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कुछ स्टॉक के भाव एनएसई और बीएसई पर एक समान नहीं होते हैं बल्कि उनमें कुछ फर्क होता है. कभी-कभी यह फर्क कुछ रुपयों का भी होता है जिसका फायदा उठाकर रिस्क-फ्री मुनाफा कमाया जा सकता है.
Arbitrage Funds: निवेशकों के पास शेयर मार्केट से पैसे कमाने के बहुत से विकल्प हैं जिसमें एक आर्बिट्रेज फंड है जिसके प्रति निवेशकों का आकर्षण तेजी से बढ़ रहा है. किसी सिक्योरिटीज के भाव में अंतर का फायदा लेना आर्बिट्रेज है. कभी आपने गौर किया होगा कि कुछ स्टॉक के भाव एनएसई और बीएसई पर एक समान नहीं होते हैं बल्कि उनमें कुछ फर्क होता है. कभी-कभी यह फर्क कुछ रुपयों का भी होता है जिसका फायदा उठाकर रिस्क-फ्री मुनाफा कमाया जा सकता है. आर्बिट्रेज फंड स्पॉट और फ्यूचर मार्केट में इक्विटी शेयरों के भाव में अंतर पर काम करता है. इसके लिए फंड मैनेजर शेयरों को कैश मार्केट में अभी खरीद लेता रहै और फिर इसे फ्यूचर या डेरिवेटिव मार्केट में बेच देता है. कॉस्ट प्राइस और सेलिंग प्राइस के बीच का अंतर ही निवेश पर रिटर्न है.
उदाहरणों से समझें Arbitrage Fund
- मान लीजिए किसी कंपनी एबीसी के शेयर कैश मार्केट में 1220 रुपये और फ्यूचर मार्केट में 1235 रुपये के भाव पर हैं. फंड मैनेजर एबीसी के शेयर कैश मार्केट में 1220 रुपये में खरीदकर फ्यूचर कांट्रैक्ट को 1235 रुपये में बेचने के लिए शॉर्ट करेगा. महीने के अंत यानी एक्सपायरी पर जब प्राइस मिल जाएंगे तो फंड मैनेजर शेयरों को फ्यूचर मार्केट में बेच देगा और 15 रुपये प्रति शेयर (इसमें ट्रांजैक्शन कॉस्ट भी शामिल) का रिस्क-फ्री प्रॉफिट होगा. इसके विपरीत अगर फंड मैनेजर का आकलन है कि इसके शेयर कमजोर हो सकते हैं तो वह फ्यूचर मार्केट में लांग पोजिशन लेगा. वह कैश मार्केट में 1235 रुपये पर कंपनी के शेयरों का शॉर्ट-सेल करेगा और एक्सपायरी पर अपने पोजिशन को कवर अप करने के लिए फ्यूचर मार्केट में 1220 रुपये में शेयरों को खरीदेगा. इस पर 15 रुपये का मुनाफा होगा.
- इसके अलावा एक और उदाहरण ये है कि फंड मैनेजर 100 रुपये के इक्विटी शेयर को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर खरीदेगा और फिर इसे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर 120 रुपये में बेच देगा. यह खरीद-बिक्री में निवेशकों को रिस्क फ्री रिटर्न मिलता है. एनएसई और बीएसई पर कुछ स्टॉक के भाव में फर्क होता है जिसका फायदा उठाया जा सकता है.
इन निवेशकों के लिए आर्बिट्रेड फंड में निवेश बेहतर
- आर्बिट्रेज फंड्स के जरिए कम रिस्क के साथ कैश व फ्यूचर मार्केट में खरीद-बिक्री के अवसर से फायदा उठाया जाता है. इसमें रिस्क का लेवल शुद्ध डेट फंड के समान ही होता है. ये फंड्स उन निवेशकों के लिए बेहतर होते हैं जो इक्विटी एक्सपोजर चाहते हैं लेकिन उससे जुड़े रिस्क को लेकर चिंतित रहते हैं. ऐसे निवेशकों के लिए जब मार्केट में उतार-चढ़ाव बहुत अधिक है तो अपने सरप्लस फंड के निवेश के लिए आर्बिट्रेज फंड सुरक्षित विकल्प है,
- अगर आपका शॉर्ट टर्म या मीडियम टर्म का कोई वित्तीय लक्ष्य है तो सामान्य बचत खाते में पैसे रखने की बजाय सरप्लस फंड को आर्बिट्रेज फंड में निवेश कर सकते हैं. इससे इमरजेंसी फंड बनाने में मदद मिलेगी और उस पर बेहतर रिटर्न मिलेगा.
- अगर आपने इक्विटी फंड जैसे रिस्की ऑप्शंस में पहले ही निवेश कर रखा है तो इक्विटी फंड से आर्बिट्रेड फंड्स जैसे कम रिस्की के लिए एक सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान (एसटीपी) शुरू कर सकते हैं. इससे पोर्टफोलियो को ओवरऑल रिस्क कम होगा. हालांकि यह ध्यान रहे कि ऑर्बिट्रेज फंड में दोहरे अंकों में रिटर्न की संभावना नहीं है.
- शुद्ध डेट फंड में निवेश की बजाय आर्बिट्रेड फंड में उन लोगों के लिए निवेश बेहतर है जो अधिक दर वाले टैक्स स्लैब में आते हैं.
आर्बिट्रेज फंड पर मुनाफे पर टैक्स देनदारी
टैक्सेशन को लेकर आर्बिट्रेज फंड को इक्विटी फंड्स के समान ही समझा जाता है. अगर आप एक साल से कम समय तक ही निवेश रखते हैं तो मुनाफे को शॉर्ट टर्म कैपिटन गेन मानते हुए टैक्स चुकाना होगा जिसकी दर इस समय 15 फीसदी है. अगर इस फंड में 1 वर्ष से अधिक समय तक निवेश बनाए रखते हैं तो मुनाफे को लांग टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीजी) की श्रेणी में रखा जाएगा. अगर किसी वित्त वर्ष में आपको 1 लाख रुपये से कम एलटीसीजी होता है तो इस पर कोई टैक्स देनदारी नहीं बनती है लेकिन अगर 1 लाख रुपये से अधिक की एलटीसीजी है तो बिना इंडेक्सेशन के फायदे के 10 फीसदी की दर से टैक्स चुकाना होगा.
देश के टॉप 5 ऑर्बिट्रेज फंड
फंड नाम - 3 साल का रिटर्न
निप्पन इंडिया आर्बिट्रेज फंड - 6 फीसदी
एडेलवेइस आर्बिट्रेज फंड - 5.93 फीसदी
एलएंडटी आर्बिट्रेज अपॉर्च्यूनिटीज फंड - 5.92 फीसदी
यूटीआई आर्बिट्रेज फंड - 5.89 फीसदी
कोटक इक्विटी आर्बिट्रेज फंड - 5.88 फीसदी
(इनपुट: क्लियरटैक्सडॉटइन)