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Slipage Ratio: स्लिपेज रेशियो क्या है? रेवेन्यू और प्रॉफिट बढ़ने के बावजूद क्यों बैंकों की वित्तीय रिपोर्ट हो सकती है कमजोर

Slipage Ratio: बैंक मैनेजमेंट और बैंकिंग नियामक के अलावा रेटिंग एजेंसियां बैंक को रेटिंग देने के लिए स्लिपेज रेशियो को महत्व देती हैं.

Slipage Ratio: बैंक मैनेजमेंट और बैंकिंग नियामक के अलावा रेटिंग एजेंसियां बैंक को रेटिंग देने के लिए स्लिपेज रेशियो को महत्व देती हैं.

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Jeevan Deep Vishawakarma
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WHAT IS SLIPPAGE RATIO and how it affects bank financial position know here in details

आमतौर पर कई निवेशक देखते हैं कि बैंक के शुद्ध मुनाफे में बढ़ोतरी हुई है और ब्याज आय में भी बढ़ोतरी हुई है लेकिन इसके बावजूद कुछ ब्रोकरेज फर्म कहते हैं कि रिजल्ट बहुत अच्छा नहीं रहा.

Slipage Ratio: बैंकों के तिमाही नतीजों पर निवेशकों की निगाहें रहती हैं क्योंकि इसके आधार पर ही अपने निवेश को लेकर वे फैसला लेते हैं. आमतौर पर कई निवेशक देखते हैं कि बैंक के शुद्ध मुनाफे में बढ़ोतरी हुई है और ब्याज आय में भी बढ़ोतरी हुई है लेकिन इसके बावजूद कुछ ब्रोकरेज फर्म कहते हैं कि रिजल्ट बहुत अच्छा नहीं रहा. ऐसा Slipage Ratio के चलते होता है. हाल ही में जून 2021 तिमाही के रिजल्ट का एक्सिस बैंक ने ऐलान किया था जिसके मुताबिक सालाना आधार पर उसके मुनाफे में 94 फीसदी और ब्याज आय में 11 फीसदी की उछाल दर्ज की गई थी. इसके बावजूद कुछ ब्रोकरेज फर्म के मुताबिक स्लिपेज बढ़ने के चलते नतीजे अनुमान से कम रहे. हालांकि ब्रोकरेज फर्मो नें इसे खरीदने की रेटिंग दी हुई है. स्लिपेज रेशियो वह दर है जिस पर गुड लोन बैड में बदल रहे हैं. किसी वित्त वर्ष में बैंक का एनपीए जिस दर से बढ़ता है, वह स्लिपेज है. बैंक मैनेजमेंट और बैंकिंग नियामक के अलावा रेटिंग एजेंसियां भी बैंक को रेटिंग देने के लिए स्लिपेज रेशियो को महत्व देती हैं.

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Slipage Ratio को ऐसे समझें

मान लीजिए कि किसी बैंक का ग्रॉस एनपीए पिछले वित्त वर्ष में 12 फीसदी था और बैड लोन बढ़ने के चलते इस वित्त वर्ष में यह बढ़कर 15 फीसदी हो गया तो इसे 3 फीसदी का स्लिपेज कहेंगे. स्लिपेज में तेज बढ़ोतरी का प्रोविजनिंग और नेट प्रॉफिट पर गहरा असर होता है.

एसेट क्वालिटी में कम स्लिपेज या कोई स्लिपेज न होना यह दर्शाता है कि बैंक ने कितने बेहतर तरीके से एसेट क्वालिटी को मैनेज किया है. जब एसेट क्लालिटी बढ़ती है तो लिक्विडिटी, रिस्क लेने की क्षमता और फंड की कम लागत जैसे फायदे भी होते हैं.

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इस तरह होता है आकलन

  • स्लिपेज रेशियो गुड लोन के बैड होने की दर है. गुड लोन का मतलब होता है कि उसकी किश्त समय पर मिलती है लेकिन बैड लोन को लेकर बैंक को आय की उम्मीद कम रहती है या नहीं रहती है. अधिकतर मामलों में 90 दिनों तक अगर किसी लोन की किश्त नहीं मिलती तो बैंक उसे नॉन-परफॉर्मिंग एसेट की श्रेणी में रख देते हैं.
  • स्लिपेज रेशियो के कैलकुलेशन के लिए वर्तमान वर्ष में एनपीए कितना बढ़ा और वर्ष की शुरुआत में स्टैंडर्ड एसेट्स कितना था, इसके अनुपात को 100 से गुणा किया जाता है.