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Cost Inflation Index क्या है? जानिए आप पर टैक्स का बोझ कैसे घटा सकता है यह इंडेक्स?

CBDT के कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स (CII) जारी करने पर कई लोगों के मन में सवाल उठा होगा कि ये इंडेक्स है क्या? इसका फायदा क्या है? जानते हैं इन सवालों के जवाब और यह भी समझते हैं कि ये इंडेक्स किसी आयकर दाता पर टैक्स का बोझ कैसे घटा सकता है.

CBDT के कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स (CII) जारी करने पर कई लोगों के मन में सवाल उठा होगा कि ये इंडेक्स है क्या? इसका फायदा क्या है? जानते हैं इन सवालों के जवाब और यह भी समझते हैं कि ये इंडेक्स किसी आयकर दाता पर टैक्स का बोझ कैसे घटा सकता है.

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Cost Inflation Index क्या है? जानिए आप पर टैक्स का बोझ कैसे घटा सकता है यह इंडेक्स?

सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस यानी CBDT ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स (CII) 317 घोषित किया है.

Cost Inflation Index (CII) And It's Benefits: सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस यानी CBDT ने कुछ ही दिनों पहले बताया कि वित्त वर्ष 2021-22 के लिए कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स (Cost Inflation Index - CII) 317 रहेगा. इसके पिछले वित्त वर्ष यानी 2020-21 के लिए ये इंडेक्स 301 रहा था. CBDT ने एक नोटिफिकेशन के जरिए जब ये इंडेक्स जारी किया, तो कुछ लोगों की इसमें कोई दिलचस्पी नहीं होगी. जबकि कुछ लोगों के मन में सवाल उठा होगा कि आखिर ये इंडेक्स है क्या? इसका उपयोग क्या है? आइए जानते हैं इन सवालों के जवाब, जिससे यह भी पता चल जाएगा कि ये इंडेक्स एक आयकर दाता (income tax payer) के लिए कितना फायदेमंद है.

कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स क्या है?

कास्ट इंफ्लेशन इंडेक्स CBDT हर साल जारी करता है. यह इंडेक्स बताता है कि लगातार बढ़ती महंगाई की वजह से किसी संपत्ति की वास्तविक लागत में वक्त के साथ-साथ कितना इजाफा हो चुका है. इस इंडेक्स की मदद से आप यह जान सकते हैं कि अब से पांच, दस या बीस साल पहले आपने जो संपत्ति खरीदी थी, उसे इंफ्लेशन यानी महंगाई दर के साथ एडजस्ट करें तो मौजूदा कीमतों पर उसकी सही लागत कितनी होगी.

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CBDT क्यों जारी करता है कास्ट इंफ्लेशन इंडेक्स?

आपके मन में अगला सवाल यह उठ सकता है कि महंगाई दर के हिसाब से लागत को एडजस्ट करने वाले कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स (CII) को आखिर CBDT क्यों जारी करता है? ऐसा इसलिए है क्योंकि यह इंडेक्स आयकर दाताओं से वसूले जाने वाली सही-सही टैक्स की गणना में मदद करने के लिए जारी किया जाता है.

CII से किस टैक्स के कैलकुलेशन में मदद मिलती है?

कास्ट इंफ्लेशन इंडेक्स की मदद से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स का कैलकुलेशन किया जाता है. इसकी मदद से उन संपत्तियों की बिक्री पर होने वाले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स की गणना की जाती है, जिन पर वसूले जाने वाले टैक्स में करदाताओं को इंडेक्सेशन (Indexation) का लाभ मिलता है. अगर यह इंडेक्स न हो तो LTCG की सही-सही गणना करना बेहद मुश्किल हो सकता है, क्योंकि किसी संपत्ति की लागत में महंगाई की वजह से कितना इजाफा हुआ है, इसकी गणना अलग-अलग लोग अलग-अलग तरह से कर सकते हैं. ऐसा होने पर टैक्स का सही आंकड़ा विवादों में घिर सकता है, जिससे करदाता और आयकर विभाग दोनों के लिए बेवजह की मुश्किलें पैदा हो सकती हैं. लेकिन CII की मदद से यह कैलकुलेशन बेहद आसानी से हो जाता है.

