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क्या है Fund of Funds का फंडा, किन निवेशकों को FOF में करना चाहिए निवेश, क्या है इसका नफा नुकसान

Fund of Funds: निवेश का एक बेसिक फंडा ये है कि अपनी पूरी पूंजी को कभी भी एक ही एसेट क्लास में निवेश करने की बजाय इसे कई हिस्सों में बांटकर अलग-अलग विकल्पों में निवेश करना चाहिए.

Fund of Funds: निवेश का एक बेसिक फंडा ये है कि अपनी पूरी पूंजी को कभी भी एक ही एसेट क्लास में निवेश करने की बजाय इसे कई हिस्सों में बांटकर अलग-अलग विकल्पों में निवेश करना चाहिए.

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what is Fund of Funds And which Things to consider as an investor know here everything about fund of funds fof

फंड ऑफ फंड्स (FoF) ऐसी म्यूचुअल फंड स्कीमें हैं जो अन्य म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश करती हैं. (Image- IE)

Fund of Funds: निवेश का एक बेसिक फंडा ये है कि अपनी पूरी पूंजी को कभी भी एक ही एसेट क्लास में निवेश करने की बजाय इसे कई हिस्सों में बांटकर अलग-अलग विकल्पों में निवेश करना चाहिए. निवेश के लिए ऐसा ही एक विकल्प फंड ऑफ फंड्स (Fund of Funds) है जिसके जरिए अपने निवेश पर बेहतर रिटर्न हासिल किया जा सकता है. फंड ऑफ फंड्स (FoF) ऐसी म्यूचुअल फंड स्कीमें हैं जो अन्य म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश करती हैं. यह ठीक उसी प्रकार है जैसे आप अपनी पूंजी को किसी शेयर या बाॉन्ड में निवेश करते हैं. इसमें फंड मैनेजर अन्य म्यूचुअल फंड का एक पोर्टफोलियो तैयार करते हैं. उदाहरण के लिए अगर कोई फंड मैनेजर सोने में निवेश करना चाहता है तो फंड ऑफ फंड्स के तहत उन स्कीम में पैसे लगाएगा जिनका पैसा गोल्ड स्कीम में निवेश होता है.

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Fund of Funds में किसे करना चाहिए निवेश

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  • जो निवेशक अधिक रिस्क नहीं उठा सकते हैं, उनके लिए फंड ऑफ फंड्स बेहतर विकल्प है.
  • जिन निवेशकों के पास हर महीने निवेश के लिए बहुत कम पूंजी होती है, वे इसका चयन कर सकते हैं.

    जो निवेशक कम से कम पांच साल तक के लिए निवेश करना चाहते हैं, उनके लिए फंड ऑफ फंड्स में निवेश बेहतर है.

  • जो निवेशक अपने पोर्टफोलियो का जोखिम कम करने के लिए इसे डाइवर्सिफाई करना चाहते हैं, वे इसमें पैसे लगा सकते हैं.

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फंड ऑफ फंड्स में निवेश के फायदे

  • टैक्स-फ्रेंडली: अगर आप अपने एसेट्स को रीबैलेंस करते हैं तो इस इंटरनल ट्रांजैक्शन पर किसी कैपिटल गेन को लेकर कोई टैक्स देनदारी नहीं बनती. ऐसे में अगर डेट व इक्विटी के बीच एलोकेशन को रीबैलेंस किया जाता है तो इससे हुए कैपिटल गेन्स पर कोई टैक्स देनदारी नहीं होगी.
  • ईज ऑफ हैंडलिंग: ट्रैक करने के लिए सिर्फ एक एनएवी और एक फोलियो होता है जिससे इसे हैंडल करना आसान हो जाता है.
  • सीमित पूंजी में निवेश का मौका: जिन निवेशकों के पास सीमित पूंजी होती है, उनके लिए फंड ऑफ फंड्स के जरिए अपने पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई करने में मदद मिलती है.

फंड ऑफ फंड्स में निवेश के नुकसान

  • अधिक एक्सपेंस रेशियो: म्यूचुअल फंड स्कीमों पर निवेशकों को कुछ खर्चों (एक्सपेंस रेशियो) को भी चुकाना होता है. हालांकि फंड ऑफ फंड्स में अतिरिक्त लागत भी चुकानी होती है. इसमें जनरल मैनेजमेंट व एडमिनिस्ट्रेटिव फीस के अलावा अंडरलाइंग फंड्स को लेकर अतिरिक्त खर्च भी चुकाना होता है. महज 1 फीसदी के करीब एफओएफ एक्सपेंस रेशियो के अलावा निवेशकों को उन सभी फंड के लिए कुछ राशि चुकानी होगी जो एफओएफ होल्ड करती है.
  • टैक्स देनदारी: निवेश से 36 महीने से पहले एग्जिट करने पर निवेशकों को इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार 15 फीसदी का शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना होता है. 36 महीने के बाद फंड से बाहर निकलने पर इंडेक्सेशन के साथ 20 फीसदी का लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना होगा.
  • बहुत अधिक डाइवर्सिफिकेशन: फंड ऑफ फंड्स कई फंड्स में निवेश करती हैं जो कई सिक्योरिटीज में निवेश करती हैं. इससे इसकी संभावना भी बढ़ती है कि आपके पैसे को एक ही स्टॉक या सिक्योरिटीज में अलग-अलग फंड के जरिए निवेश हो जाए. इससे डाइवर्सिफिकेशन का पूरा फायदा नहीं मिल पाता है.

    (Input: cleartax.in)

    (नोट: यह लेख सिर्फ जानकारी के लिए है. फंड ऑफ फंड्स में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेश का कोई भी फैसला लेने से पहले अपने सलाहकार से जरूर संपर्क कर लें.)