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Risk Adjusted Return: क्या है रिस्क एडजस्टेड रिटर्न का मतलब? बाजार से कम जोखिम में बेहतर कमाई के लिए कर सकते हैं इसका इस्तेमाल

Risk Adjusted Return: निवेशक जब अपने पोर्टफोलियो के रिटर्न या दो निवेश विकल्पों के प्रदर्शन की तुलना करते हैं तो आमतौर पर वे निवेश पर मिलने वाले रिटर्न को देखते हैं. हालांकि यह तरीका बेहतर नहीं है.

Risk Adjusted Return: निवेशक जब अपने पोर्टफोलियो के रिटर्न या दो निवेश विकल्पों के प्रदर्शन की तुलना करते हैं तो आमतौर पर वे निवेश पर मिलने वाले रिटर्न को देखते हैं. हालांकि यह तरीका बेहतर नहीं है.

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What is risk-adjusted return and Why is this important for investors to know check here in details

रिस्क एडजस्टेड रिटर्न विभिन्न इंडिविजुअल सिक्योरिटीज और म्यूचुअल फंडों के अलावा पोर्टफोलियो की भी तुलना करने में मददगार है. (Image- Pixabay)

Risk Adjusted Return: आमतौर पर जब निवेशक अपने पोर्टफोलियो के रिटर्न या दो निवेश विकल्पों के प्रदर्शन की तुलना करते हैं तो वे सिर्फ निवेश पर मिलने वाले रिटर्न को देखते हैं. हालांकि निवेश विकल्पों की तुलना करने का यह तरीका बेहतर नहीं है. निवेशकों को न सिर्फ रिटर्न के आधार पर अपना फैसला लेना चाहिए बल्कि इसे हासिल करने के लिए लिए गए रिस्क को भी गणना में शामिल करना चाहिए. रिस्क एडजस्टेड रिटर्न इसे ही मापने का तरीका है. यह विभिन्न इंडिविजुअल सिक्योरिटीज और म्यूचुअल फंडों के अलावा पोर्टफोलियो की भी तुलना करने में मददगार है.

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निवेश से पहले रिस्क की गणना इसलिए है जरूरी

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निवेश को लेकर बात करें तो रिस्क बेहतर अवसर प्रदान करता है, जितना अधिक रिस्क लेंगे, उतना ही अधिक रिटर्न पाने की संभावना होगी. ऐसे में महज रिस्क की वजह से किसी विकल्प में निवेश से दूर न रहें. हालांकि इसके लिए जरूरी है कि पहले आप यह समझ लें कि आप कितना रिस्क ले सकते हैं और आप अपने पोर्टफोलियो में कितना रिस्की सिक्योरिटी रख सकते हैं. रिस्क की गणना कई मायनों में जरूरी है-

  • रिस्क को मापना आपके फंड मैनेजर, एडवाइजर या फाइनेंशियल कंसल्टेंट की क्षमताओं को जानने का तार्किक और ऑब्जेक्टिव तरीका है. आदर्श स्थिति की बात करें तो फंड मैनेजर का लक्ष्य कम से कम रिस्क में अधिक रिटर्न हासिल करने का होता है.
  • रिस्क को मापकर आप अपने अधिक रिस्की निवेश को कम रिस्की निवेश से अलग कर सकते हैं और बिना किसी विरोधाभास के आप पता कर सकते हैं कि आपको निवेश पर वास्तव में कितना रिटर्न हासिल हुआ है.
  • रिस्क एडजस्टेड रिटर्न परफॉरमेंस, वोलैटिलिटी, इंडेक्स अलाइनमेंट और क्वालिटी को मापने में मदद करता है.
  • रिस्क-एडजस्टेड रिटर्न फंड मैनेजर के परफॉरमेंस को मापने का बेहतर जरिया है.
  • वोलैटिलिटी को मापने का स्टैंडर्ड डेविएशन बेहतर तरीका है.

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इस तरह कैलकुलेट होता है रिस्क-एडजस्टेड रिटर्न

रिस्क-एडजस्टेड रिटर्न को मापने के लिए मुख्य रूप से पांच तरीके हैं- अल्फा, बीटा, आर-स्क्वायर्ड, स्टैंडर्ड डेविएशन और शार्प रेशियो.

  • Alpha: अगर आप जानना चाहते हैं कि आपका निवेश कैसा है तो अल्फा इसे मापने का बेहतर तरीका है. इसके तहत निवेश पर मिलने वाले रिटर्न की तुलना सेंसेक्स, निफ्टी जैसे बेंचमार्क इंडेक्स में मजबूती से की जाती है. अल्फा से फंड मैनेजर या पोर्टफोलियो के टैलेंट का पता लगाया जा सकता है क्योंकि इससे आसानी से पता कर सकते हैं कि आपको निवेश पर बेंचमार्क से अधिक रिटर्न मिला रहा है या नहीं.
  • Beta: बीटा वोलैटिलिटी मापने का तरीका है और मार्केट की तुलना में निवेश में कितना रिस्क लिया गया है, इसे भी बीटा बताता है. इसकी वैल्यू एक से अधिक होने का मतलब है कि मार्केट की तुलना में आपका निवेश विकल्प अधिक वोलैटाइल है.
  • Standard Deviation: स्टैंडर्ड डेविएशन के जरिए एक अवधि में किसी एसेट के रिटर्न में इसके एवरेज रिटर्न से ऊपर-नीचे होने के बदलाव को मापा जाता है यानी कि यह बताता है कि एवरेज रिटर्न की तुलना में किसी अवधि में निवेश पर रिटर्न कितना अधिक या कम हो रहा है. यह बहुत महत्वपूर्ण तरीका है क्योंकि इससे यह मापा जा सकता है कि एसेट से मिलने वाला रिटर्न कितना स्थाई है.
  • R-squared: आर-स्क्वायर्ड के जरिए बेंचमार्क के साथ पोर्टफोलियो के प्राइस ट्रेंड्स के बीच संबंध को समझा जा सकता है. अल्फा परफॉरमेंस बाता है जबकि आर-स्क्वायर्ड मूवमेंट से जुड़ा हुआ है. इसकी वैल्यू एक से लेकर सौ फीसदी तक हो सकती है और यह जितना अधिक होगा, पोर्टफोलियो बेंचमार्क की दिशा में उसी हिसाब से आगे बढ़ने का संकेत है. इसकी वैल्यू कम होने का मतलब है कि पोर्टफोलियो इंडेक्स के साथ-साथ नहीं बढ़ रहा है.
  • Sharpe Ratio: शॉर्प रेशियो के जरिए यह मापा जाता है कि निवेशक ने जितना रिस्क लिया, उसके मुताबिक उसे कितना रिटर्न लिया है. इसके तहत निवेश की गई पूंजी पर मिलने वाले रिटर्न को उस रिटर्न से घटाया जाता है जो तब मिलता जब पूंजी को सरकारी सिक्योरिटीज जैसे रिस्क-फ्री इंस्ट्रूमेंट में निवेश किया जाता. इस अंतर को फिर एसेट के स्टैंडर्ड डेविएशन से डिवाइड किया जाता है जो शार्प रेशियो है. यह जितना अधिक होगा, उतना ही रिस्क पर अवार्ड मिलेगा या रिटर्न अधिक मिलेगा.

(यह लेख महज जानकारी के लिए है. मार्केट से जुड़े सिक्योरिटीज में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. ऐसे में निवेश से जु़ड़ा कोई फैसला लेने से पहले अपने सलाहकार से जरूर सलाह ले लें.)

(Input: Mirae Asset Mutual Fund)

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