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जब भी बड़ी रकम ट्रांसफर करने की बात आती है तो आमतौर पर इसके लिए NEFT, RTGS जैसे तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है.
Transfer via NEFT, RTGS: जब भी बड़ी रकम ट्रांसफर करने की बात आती है तो आमतौर पर इसके लिए NEFT, RTGS जैसे तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है. ऑनलाइन मनी ट्रांसफर करने के लिए NEFT (नैशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर) और RTGS (रियल-टाइम ग्रॉस सेटलमेंट) सबसे पॉपुलर विकल्पों में से एक है. हालांकि, कई बार ऐसा भी होता है कि हम अपने दोस्त या रिश्तेदार को पैसा भेजते हैं और वह टाइम पर नहीं पहुंच पाता. ऐसे में हम थोड़े समय के लिए ही सही पर अपने पैसे की सुरक्षा को लेकर परेशान जरूर हो जाते हैं. हालांकि, समय पर पैसे नहीं पहुंचने के कई कारण हो सकते हैं.
क्या आप जानते हैं कि बेनिफिशियरी को सही समय पर पैसे नहीं पहुंचने के मामले में आप बैंक से जुर्माना वसूल सकते हैं. हां, आपने बिल्कुल ठीक पढ़ा. रिजर्व बैंक (RBI) के नियमों के मुताबिक अगर NEFT, RTGS के ज़रिए पैसे समय पर नहीं पहुंचते हैं तो इस मामले में बैंक को आपको जुर्माना देना होगा.
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NEFT मनी ट्रांसफर
आरबीआई के नियम के मुताबिक, ट्रांसफर करने के दो घंटे के भीतर पैसा बेनिफिशियरी के अकाउंट में पहुंच जाना चाहिए. अगर किसी भी कारण से ऐसा नहीं हो पाता है तो 2 घंटे के अंदर जिस ग्राहक ने पैसा ट्रांसफर करने के लिए प्रोसेस किया है उसके अकाउंट में पैसे रिटर्न आ जाना चाहिए. मान लीजिए कि इन 2 घंटों में पैसों का सेटलमेंट नहीं हो पाता है तो बैंक को इसके लिए ग्राहक को जुर्माना देना पडे़गा.
NEFT के मामले में कितना देना होगा जुर्माना
आरबीआई के मुताबिक, अगर बैच सेटलमेंट के बाद दो घंटे के भीतर NEFT ट्रांजेक्शन क्रेडिट या वापस नहीं किया जाता है, तो बैंक को प्रभावित ग्राहक को वर्तमान आरबीआई LAF रेपो रेट के साथ दो फीसदी ब्याज का भुगतान करना होगा. बैंक को देरी की अवधि / क्रेडिट या रिफंड की तारीख तक, जैसा भी मामला हो, ग्राहक के खाते में इस संबंध में ग्राहक द्वारा दर्ज किए जाने वाले क्लेम का इंतजार किए बिना जुर्माना देना होगा. अभी आरबीआई LAF रेपो रेट 4.90% है. यानी बैंक को कुल 4.90% + 2% = 6.90% जुर्माना देना होगा.
RTGS मनी ट्रांसफर
सामान्य तौर पर शाखाओं से यह उम्मीद की जाती है कि जैसे ही मनी ट्रांसफर किया जाए, तो पैसा रियल टाइम में बेनिफिशियरी के अकाउंट में पहुंच जाए. हालांकि, आरबीआई के नियम के अनुसार, लाभार्थी के जिस बैंक में पैसा ट्रांसफर होता है उस बैंक को लाभार्थी के खाते में फंड ट्रांसफर मैसेज प्राप्त होने के आधे घंटे के अंदर पैसा जमा करना होता है. अगर ऐसा नहीं होता है तो बैंक को मनी ट्रांसफर किए जाने के एक घंटे के अंदर भेजने वाले व्यक्ति के खाते में पैसा वापस करना होता है. ऐसा नहीं होने पर बैंक को जुर्माना देना होगा. यहां भी जुर्माने को लेकर वही नियम है जो NEFT में है.
ऐसे कर सकते हैं शिकायत
यदि RTGS के मामले में लाभार्थी के खाते में पैसे क्रेडिट नहीं होते हैं, तो ग्राहक को अपने बैंक या शाखा से संपर्क करना चाहिए. यदि समस्या का समाधान नहीं होता है, तो शिकायत ईमेल या डाक मेल के ज़रिए समस्या की बारीकियों और यूटीआर नंबर के साथ भेजी जा सकती है. इसके अलावा, NEFTके मामले में आप अपने बैंक के शिकायत विभाग में जा सकते हैं और उन्हें विवादित लेनदेन की बारीकियों के बारे में बता सकते हैं. यदि आपकी समस्या का समाधान 30 दिनों के भीतर नहीं होता है, तो आप "रिज़र्व बैंक-इंटीग्रेटेड लोकपाल स्कीम (RB-IOS, 2021)" के तहत शिकायत दर्ज कर सकते हैं.