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होन लोन बैलेंस ट्रांसफर के बारे में कोई भी फैसला सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद ही लें.
Tips for Home Loan Balance Transfer: पिछले एक साल के दौरान देश में होम लोन की दरें बेहिसाब तेजी से बढ़ी हैं. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) मई 2022 से लेकर अब तक नीतिगत ब्याज दर यानी रेपो रेट में 2.50 फीसदी का इजाफा कर चुका है. इसका असर ज्यादातर बैंकों और एनबीएफसी की ब्याज दरों पर पड़ा है. उन्होंने भी अपने ग्राहकों से वसूली जाने वाली ब्याज दरें इसी अनुपात में बढ़ा दी है. नतीजा ये हुआ है कि होम लोन लेने वाले तमाम लोगों पर ब्याज का बोझ उनकी कमर तोड़ रहा है. या तो उनकी ईएमआई बेतहाशा बढ़ गई है या फिर होम लोन का टेन्योर और 5-7 साल लंबा हो गया है. ऐसे में बहुत से लोग अपने होम लोन की ब्याज दरें घटाने के विकल्प खोज रहे हैं. जिनके पुराने बैंक ब्याज दर घटाने के लिए तैयार नहीं हैं, वे अपने लोन को कहीं और ट्रांसफर कराने पर विचार कर रहे हैं. लेकिन सवाल ये है कि क्या ब्याज घटाने के लिए ऐसा करना चाहिए? और अगर हां, तो ऐसा करते समय हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
अपना क्रेडिट स्कोर जांच लें
लोन ट्रांसफर कराने के लिए नए बैंक से संपर्क करने से पहले अपने क्रेडिट स्कोर की जांच करना अच्छा रहता है. अगर आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा है, तो नए लेंडर से कम ब्याज दर के लिए निगोशिएट करने में आसानी होगी. आमतौर पर बैंक बेहतर क्रेडिट स्कोर वाले ग्राहकों को अच्छे ऑफर देने को तैयार हो जाते हैं.
पुराने ग्राहकों के साथ सौतेला बर्ताव!
होम लोन लेते समय ज्यादातर लोग काफी रिसर्च करते हैं. देखते हैं कि किस बैंक या एनबीएफसी से उन्हें सबसे कम ब्याज दर पर होम लोन मिल रहा है और अक्सर उसी से कर्ज लेते हैं. लेकिन हो सकता है जो लोन शुरुआत में सबसे सस्ता लग रहा था, आगे चलकर महंगा बन जाए! ऐसा इसलिए क्योंकि अधिकांश होम लोन फ्लोटिंग ब्याज दर पर लिये जाते हैं, जिसकी दरें समय के साथ-साथ बदलती रहती हैं. इसके अलावा बैंक आम तौर पर रेट हाइक के दौर में सबसे ज्यादा बोझ पुराने ग्राहकों पर डालते हैं, जबकि नए ग्राहकों को लुभाने के लिए बेहतर ब्याज दरों का ऑफर देते हैं. ऐसे में पुराने ग्राहकों को यह लगना स्वाभाविक है कि उनका पुराना बैंक उनके साथ सौतेला बर्ताव कर रहा है, लिहाजा उन्हें किसी और बैंक का रुख कर लेना चाहिए. अगर आपको ऐसा महसूस हो रहा है, तो आप भी बैलेंस ट्रांसफर के बारे में सोच सकते हैं, लेकिन इस बारे में कोई भी फैसला ठंडे दिमाग से सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद लें.
बैलेंस ट्रांसफर की लागत भी ध्यान में रखें
यह बात हमेशा ध्यान में रखें कि होम लोन का बैलेंस ट्रांसफर करने में भी लागत आती है. मिसाल के तौर पर आपका पुराना बैंक आप से बैलेंस के 1 से 2 फीसदी के बराबर बैलेंस ट्रांसफर चार्ज वसूल कर सकता है. इसके अलावा नया बैंक आपसे लोन देने के लिए प्रॉसेसिंग फीस, लीगल फीस, डॉक्युमेंटेशन फीस वगैरह ले सकता है. लिहाजा, इन तमाम खर्चों को जोड़ने के बाद ही फैसला करें कि लोन ट्रांसफर करने में आपको कितना फायदा हो रहा है.
