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क्या हैं बैलेंस फंड? कैसे चुनें सही स्कीम, कटेगिरी से लेकर फायदे तक जानें सब कुछ

बैलेंस्ड या हाइब्रिड म्यूचुअल फंड अलग अलग एसेट क्लास में निवेश कर सकते हैं. इनमें इक्विटी, डेट और गवर्नमेंट सिक्युरिटीज व मनी मार्केट शामिल हैं.

बैलेंस्ड या हाइब्रिड म्यूचुअल फंड अलग अलग एसेट क्लास में निवेश कर सकते हैं. इनमें इक्विटी, डेट और गवर्नमेंट सिक्युरिटीज व मनी मार्केट शामिल हैं.

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Sushil Tripathi
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बैलेंस्ड या हाइब्रिड म्यूचुअल फंड अलग अलग एसेट क्लास में निवेश कर सकते हैं. इनमें इक्विटी, डेट और गवर्नमेंट सिक्युरिटीज व मनी मार्केट शामिल हैं.

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बाजार के उतार चढ़ाव देखकर लोगों में नए निवेश को लेकर कनफ्यूजन है. निवेशकों में ऐसा ट्रेंड देखा जा रहा है कि वे बहुत ज्यादा रिटर्न की लालच की बजाए निवेश का सुरक्षित विकल्प खोज रहे हैं. वहीं एक्सपर्ट भी ऐसे समय में सलाह दे रहे हैं कि किसी एक जगह निवेश करने की बजाए अपना पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाई रखें. अगर आप भी निवेश के लिए कोई ऐसा प्रोडक्ट खोज रहे है, जहां एक साथ ही इक्विटी, डेट और गवर्नमेंट सिक्युरिटीज व मनी मार्केट में निवेश का मौका मिले तो बैलेंस्ड फंड या हाइब्रिड म्यूचूअल फंड बेहतर विकल्प हो सकते हैं. यह उन के लिए बेहतर विकल्प है, जो बाजार का जोखिम नहीं लेना चाहते हैं.

इक्विटी और डेट दोनों में निवेश

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हाइब्रिड म्यूचुअल फंड अलग अलग एसेट क्लास में निवेश कर सकते हैं. इनमें इक्विटी, डेट और गवर्नमेंट सिक्युरिटीज व मनी मार्केट शामिल हैं. अगर निवेशक कंजर्वेटिव हैं और बाजार के उतार चढ़ाव का जोखिम नहीं लेना चाहते हैं तो हाइब्रिड स्कीमों में मिड टर्म से लांग टर्म के लिए पैसा लगा सकते हैं. इन फंडों में म्यूचुअल फंड निवेश का अनुपात या तो पहले से निर्धारित होता है या समय की अवधि में भिन्न हो सकता. इक्विटी के अलावा डेट और कुछ हिस्सा गोल्ड में निवेश करने से बाजार का जोखिम कम हो जाता है. म्यूचुअल फंड की ये कटेगिरी सुरक्षित और स्थिर रिटर्न दे सकती है. सेबी ने इन्हें 6 कटेगिरी में बांट दिया है, जिससे निवेश पहले से आसान हो गया है.

कैसे चुनें सही फंड

म्यूचुअल फंड की ये कटेगिरी सुरक्षित और स्थिर रिटर्न दे सकती है. सेबी ने इन्हें अलग-अलग कटेगिरी में बांट दिया है, जिससे निवेश पहले से आसान हो गया है. इक्विटी और डेट में निवेश के अनुपात को देखकर अपने रिस्क लेने की क्षमता के आधार पर सही स्कीम का चुनाव कर सकता है.

एग्रेसिव हाइब्रिड फंड: म्यूचुअल फंड की इस कटेगिरी में 65 से 80 फीसदी निवेश इक्विटी में होता है. वहीं, 20 से 35 फीसदी निवेश डेट में किया जाता है.

बैलेंस्ड हाइब्रिड फंड और एग्रेसिव हाइब्रिड फंड: बैलेंस्ड हाइब्रिड फंड अपने कुल एसेट का करीब 40 से 60 फीसदी इक्विटी या डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हें. ये स्कीम आर्बिट्राज में निवेश नहीं कर सकती हैं.

डायनेमिक एलोकेशन या बैलेंस्ड एडवांटेज फंड: म्यूचुअल फंड की ये स्कीम कुल निवेश का 100 फीसदी इक्विटी या डेट में निवेश कर सकती है. यह अपने निवेश का प्रबंधन डायनेमिक तरीके से करती है.

मल्टी एसेट एलोकेशन फंड: म्यूचुअल फंड की इस कटेगिरी में इक्विटी, डेट और गोल्ड तीनों तरह के एसेट क्लास में निवेश किया जा सकता है. इसमें 65 फीसदी निवेश इक्विटी में, 20 से 25 फीसदी निवेश डेट में और 10 से 15 फीसदी निवेश गोल्ड में किया जाता है.

आर्बिट्राज फंड्स: इन्हें अपने कुल एसेट का कम से कम 65 फीसदी इक्विटी या इक्विटी से जुड़े साधनों में निवेश करना होता है.

टैक्स

इक्विटी और डेट फंड पर अलग-अलग तरह से टैक्स का निर्धारण होता है. इक्विटी फंड के लिए अपने कुल एसेट का 65 फीसदी से ज्यादा शेयरों में लगाना जरूरी है. बैलेंस्ड हाइब्रिड और एग्रेसिव हाइब्रिड में से लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेंस पर टैक्स का लाभ केवल एग्रेसिव हाइब्रिड म्यूचुअल फंडों को मिलेगा. इक्विटी का ज्यादा हिस्सा होने के कारण यह फायदा होगा.