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यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने भारत में इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट सिस्टम में क्रांति ला दी है.
Unified Payments Interface-UPI: यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने भारत में इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट सिस्टम में क्रांति ला दी है. इसके ज़रिए आप बैंक अकाउंट से जुड़े मोबाइल एप्लिकेशन का इस्तेमाल करके भुगतान कर सकते हैं. आप एक मिनट से भी कम समय में किसी शख्स के बैंक अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं. UPI एक काफी सिक्योर्ड प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करता है. इसके लिए यूजर्स को बैंक में पहले से रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर का इस्तेमाल करके यूपीआई में रजिस्टर करना होगा. सिक्योर्ड प्लेटफॉर्म के बावजूद, अगर आप लेन-देन के लिए यूपीआई का उपयोग करते समय सावधानी नहीं बरतते हैं, तो आपके साथ धोखाधड़ी हो सकता है.
सेफ UPI पेमेंट और धोखाधड़ी से बचने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है, जिनके बारे में हमने यहां बताया है.
यूपीआई आईडी को वेरिफाई करना जरूरी
आप अपने यूपीआई- इनेबल्ड ऐप के ज़रिए किसी शख्स की यूनिक यूपीआई आईडी पर पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं. इसी तरह, आप अपनी यूनिक यूपीआई आईडी के माध्यम से दूसरों से पेमेंट प्राप्त कर सकते हैं. सही शख्स को पैसे ट्रांसफर करने के लिए जरूरी है कि UPI आईडी सही हो. जब आप पेमेंट करते हैं तो लेनदेन शुरू करने से पहले रिसीवर की यूपीआई आईडी वेरिफाई कर लें. गलती न हो इसके लिए आप अमाउंट ट्रांसफर करने से पहले 1 रुपये का छोटा अमाउंट ट्रांसफर कर सकते हैं और इस तरह भी वेरिफाई किया जा सकता है.
QR कोड के ज़रिए पेमेंट से पहले कर लें वेरिफाई
आप UPI QR कोड को स्कैन करके रिसीवर को पेमेंट ट्रांसफर कर सकते हैं. एक बार जब आप क्यूआर कोड को स्कैन कर लेते हैं, तो पेमेंट पेज पर रिसीवर का यूनिक यूपीआई कोड दिखाई देगा. अमाउंट ट्रांसफर करने से पहले आपको क्यूआर कोड को वेरिफाई करना होगा. कुछ मामले ऐसे भी हैं जहां ठगी करने वालों ने मर्चेंट के क्यूआर कोड को अपने क्यूआर कोड से बदल दिया है. इसके चलते आप ठगी के शिकार हो सकते हैं. ऐसी स्थिति से बचने के लिए, आपको मर्चेंट या पेमेंट रिसीवर द्वारा वेरिफाई और साझा किए गए क्यूआर कोड का उपयोग करना चाहिए.
अपना यूपीआई पिन कभी न करें शेयर
जब आप यूपीआई-इनेबल्ड ऐप का उपयोग करके पेमेंट ट्रांसफर करते हैं, तो लेनदेन को ऑथेंटिकेट करने के लिए एक यूनिक पिन की जरूरत होती है. अपने बैंक को अपनी UPI आईडी से लिंक करते समय यूनिक पिन सेट करना होता है. आपको अपना यूपीआई पिन किसी के साथ भी साझा नहीं करना चाहिए.
अपने स्मार्टफोन को रखें लॉक
अगर आपका फोन पासवर्ड से लॉक रहता है, तो यह धोखाधड़ी की संभावना को कम करता है. जब आपका फोन खो जाता है और गलत हाथों में चला जाता है, तो ऐसी स्थिति में आपके साथ धोखाधड़ी होने की आशंका कम हो जाती है. हालांकि आपको अपने स्मार्टफोन का पासवर्ड ऐसा रखना होगा, जिसे कोई भी आसानी से क्रैक न कर सके. अपना पासवर्ड हमेशा बदलते रहें.
कई UPI ऐप्स के इस्तेमाल से बचें
आपके मोबाइल पर कई UPI ऐप्स लोड होने से कन्फ्यूजन हो सकता है, और आप गलती कर सकते हैं. चूंकि यूपीआई लेनदेन मुफ्त हैं, इसलिए एक से अधिक यूपीआई ऐप का उपयोग करने से आपको किसी भी तरह से कोई फायदा नहीं होता है. बैंकबाजार के CEO आदिल शेट्टी का सुझाव है, “यूपीआई इंटरऑपरेबल है, जिसका मतलब है कि किसी भी बैंक या यूपीआई ऐप के माध्यम से दो यूपीआई यूजर्स के बीच पैसा ट्रांसफर किया जा सकता है. अपने से अलग ऐप का उपयोग करके किसी को भुगतान करते समय, आपको उनके फोन नंबर पर भुगतान करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन आप हमेशा उनके क्यूआर कोड या उनके यूपीआई आईडी पर भुगतान कर सकते हैं.”
कभी भी अन-वेरिफाइड लिंक पर न करें क्लिक
ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें SMS या ईमेल के माध्यम से प्राप्त लिंक पर क्लिक करने पर लोगों के साथ धोखाधड़ी की गई. आपको अपने फोन पर प्राप्त अन-वेरिफाइड लिंक पर क्लिक करने से बचना चाहिए. इस तरह के लिंक अक्सर आपकी पहचान और बैंकिंग पासवर्ड/पिन चुराने के लिए आपके फोन को हैक करने के लिए उपयोग किए जाते हैं. अगर आप ऐसे लिंक प्राप्त करते हैं तो आप उन्हें तुरंत डिलीट कर सकते हैं या उसे ब्लॉक कर सकते हैं.
अमाउंट डिडक्शन पर प्राप्त SMS की जांच करें
इन तमाम चीजों के बावजूद आपको अपने बैंक अकाउंट में हो रहे सभी लेन-देन को लेकर सतर्क रहना चाहिए. जब भी आप पेमेंट करने के लिए UPI का उपयोग करते हैं, तो आपको अपने अकाउंट से काटी गई राशि को वेरिफाई करने के लिए बैंक से अपने रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर प्राप्त SMS की जांच करनी चाहिए. अगर आपको UPI लेनदेन से संबंधित किसी भी समस्या का सामना करना पड़ता है, तो आप अपने बैंक के कस्टमर केयर को दिए गए टोल-फ्री नंबर पर कॉल करके संपर्क कर सकते हैं. सभी यूपीआई-इनेबल्ड ऐप्स का हेल्पलाइन नंबर होता है.
(Sanjeev Sinha)