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Health Insurance: बढ़ती महंगाई के बीच हेल्थ इंश्योरेंस प्लान क्यों है जरूरी? जानें 3 बड़ी वजहें

Health Insurance: अस्पताल में आपका इलाज केवल भर्ती होने के दौरान होने वाले खर्च तक सीमित नहीं है. प्री-मेडिकल चेकअप, डॉक्टर की फीस और दवाओं जैसी कई लागतें अक्सर आपके हॉस्पिटलाइजेशन चार्ज से ज्यादा होती हैं.

Health Insurance: अस्पताल में आपका इलाज केवल भर्ती होने के दौरान होने वाले खर्च तक सीमित नहीं है. प्री-मेडिकल चेकअप, डॉक्टर की फीस और दवाओं जैसी कई लागतें अक्सर आपके हॉस्पिटलाइजेशन चार्ज से ज्यादा होती हैं.

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Three reasons why you need health insurance

कोरोना महामारी के चलते अब लोग हेल्थ इंश्योरेंस के महत्व को समझ रहे हैं.

Health Insurance: कोरोना महामारी के चलते अब लोग हेल्थ इंश्योरेंस के महत्व को समझ रहे हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि लोगों ने अब अस्पताल में आने वाले खर्चों को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य बीमा कवर लेना शुरू कर दिया है. मार्केट में कई तरह के हेल्थ इंश्योरेंस प्लान मौजूद हैं ऐसे में लोगों को कोई भी प्लान लेने में सावधानी बरतनी चाहिए और अपने लिए सही स्वास्थ्य बीमा कवर का चुनाव करना चाहिए. इससे अस्पतालों के खर्च की चिंता काफी हद तक कम हो जाती है. यहां हम आपको बता रहे हैं ऐसे 3 प्रमुख कारण जिनके चलते हेल्थ इंश्योरेंस लेना बेहद जरूरी हो जाता है.

बचत की सुरक्षा

जब पैसे बचाने की बात आती है, तो भारतीयों में आमतौर पर इसकी आदत होती ही है. लेकिन सवाल यह है कि क्या हम मेडिकल इमरजेंसी जैसी स्थितियों के हिसाब से पर्याप्त बचत करते हैं? ज्यादातर लोग भविष्य में बेहतर रिटर्न के लिए बचत को निवेश करते हैं. कई ऐसी गंभीर बीमारियां हैं, जिनमें लाखों का खर्च आता है. ऐसे खर्च अचानक सिर पर आ पड़ें तो बरसों की बचत कुछ दिनों में खर्च हो जाती है. ऐसे हालात से निपटने और अपनी बरसों में जुटाई गई जमापूंजी को सुरक्षित रखने के लिए स्वास्थ्य बीमा या हेल्थ इंश्योरेंस कराना बेहद जरूरी है.

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महंगा होता इलाज

डॉक्टर की फीस और दवाओं से लेकर अस्पताल में एडमिट होने तक, इलाज से जुड़े हर तरह के खर्च लगातार तेजी से बढ़े हैं. इस बेतहाशा खर्च की आशंका से निपटने का सबसे बेहतर तरीका स्वास्थ्य बीमा खरीदना है. महंगाई के कारण प्रति व्यक्ति चिकित्सा लागत में बढ़ोतरी हुई है. इसे मेडिकल ट्रेंड रेट के रूप में भी जाना जाता है, जो अब तक के उच्चतम स्तर पर है. इन्फ्लेशन यानी महंगाई दर अगर 5% पर रहती है, तो मेडिकल ट्रेंड रेट 10% के आसपास रहने का अनुमान लगाया जाता है. यानी ट्रेंड रेट, महंगाई दर के मुकाबले दोगुनी रफ्तार से बढ़ रही है.

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अस्पताल से जुड़े कई तरह के छिपे हुए खर्च

अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आ जाए तो हॉस्पिटलाइजेशन चार्ज के अलावा भी तरह-तरह के खर्च सामने आने लगते हैं. प्री-मेडिकल चेकअप से लेकर डॉक्टर की फीस और दवाओं जैसी कई लागतें अक्सर आपके हॉस्पिटलाइजेशन चार्ज से भी अधिक हो जाती हैं. इसके अलावा, डायग्नोस्टिक टेस्ट और पोस्ट सर्जिकल/ऑपरेटिव केयर में हफ्तों/महीनों तक आपकी देखभाल करने के लिए अटेंडेंट की जरूरत भी पड़ सकती है. इन सभी खर्चों के हिसाब से आपका कुल खर्च काफी बढ़ जाता है. हेल्थ इंश्योरेंस प्लान कई तरह के होते हैं. इनमें बीमारियों का इलाज तो कवर होता ही है, साथ ही कई ऐसी पॉलिसियां भी होती हैं, जो आपके अस्पताल में भर्ती होने से जुड़े कई पहलुओं को ध्यान रखती हैं. मसलन जैसे अस्पताल में भर्ती होने से पहले / बाद के शुल्क, दवाएं, मेडिकल चेकअप, और बहुत कुछ. जाहिर है मेडिकल इंश्योरेंस इन तमाम तरह के आकस्मिक खर्चों का बोझ उठाने में आपके काफी काम आता है.

(इनपुट- टैक्स गुरु)

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