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Budget 2023 Expectations : भारत की 8 करोड़ से अधिक आबादी टैक्स का भुगतान करती है.
Union Budget 2023 Expectations: भारत की 8 करोड़ से अधिक आबादी इनकम टैक्स का भुगतान करती है. इनमें कॉरपोरेट्स और वेतनभोगी कर्मचारियों भागीदारी सबसे अधिक है. ये टैक्सपेयर्स सरकार के आगामी बजट का बड़ी बेशब्री से इंतजार कर रह हैं. टैक्सपेयर्स को 2023 के बजट से काफी रियायत मिलने की उम्मीद हैं. आगामी बजट में अगर सरकार टैक्स डिडक्शन लिमिट में बदलाव या टैक्स में छूट या टैक्स रेट घटाने का फैसला लेती है तो इससे टैक्सपेयर्स के बजट पर सीधे असर पड़ेगा. नए साल में पेश किए जाने वाले बजट से टेक्सपेयर्स वर्ग के कुछ उम्मीदों का जिक्र यहां किया गया है.
धारा 80C - डिडक्शन लिमिट बढ़ाई जा सकती है
इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80C के तहत टैक्स डिडक्शन का प्रावधान है. इसके तहत सेविंग स्कीम में इनवेस्ट किए निवेशकों को अधिकतम 1,50,000 रुपये तक के जमाराशि पर टैक्स डिडक्शन का लाभ मिलता है. बता दें कि सरकार ने आखिरी बार 2014 के बजट में डिडक्शन लिमिट में बदलाव की थी. उसके बाद निवेशकों को 5 साल की अवधि वाले फिक्स्ड डिपॉजिट, इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS), हाउसिंग लोन पर प्रिंसिपल रिपेमेंट, लाइफ इंश्योरेंस,सुकन्या समृद्धि योजना, प्राविंडेट फंड और कई सेविंग स्कीम पर सालाना डेढ़ लाख रुपये तक की जमाराशि पर टैक्स डिडक्शन का लाभ मिल रहा है. उम्मीद है कि बजट 2023 में धारा 80C के तहत सरकार डिडक्शन लिमिट बढ़ाकर 200,000 रुपये सालाना कर सकती है.
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धारा 16 (ia) - स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट बढ़ाए जाने की उम्मीद
इनकम टैक्स की धारा 16 (ia) के तहत वतनभोगी कर्मचारियों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट 50000 रुपये प्रतिवर्ष है. आगामी बजट से उम्मीद है कि बढ़ रही महंगाई के कारण सरकार धारा 16 (आईए) के प्रावधान में बदलाव करेगी और स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट का दायरा बढ़ाकर सालाना 75,000 रुपये कर देगी.
धारा 80CCD(1B) - बढ़ाई जा सकती है डिडक्शन लिमिट
अगर कोई नौकरी पेशेवर कर्मचारी केंद्र सरकार के किसी विशेष पेंशन स्कीम (इंश्योरेंस, नेशनल पेंशन स्कीम, अटल पेंशन स्कीम के लिए) में करता हैं. तो उन्हें धारा 80C के अलावा इनकम टैक्स की धारा 80CCD(1B) के तहत 50000 रुपये और डिडक्शन के लिए दावा कर सकते हैं. धारा 80C के तहत डिडक्शन लिमिट 150000 रुपये है. बजट 2023 से उम्मीद है कि रिटारमेंट प्लान में निवेश को बढ़ावा देने के लिए सरकार धारा 80CCD(1B) के तहत डिडक्शन लिमिट 50,000 रुपये से बढ़ाकर सालाना 100,000 रुपये कर सकती है.
डेट फंड, बांड, डिबेंचर की होल्डिंग समय सीमा में बदलाव की उम्मीद
डेट म्युचुअल फंड, बांड, डिबेंचर के मामले में निवेशको को लांग टर्म कैपिटल गेन के लिए कम से कम 3 साल यानी 36 महीने तक होल्डिंग बनाए रखना जरूरी है. वहीं लिस्टेड शेयर, इक्विटी म्युचुअल फंड जैसे मामले में निवेशकों को महज 12 महीने में ही बेहतर कैपिटल गेन मिल जाता है. इससे इतर अनलिस्टेड शेयर और अचल संपत्ति में निवेश पर 24 महीने में अच्छी कैपिटल गेन हो जाती है. ऐसे में इस बार के बजट से उम्मीद की जा रही है कि सरकार डेट म्युचुअल फंड, अनलिस्टेड बांड और डिबेंचर के होल्डिंग की समय सीमा 36 महीने से 24 महीने कर सकती है.
एजुकेशन सहित बाकी अलाउंस बढ़ा सकती है सरकार
एक नौकरी पेशेवर शख्स को उसकी ‘सैलरी’ के साथ कई तरह की भत्ता यानी अलाउंस मिलता है.कर्मचारी के सैलरी में प्रति बच्चा 100 रुपये प्रति माह चिल्ड्रेन एजुकेशन अलाउंस और 300 रुपये प्रति माह चिल्ड्रेन हास्टल एक्सपेंडिचर अलाउंस मिलती है. इस तरह के अलाउंस को सरकार ने पिछले 20 साल से अधिक समय से संशोधित नहीं किया है. उम्मीद है कि इस बजट में मंहगाई को देखते हुए अलाउंस की राशि बढ़ाने का फैसला ले सकती है.
(Article by Dr Suresh Surana, Founder, RSM India)
(नोट : इस लेख में साझा किया गया विचार व्यक्तिगत है. ये फाइनेंशियल एक्सप्रेस ऑनलाइन की पॉलिसी या नजरिए को पेश नहीं करता है. बिना अनुमति इस कंटेंट को किसी दूसरे प्लेटफार्म पर पब्लिश करना प्रतिबंधित है.)