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क्रेडिट स्कोर 300 से 900 के बीच होता है और 900 के जितना करीब स्कोर है, लोन आवेदन मंजूर होने की संभावना उतनी अधिक बढ़ती जाती है. (Image- Pixabay)
Credit Score: जब आप बैंक या किसी वित्तीय संस्थान से कर्ज हासिल करने के लिए आवेदन करते हैं तो आपकी आयु, आय, पेशे, पेशे के स्थायित्व इत्यादि के अलावा क्रेडिट स्कोर को भी ध्यान में रखा जाता है. क्रेडिट स्कोर (Cibil Score) कम होता है तो या तो लोन आवेदन खारिज हो सकता है या लोन पास हुआ है तो अधिक ब्याज चुकाना पड़ सकता है. कई वित्तीय संस्थान तो सबसे पहले यह स्कोर देखकर ही फैसला करते हैं कि लोन आवेदन पर आगे प्रक्रिया जारी रखनी चाहिए या नहीं.
यह स्कोर किसी लोन आवेदन में एक तरह से 'फर्स्ट इंप्रेशन' जैसा होता है. हालांकि इसका ये मतलब नहीं है कि सिबिल स्कोर से ही लोन आवेदन के स्वीकृत होने या न होने का ही फैसला ले लिया जाता है बल्कि इसके अधिक होने पर लोन आवेदन के मंजूर होने की संभावना बढ़ती है.
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ऐसे तैयार होता है Credit Score
क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनी (क्रेडिट ब्यूरो) व्यक्तियों और कंपनियों के भुगतान का रिकॉर्ड एकत्रित करती है और उसे मेंटेन करती है. ब्यूरो को यह पूरा डेटा बैंक व अन्य वित्तीय संस्थान मासिक आधार पर उपलब्ध कराती हैं. इस डेटा के जरिए ही किसी शख्स या कंपनी के सिबिल स्कोर और रिपोर्ट को तैयार किया जाता है. क्रेडिट ब्यूरो को आरबीआई लाइसेंस देती है और उसका नियंत्रण क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनीज (विनिमय) अधिनियम, 2005 द्वारा किया जाता है.
जितना अधिक स्कोर, उतनी अच्छी क्रेडिट
क्रेडिट स्कोर 300 से 900 के बीच होता है और 900 के जितना करीब स्कोर है, लोन आवेदन मंजूर होने की संभावना उतनी अधिक बढ़ती जाती है. क्रेडिट ब्यूरो किसी भी शख्स या कंपनी के रिकॉर्ड को अच्छा व खराब क्रेडिट या डिफॉल्टर की सूची में नहीं रखती है. हालांकि जिनका कोई क्रेडिट इतिहास नहीं होता या पिछले कुछ वर्षों में कोई क्रेडिट एक्टिविटी नहीं है या आपके पास सभी एड-ऑन क्रेडिट कार्ड हैं और आपका कोई भी क्रेडिट एक्सपोज़र नहीं है तो NA या NH का स्कोर मिलता है. यह बुरा स्कोर नहीं है लेकिन कुछ वित्तीय संस्थान कोई क्रेडिट हिस्ट्री नहीं होने के चलते ऐसे लोगों को कर्ज देने में हिचकती हैं.
ऐसे सुधार सकते हैं अपना क्रेडिट स्कोर
- आप अपनी क्रेडिट हिस्ट्री बरकरार रखते हुए अपने क्रेडिट स्कोर को सुधार सकते हैं. इसे सुधारने के लिए इन तरीकों का इस्तेमाल करते हैं-
- हमेशा अपनी देय राशि समय पर अदा करें. अगर आप समय पर कर्ज का भुगतान नहीं करते हैं तो इसका क्रेडिट स्कोर पर निगेटिव असर पड़ता है.
- बिना खास जरूरत के कर्ज न लें और क्रेडिट कार्ड्स के अधिक इस्तेमाल से बचें. पर्सनल लोन बहुत न लें.
अपने ज्वाइंट खाते और गारंटी देने वाले शख्स की निगरानी नियमित तौर पर करते रहें क्योंकि उनके गलत पेमेंट्स का नुकसान आपको भी उठाना पड़ सकता है. सहधारक (या गारंटीड व्यक्ति) की लापरवाही से क्रेडिट स्कोर प्रभावित हो सकता है.
- अपने क्रेडिट हिस्ट्री की नियमित तौर पर समीक्षा करते रहें.
(सोर्स: सिबिलडॉटकॉम)