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नफा-नुकसान का पूरा कैलकुलेशन करें
मान लीजिए आपका होम लोन 50 लाख रुपये का है और मौजूद ब्याज दर 9.5 फीसदी है, तो 15 साल के टेन्योर पर आपकी EMI करीब 52,200 रुपये के आसपास होगी और लोन की पूरी अवधि के दौरान आपको ब्याज के रूप में 43.98 लाख रुपये चुकाने पड़ेंगे. लेकिन अगर आपको नया बैंक 8.5 फीसदी की दर पर लोन दे रहा है, तो आपकी EMI घटकर 49,337 रुपये हो जाएगी और 15 साल में दिया जाने वाला कुल ब्याज होगा 38.63 लाख रुपये. इस हिसाब से 1 फीसदी ब्याज कम होने पर एक साल में आपको 34,356 रुपये कम देने होंगे, जबकि 15 साल में आपके करीब 5.35 लाख रुपये बचेंगे. इतना कैलकुलेशन करने के बाद आपके लिए यह तय करना आसान हो जाएगा कि बैलेंस ट्रांसफर करना आपके हित में है या नहीं.
कितना बचा है लोन का टेन्योर?
बैलेंस ट्रांसफर का फैसला करते समय इस बात पर भी जरूर विचार करें कि आपके होम लोन की कितनी अवधि बाकी बची है. अगर आपका लोन शुरु हुए ज्यादा समय नहीं हुआ है, तो आपके लिए बैलेंस ट्रांसफर ज्यादा फायदेमंद होगा, क्योंकि शुरुआत में EMI का अधिकांश हिस्सा ब्याज में ही चला जाता है. लिहाजा, इंटरेस्ट में मामूली कटौती भी बड़ी बचत करा सकती है. लेकिन अगर आपका लोन काफी पुराना है और उसकी अवधि खत्म होने में बहुत कम समय बचा है, तो आपके लिए बैलेंस ट्रांसफर ज्यादा फायदेमंद नहीं है. क्योंकि उस हालत में आपकी ईएमआई में ब्याज का हिस्सा ज्यादा नहीं बचा होगा और लोन ट्रांसफर पर आने वाली लागत की भरपाई करने में भी ज्यादा वक्त लगेगा.
नए ऑफर को अच्छी तरह समझ लें
बैलेंस ट्रांसफर के बारे में कोई भी फैसला करते समय यह भी ध्यान में रखें कि बैंक कई बार नए ग्राहकों के लिए विशेष टीज़र रेट रखते हैं, जो पहले एक साल के लिए ही लागू होते हैं. अगर ऐसा है, तो एक साल बाद नया बैंक भी आपसे ज्यादा ब्याज वसूलना शुरू कर सकता है. लिहाजा, बैलेंस ट्रांसफर के बारे में अंतिम फैसला करने से पहले नए बैंक के ऑफर से जुड़ी तमाम बारीकियों को अच्छी तरह समझ लें.
ऑफर मिलने के बाद भी पुराने बैंक से बात करें
अगर नया बैंक आपको बेहतर ब्याज दर देने के लिए तैयार हो जाता है, तो उसका सैंक्शन लेटर लेकर एक बार अपने पुराने बैंक के अधिकारियों से भी जरूर बात करें. कई बार बैंक अपने पुराने ग्राहक को खोना नहीं चाहते और काउंटर ऑफर देने को तैयार हो जाते हैं. अगर आपका पुराना बैंक ही ब्याज दर घटाने को तैयार हो जाता है, तो आप बैलेंस ट्रांसफर पर आने वाले कई खर्चों और झमेलों से बच जाएंगे. और अगर पुराना बैंक नहीं मानता तो फिर आपके पास नया ऑफर तो है ही.
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