इस उदाहरण से आसान हो जाएगा समझना

मान लीजिए आपने वर्ष 2010 में 50 लाख रुपये में कोई संपत्ति खरीदी और 2016 में आपने उसे 75 लाख रुपये में बेच दिया। इन आंकड़ों को देखकर पहली नजर में तो यही लगता है कि आपको इस संपत्ति को बेचने पर 25 लाख रुपये का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन हुआ. अगर इसे सही मानें तो आपको 25 लाख रुपये पर LTCG टैक्स चुकाना पड़ेगा. लेकिन दरअसल ऐसा है नहीं. इस मुनाफे पर आपको इंडेक्सेशन का लाभ मिलेगा. यानी खरीद और बिक्री के दरम्यान संपत्ति की लागत में महंगाई की वजह से जो इजाफा हुआ उसे लाभ नहीं माना जाएगा. जिससे आपकी टैक्स देनदारी काफी कम हो जाएगी. लेकिन यहां सवाल यह है कि संपत्ति की लागत में महंगाई के कारण कितना इजाफा हुा है, यह पता कैसे चलेगा? जवाब है - कास्ट इंफ्लेशन इंडेक्स की मदद से.

कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स का कैलकुलेशन कैसे होता है?

इंफ्लेशन एडजस्टेड कॉस्ट प्राइस को कैलकुलेट करने के लिए एक फॉर्मूले का इस्तेमाल किया जाता है. यह फॉर्मूला है :

इंफ्लेशन एडजस्टेड कॉस्ट प्राइस = (बिक्री के साल का CII / खरीद के साल का CII) X वास्तविक खरीद मूल्य

इस तरह कैलकुलेट करने के बाद जो इंफ्लेशन एडजस्टेड कॉस्ट प्राइस यानी लागत मूल्य मिलता है, उसे बिक्री मूल्य से घटाने के बाद हमें सही LTCG का पता चल जाएगा.

साल 2001-02 से अब तक के CII नंबर

इस गणना के लिए सरकार की तरफ से हर साल घोषित CII का आंकड़ा हमारे पास होना चाहिए. 2001-02 से लेकर अब तक के CII नंबर इस तरह हैं:

वित्त वर्ष              CII

2001 – 02          100

2002 – 03          105

2003 – 04          109

2004 – 05          113

2005 – 06          117

2006 – 07          122

2007 – 08          129

2008 – 09          137

2009 – 10          148

2010 – 11          167

2011 – 12           184

2012 – 13           200

2013 – 14           220

2014 – 15           240

2015 – 16           254

2016 – 17           264

2017 – 18           272

2018 – 19           280

2019 – 20           289

2020 – 21           301

2021 – 22           317

2017 के बजट में सरकार ने CII के आधार वर्ष (base year) को 1981-82 से बदलकर 2001-02 कर दिया. लिहाजा अब 2001 से पहले खरीदी गई संपत्ति की लागत की गणना भी 1 अप्रैल 2001 के इंडेक्स के आधार पर ही की जाती है.

किन मामलों में नहीं मिलता CII का लाभ?

ध्यान में रखने वाली बात यह है कि टैक्स कैलकुलेशन में CII के जरिए महंगाई दर को एडजस्ट करने का लाभ सिर्फ उन्हीं संपत्तियों के मामले में मिलेगा, जिन पर नियमों के तहत इंडेक्सेशन बेनिफिट की इजाजत है. इसीलिए इसका फायदा इक्विटी शेयर्स या इक्विटी म्यूचुअल फंड्स के मामले में नहीं लिया जा सकता. लेकिन मकान जैसी संपत्ति की बिक्री के मामले में ये बेनिफिट लिया जा सकता है.

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