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CPSE और स्टेट PSU व उनमें काम करने वाले कर्मचारी इस घटे PF कॉन्ट्रीब्यूशन के दायरे में नहीं आएंगे.
CPSE और स्टेट PSU व उनमें काम करने वाले कर्मचारी इस घटे PF कॉन्ट्रीब्यूशन के दायरे में नहीं आएंगे.कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के दायरे में आने वाली ऐसी कंपनियां और उनके कर्मचारी, जिन्हें पीएम गरीब कल्याण पैकेज के ​तहत सरकार की ओर से योगदान का लाभ नहीं मिल रहा है, उनके मामले में तीन माह मई, जून, जुलाई तक एंप्लॉयर व इंप्लॉई का EPF योगदान 10-10 फीसदी किया गया है. हालांकि सरकारी संस्थान यानी CPSE और स्टेट PSU व उनमें काम करने वाले कर्मचारी इस घटे PF कॉन्ट्रीब्यूशन के दायरे में नहीं आएंगे. आम तौर पर EPF में एंप्लॉयर व इंप्लॉई दोनों की ओर से योगदान कर्मचारी की बेसिक सैलरी+DA का 12-12 फीसदी है, यानी कुल 24 फीसदी.
यहां गौर करने वाली बात यह है कि कर्मचारी की ओर से पूरा 12 फीसदी योगदान EPF में जाता है लेकिन नियोक्ता के 12 फीसदी योगदान में से 8.33 फीसदी इंप्लॉई पेंशन स्कीम यानी EPS में जाता है. चूंकि 3 माह के लिए EPF योगदान घट गया है तो इस बात को लेकर अस्पष्टता थी कि इंप्लॉई की पेंशन इससे प्रभावित होगी या नहीं. अब ईपीएफओ ने इस अस्पष्टता को दूर कर दिया है.
नहीं पड़ेगा पेंशन पर कोई असर
EPFO ने हाल ही में घटे EPF कॉन्ट्रीब्यूशन को लेकर एक FAQ जारी किया है. इसमें इंप्लॉई पेंशन स्कीम को लेकर भी जवाब शामिल है. EPFO ने स्पष्ट किया है कि तीन माह के लिए EPF में घटे योगदान से कर्मचारी की पेंशन प्रभावित नहीं होगी. 12 से घटकर 10 फीसदी हुए योगदान से EPS में योगदान नहीं घटेगा और न ही इसके फायदे प्रभावित होंगे. EPFO के इस जवाब से यह जाहिर है कि अगले 3 माह तक नियोक्ता की ओर से 10 फीसदी के EPF कॉन्ट्रीब्यूशन में से भी 8.33 फीसदी योगदान EPS में जाएगा. बाकी बचा 1.67 फीसदी कर्मचारी के EPF में जाएगा.
1250 रु/माह से ज्यादा नहीं हो सकता EPS में योगदान
EPS के तहत मैक्सिमम पेंशन योग्य सैलरी लिमिट 15000 रुपये प्रतिमाह तक तय है. यानी इतने ही बेसिक+ DA अमाउंट पर पेंशन कटेगी, फिर चाहे कर्मचारी की सैलरी कितनी ही ज्यादा क्यों न हो जाए. EPS में अधिकतम मासिक योगदान 1250 रुपये तय किया गया है. 58 साल की उम्र के बाद कर्मचारी EPS के पैसे से मंथली पेंशन का लाभ पा सकता है.
EPF में कमी ऐसे समझें
जिन लोगों की मंथली सैलरी 15000 रुपये से ज्यादा है वे ही घटे हुए PF कॉन्ट्रीब्यूशन के दायरे में हैं. इंप्लॉई व एंप्लॉयर दोनों की ओर से मई, जून, जुलाई के लिए 2-2 फीसदी कम हो चुके योगदान से कर्मचारी के PF पर क्या असर होगा, इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है. अगर किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी+DA 30,000 रुपये है तो 12 फीसदी के हिसाब से उसकी ओर से EPF में हर माह 3600 रुपये जाते हैं. यह अमाउंट अब अगले तीन माह तक 10 फीसदी के आधार पर 3000 रुपये प्रतिमाह रहेगा.
अब एंप्लॉयर के योगदान की बात करें तो 10 फीसदी में से केवल 1.67 फीसदी कर्मचारी के PF में जाएगा. बाकी 8.33 फीसदी EPS में. इस तरह एंप्लॉयर की ओर से बने 3000 रुपये के योगदान में से 1250 रुपये (चूंकि EPS में मैक्सिमम मंथली कॉन्ट्रीब्यूशन ​लिमिट 1250 रु ही है) EPS में चले जाएंगे और बचे 3000-1250=1750 रुपये PF में.
इस तरह 30,000 रुपये मासिक बेसिक सैलरी+DA पाने वाले कर्मचारी के PF में उसका और नियोक्ता दोनों का 10-10 फीसदी कॉन्ट्रीब्यूशन मिलाकर अगले तीन माह तक 4750 रुपये (3000+1750) प्रतिमाह जाएंगे. यह अमाउंट 12-12 फीसदी के हिसाब से 5950 रुपये प्रतिमाह था. यानी घटे कॉन्ट्रीब्यूशन से भविष्य निधि में योगदान 1200 रुपये महीना घट गया. तीन महीनों में कुल 3600 रुपये योगदान घट गया.
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