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ULIP vs ELSS: यूलिप और ईएलएसएस में कौन है बेहतर! निवेश से पहले इन बातों का रखें ख्याल

ULIP vs ELSS: यूलिप और ईएलएसएस निवेश और टैक्स छूट को लेकर लगभग एक समान हैं. ऐसे में दोनों विकल्पों में बेहतर का चयन दोनों की खासियतों के आधार पर ही किया जा सकता है.

ULIP vs ELSS: यूलिप और ईएलएसएस निवेश और टैक्स छूट को लेकर लगभग एक समान हैं. ऐसे में दोनों विकल्पों में बेहतर का चयन दोनों की खासियतों के आधार पर ही किया जा सकता है.

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ULIP vs ELSS which is better for investment know here in details

ELSS या ULIP में कौन सा विकल्प बेहतर है, इसे लेकर निवेशकों को उलझन रहती है.

ULIP vs ELSS: पूंजी निवेश के कई सारे विकल्पों के चलते लोगों को उलझन रहती है कि किसमें निवेश उनके लिए बेहतर रहेगा. ऐसे ही ELSS या ULIP में कौन सा विकल्प बेहतर है, इसे लेकर निवेशकों को उलझन रहती है. मूल रूप से दोनों विकल्प लगभग एक समान हैं जैसे कि दोनों ही विकल्पों के तहत पूंजी को शेयर बाजार में निवेश किया जाता है और दोनों में ही इनकम टैक्स के सेक्शन 80सी के तहत छूट का दावा कर सकते हैं. ऐसे में दोनों विकल्पों में बेहतर का चयन दोनों की खासियतों के आधार पर ही किया जा सकता है.

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ULIP vs ELSS को समझें ऐसे

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  • यूलिप निवेश का ऐसा विकल्प है जिसमें इंश्योरेंस कवर भी मिलता है जबकि ईएलएसएस पूरी तरह से निवेश का विकल्प है.यूलिप में 5 साल का लॉक इन पीरियड होता जबकि ईएलएसएस में तीन साल का लॉक इन का पीरियड होता है.
  • यूलिप में किए गए निवेश पर सेक्शन 80सी के तहत छूट मिलती है और अधिकतम 5 लाख रुपये तक रिटर्न/लाभ भी सेक्शन 10(10डी) के तहत टैक्स फ्री होता है. वहीं दूसरी तरफ ईएलएसएस पर लांग टर्म कैपिटल गेन्स (एलटीसीजी) के टैक्स नियमों के मुताबिक एक साल में एक लाख रुपये तक का निवेश टैक्स मुक्त है और सेक्शन 80C के तहत फाइनेंशियल वर्ष में 5 लाख रुपए तक निवेश टैक्स मुक्त है.
  • यूलिप में निवेश को इक्विटी, डेट, हाइब्रिड, बैलेंस्ड या मनी मार्केट जैसे फंडों में एक से दूसरे फंड में ट्रांसफर कर सकते हैं जबकि ईएलएसएस में ऐसी कोई सुविधा नहीं मिलती है लेकिन लॉक इन खत्म होने पर सिस्टमैटिक ट्रांसफर योजना जरूर शुरू की जा सकती है.
  • यूलिप में ट्रांसपैरेंसी की कमी है क्योंकि इसमें यह नहीं पता चलता कि पैसा कहां निवेश किया गया है जबकि ईएलएसएस में इनकी पूरी जानकारी उपलब्ध रहती है.
  • यूलिप प्लान में 10 साल या इससे अधिक की पॉलिसी के लिए 2.25 फीसदी का शुल्क और अन्य अवधि के लिए अधिकतम 3 फीसदी का शुल्क चुकाना होता है जबकि ईएलएसएस के मामले में फंड मैनेजमेंट शुल्क फंड के आधार पर 2 फीसदी तक हो सकता है जो योजना के एनएवी में एडजस्ट हो जाता है. इसके अलावा ईएलएसएस के डायरेक्ट प्लान में कम शुल्क लागू लगता है.

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इसमें निवेश होगा बेहतर

  • जो निवेशक शॉर्ट टर्म इंवेस्टमेंट में बेहतर ग्रोथ चाहते हैं, उनके लिए ईएलएसएस का विकल्प बेहतर है. इसके अलावा यह उनके लिए भी बेहतर है जो आजीविका के लिए निवेश आय पर निर्भर नहीं है तो वे लंबे समय तक निवेश कर लाभ के रूप में बड़ा फंड तैयार कर सकते हैं.
  • यूलिप की सबसे बड़ी खूबी यही है कि इसमें बाजार रिटर्न के साथ-साथ बीमा कवरेज भी मिलता है. यह उनके लिए बेहतर है जो मार्केट रिटर्न के साथ-साथ बीमा कवर भी चाहते हैं. इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं कि अगर किसी शख्स ने 5 लाख की बीमा राशि के लिए 50 हजार रुपये की तीन सालाना किश्त (यानी 1.5 लाख रुपये) भरी है और उसकी मौत हो जाती है तो नॉमिनी को 5 लाख रुपये मिलेंगे. वहीं अगर उसने 9 प्रीमियम (यानी 4.5 लाख रुपये) भरा है और उसकी मौत हो जाती है तो अगर इस समय फंड वैल्यू 5.95 लाख रुपये है तो नॉमिनी को इंश्योरेंस राशि या फंड वैल्यू में जो अधिक है यानी कि 5.95 लाख रुपये मिलेंगे.
  • फीस के चलते रिटर्न कम हो जाता है. रिटर्न की बात की जाए तो ईएलएसएस पर 13-17 फीसदी तक का रिटर्न मिलता है जबकि यूलिप में 5 साल के आधार पर 8-10 फीसदी तक का रिटर्न मिल सकता है और यूलिप की लॉक इन अवधि भी ईएलएसएस की तुलना में अधिक होती है.
  • ईएलएसएस बाजार से जुड़ा है तो यह उनके लिए बेहतर है जो बाजार से जुड़े जोखिम उठा सकते हैं.

    (सोर्स- पॉलिसीबाजारडॉटकॉम)

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