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Corporate FD vs Bank FD: कहां मिल रहा है ज्यादा ब्याज? रिटर्न के साथ रिस्क भी देखकर लगाएं पैसे

फिक्स्ड डिपॉजिट एक सेविंग्स इंस्ट्रूमेंट की तरह काम करता है, जिसमें एक तय अवधि में तय ब्याज के हिसाब से रिटर्न मिलता है.

फिक्स्ड डिपॉजिट एक सेविंग्स इंस्ट्रूमेंट की तरह काम करता है, जिसमें एक तय अवधि में तय ब्याज के हिसाब से रिटर्न मिलता है.

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FE Hindi Desk
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Corporate FD vs Bank FD: कहां मिल रहा है ज्यादा ब्याज? रिटर्न के साथ रिस्क भी देखकर लगाएं पैसे

भारत में बैंक या डाकघर की फिक्स्ड डिपॉजिट योजनाएं पॉपुलर हैं. (File)

What is Corporate FD: भारत में बैंक या डाकघर की फिक्स्ड डिपॉजिट योजनाएं पॉपुलर हैं. फिक्स्ड डिपॉजिट एक सेविंग्स इंस्ट्रूमेंट की तरह काम करता है, जिसमें एक तय अवधि में तय ब्याज के हिसाब से रिटर्न मिलता है. निवेश की बात करें तो बहुत से लोगों की प्राथमिकता में एफडी है. बैंक या डाकघर की एफडी में जहां पैसा सेफ रहता है, वहीं तय दर से ब्याज भी मिलता है. हालांकि पिछले कुछ सालों में ज्यादातर बैंकों ने एफडी पर मिलने वाले ब्याज में कटौती की है. ऐसे में कॉरपोरेट एफडी भी एक विकल्प है, जहां बैंकों की तुलना में 2 से 3 फीसदी ज्यादा ब्याज मिल रहा है.

एफडी एक टर्म डिपॉजिट है, जहां निवेशक तय समय के लिए एकमुश्त राशि जमा किया जाता है. यहां मेच्योरिटी डेट तक रेगुलर इंटरवल पर उसे ब्याज मिलता है. यह सिंगल टाइम इन्वेस्टमेंट होता है और इसमें हर महीने जमा करने की जरूरत नहीं होती है. मेच्योरिटी तक इसमें से पैसा नहीं निकाल सकते. अगर मेच्योरिटी के पहले पैसा निकालने की जरूरत पड़ती है तो इस पर पेनल्टी देनी पड़ती है. बैंक के अलावा बाजार में कॉरपोरेट एफडी भी मौजूद है, जहां बैंक की तुलना में ब्याज ज्यादा है. हालांकि कॉरपोरेट एफडी को लेकर उनके मन में कुछ सवाल भी हैं.

क्या है कॉरपोरेट FD

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कॉरपोरेट एफडी कंपनियों द्वारा जारी की जाती है. यहां आमतौर मेच्योरिटी की अवधि 6 माह से 5 साल या इससे भी ज्यादा होती है. कॉरपोरेट एफडी में ब्याज दर बैंक एफडी की तुलना में ज्यादा होती है. लेकिन यह कंपनियों के कारोबार से जुड़ी होती है, इसलिए इसमें बैंक की तुलना में जोखिम कुछ अधिक होता है. अगर कंपनी डिफाल्ट कर गई तो पैसा फंसने का डर होता है. हालांकि मजबूत और ज्यादा रेटिंग वाली कंपनियों की एफडी में जोखिम कम होता है. यह बिल्कुल उसी तरह से काम करती है, जैसे बैंक एफडी.

दूसरी ओर बैंक एफडी बैंकों द्वारा जारी की जाती है. डाकघर में टाइम डिपॉजिट स्कीम है. बैंक एफडी में मेच्योरिटी की अवधि 7 दिन से 5 साल और 10 साल तक हो सकती है. डाकघर में 1 साल, 2 साल, 3 साल और 5 साल की एफडी है. इनमें रिस्क नहीं के बराबर है. डाकघर में पैसा डूबने का कोई खतरा नहीं है, जबकि बैंकों में भी रिस्क ना के बराबर है.

कॉरपोरेट FD और ब्याज दरें

Mahindra Finance Ltd

ब्याज दर: 1 साल से 5 साल की एफडी पर 5.80% से 7.45% सालाना.
रेटिंग: CRISIL FAAA/Stable, ICRA MAA/Stable

Shriram Transport Finance Ltd FD

ब्याज दर: 1 साल से 5 साल की एफडी पर 6.50% से 8.40% सालाना.
रेटिंग: ICRA MAA+

PNB Housing Finance Ltd

ब्याज दर: अधिकतम 6.95% सालाना
रेटिंग: CRISIL- FAAA

LIC Housing Finance Ltd

ब्याज दर: 1 साल से 5 साल तक की एफडी पर 5.60% से 6.60% सालाना
रेटिंग: CRISIL FAAA

HDFC (upto Rs 2Cr)

ब्याज दर: अधिकतम 6.55% तक सालाना
रेटिंग: ICRA MAAA

HUDCO

ब्याज दर: अधिकतम 6.55% तक सालाना
रेटिंग: ICRA AAA

Sundaram Finance Company

ब्याज दर: 1 साल से 5 साल तक की एफडी पर 5.72% से 6.22% सालाना
रेटिंग: CRISIL FAAA

Muthoot Capital FD

ब्याज दर: 1 साल से 5 साल तक की एफडी पर 6% से 7% सालाना
रेटिंग: CRISIL FAAA

(सोर्स: www.bankbazaar.com)

अच्छी रेटिंग वाली कंपनियां बेहतर

निवेश से पहले कंपनी की क्रेडिट रेटिंग जरूर देखें. AAA या AA या इससे भी बेहतर रेटिंग वाली कंपनियां एफडी की सुविधा दे रही हैं तो उनमें निवेश किया जा सकता है. कंपनी की रेटिंग अच्छी होगी तो उसमें रिस्क कम होगा. हो सकता है कि कमजोर रेटिंग वाली कंपनियों में ब्याज दर ज्यादा है, लेकिन उनमें रिस्क होता है. कॉरपोरेट एफडी छोटी अवधि का बेहतर विकल्प है, इनमें रिस्क कम हो जाता है.

कंपनी का ट्रैक रिकॉर्ड देखें

कॉरपोरेट एफडी में निवेश करने से पहले उस कंपनी का ट्रैक रिकॉर्ड जरूर देखें. देखें की कंपनी का बिजनेस मॉडल सस्टेन करने वाला है या नहीं, मुनाफा आ रहा है या नहीं, कहीं कर्ज बहुत ज्यादा तो नहीं है. मैनेजमेंट का ट्रैक रिकॉर्ड क्या है, प्रमोटर्स को भरोसा कंपनी पर है या नहीं. पियर्स की तुलना में कंपनी क्या नया कर रही है, इनोवेशन के मामले में कंपनी दूसरों से कैसे अलग है.

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