुना करना
अगर आपने निवेश की शुरूआत की है तो ऐसे समय में किसी भरोसेमंद एक्सपर्ट की सलाह ले सकते हैं. उनकी सलाह को नजरअंदाज न करें. निवेशक को लेकर कोई भी उलझन है तो किसी मार्केट या फाइनेंशियल एक्सपर्ट से जरूर संपर्क कर इसे स्पष्ट कर लें. निवेश का कोई भी फैसला व्यक्तिगत रूप से लें लेकिन मार्केट ट्रेंड्स को लेकर एक्सपर्ट से सलाह लेना बेहतर है.
(आर्टिकल: विकास सिंघानिया, सीईओ, ट्रेडस्मार्ट)