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आपके निवेश पर मिलने वाला रिटर्न महंगाई को मात करने वाला होना चाहिए
लगभग सभी निवेश इंस्ट्रूमेंट्स के निवेशकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती महंगाई को मात करना है. चाहे बैंक एफडी जैसा फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट या फिर म्यूचुअल फंड, शेयर या बॉन्ड जैसा निवेश माध्यम है, हर किसी के निवेशक का सबसे बड़ा लक्ष्य होता है कि उसका रिटर्न महंगाई दर से ज्यादा हो. देश में इस वक्त खुदरा महंगाई दर आरबीआई के टारगेट से ऊपर है. जुलाई में खुदरा महंगाई दर घट कर 5.59 फीसदी पर आ गई थी. लेकिन इसके पिछले दो महीनो में इसमें बढ़ोतरी हुई थी. ऐसे में अब अंदाजा लगा सकते हैं कि बैंक एफडी पर पांच से छह फीसदी ब्याज दर का निवेशक क्या करेंगे? आइए जानते हैं कि एक निवेशक के तौर पर महंगाई को मात करने के लिए आपको क्या किस तरह की निवेश रणनीति अपनाना चाहिए.
वास्तविक रिटर्न पर फोकस करेंगे
वास्तविक रिटर्न का मतलब होता है कि आपके निवेश पर रिटर्न की जो दर है उससे महंगाई दर को घटा दें. मसलन अगर आपका बैंक एफडी छह फीसदी का ब्याज दे रहा है तो 5.59 फीसदी खुदरा महंगाई दर को घटाने पर आपका रिटर्न .1 फीसदी रह जाता है. अगर आपके सेविंग अकाउंट पर चार फीसदी का रिटर्न मिल रहा है तो महंगाई दर से एडजस्ट करने पर यह निगेटिव हो जाता है. इसलिए हमेशा इस बात पर ध्यान दें कि आपको वास्तविक रिटर्न कितना मिल रहा हो.
जल्द शुरुआत करें और लगातार निवेश करें
जितनी जल्दी शुरुआत करेंगे आपको अपने निवेश लक्ष्य तक पहुंचने में उतनी ही आसानी होगी. जल्द शुरुआत करने और लगातार निवेश करने से छोटी रकम भी बड़ा फंड बना सकती है. अगर इक्विटी म्यूचुअल फंड में लंबे समय तक अनुशासित तरीके से निवेश किया जाए तो लंबी अवधि में एक बड़ी राशि तैयार की जा सकती है.
अपने पोर्टफोलियो को रिस्क प्रोफाइल से जोड़ें
एक निवेशक को निवेश करने से पहले इस बात पर गौर करना होगा कि वह कितना जोखिम ले सकता है या फिर वह किस हद तक जोखिम लेकर निवेश जारी रख सकता है. जरूरी नहीं कि एक निवेशक के लिए जो स्ट्रेटजी काम कर रही हो, दूसरे निवेशक के लिए वह उतना ही कारगर होगी. क्योंकि हरेक निवेशक की रिस्क प्रोफाइल एक जैसी नहीं होती. निवेशक को अपनी उम्र, आय और वित्तीय जिम्मेदारी के आधार पर जोखिम उठाना होता है. इसलिए उसे ये तय करना होगा कि रिस्क या रिटर्न में वोलेटिलिटी को वह किस हद तक बरदाश्त कर सकता है.
(Article :Sorbh Gupta)