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लिक्विड फंड से कैसे अलग है अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड, इसमें किसे और कैसे करना चाहिए निवेश

Ultra Short Term Fund: अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड्स फिक्स्ड इनकम म्यूचुअल फंड स्कीम हैं जो डेट और मनी मार्केट सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं.

Ultra Short Term Fund: अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड्स फिक्स्ड इनकम म्यूचुअल फंड स्कीम हैं जो डेट और मनी मार्केट सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं.

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Ultra Short Term Fund: अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड्स फिक्स्ड इनकम म्यूचुअल फंड स्कीम हैं जो डेट और मनी मार्केट सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं.

Invest in Ultra Short Term Fund: अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड्स फिक्स्ड इनकम म्यूचुअल फंड स्कीम हैं जो डेट और मनी मार्केट सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं. इन सिक्योरिटीज की अवधि 3 महीने से 6 महीने होती है. ये फंड शॉर्ट टर्म के लिए निवेश करने वालों के लिए बेहतर विकल्प हैं. क्यों कि शार्ट टर्म मेच्योरिटी होने की वजह से ये कम वोलेटाइल होते हैं और लंबी अवधि के प्रोफाइल वाले फंडों की तुलना में अधिक स्टेबल इनकम का लक्ष्य रखते हैं. कई निवेशक लिक्विड फंड और अल्ट्रा-शॉर्ट अवधि फंड के बीच भ्रमित हो जाते हैं.

लिक्विड फंड से कैसे हैं अलग

लिक्विड फंड और अल्ट्रा-शॉर्ट अवधि फंड के बीच मुख्य अंतर इन दो योजनाओं की मेच्योरिटी या ड्यूरेशन प्रोफाइल है. लिक्विड फंड्स डेट या मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं, जो 91 दिनों में मेच्योर हो जाते हैं. जबकि अल्ट्रा-शॉर्ट टर्म फंड्स की अवधि 3 से 6 महीने है. यील्ड कर्व आमतौर पर ऊपर की ओर झुका हुआ होता है. उदाहरण के लिए, 15 सितंबर 2020 तक, 3 महीने (मेच्योरिटी) गवर्नमेंट सिक्योरिटीज (G-Sec) की यील्ड 3.31 फीसदी है, जबकि 6 महीने की G-Sec की यील्ड 3.53 फीसदी है और 1 साल की G-Sec की यील्ड 3.72 फीसदी है. (source: worldgovernmentbonds.com)

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इसलिए, अल्ट्रा-शॉर्ट टर्म फंड आमतौर पर लिक्विड फंडों की तुलना में अधिक रिटर्न देते हैं. हालांकि, इन फंडों की अवधि लिक्विड फंड की तुलना में लंबी है, इसलिए वे डेली या वीकली बेसिस पर लिक्विड फंडों की तुलना में थोड़ा अधिक वोलेटाइल हो सकते हैं. इसलिए, आपको अल्ट्रा-शॉर्ट अवधि फंड के लिए लंबे समय तक निवेश करने की आवश्यकता है.

अल्ट्रा-शॉर्ट टर्म फंड: किसे करना चाहिए निवेश

ये फंड कंजर्वेटिव निवेशकों के लिए उपयुक्त हैं, जिनका निवेश का लक्ष्य 3 महीने से 1 साल के बीच होता है. ध्यान दें कि अल्ट्रा-शॉर्ट टर्म फंड में सुरक्षा की गारंटी नहीं होती है, लेकिन इनमें रिस्क कम होता है. क्यों कि ये फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट में निवेश करते हैं. अगर आपका निवेश लक्ष्य 3 महीने से अधिक है, तो नुकसान होने की संभावना कम होती है. इसके अलावा, यह भी ध्यान देना चाहिए कि अगर आपका निवेश लक्ष्य 1 साल या उससे अधिक है, तो इसके अलावा आपके पास अधिक उपयुक्त निवेश के विकल्प हो सकते हैं.

अल्ट्रा शॉर्ट में क्यों करें निवेश?

बहुत से निवेशक, जिनके पास सरप्लस फंड्स हैं, जिनकी उन्हें अगले 3-12 महीनों में जरूरत नहीं होती है, वे इन फंडों में पैसा लगा सकते हैं. आप इन पैसों पर बचत खाते के मुकाबले ज्यादा लाभ ले सकते हैं. प्रमुख पीएसयू और निजी क्षेत्र के बैंकों की बचत बैंक ब्याज दरें वर्तमान में 2.75-3.5 फीसदी के बीच हैं. अल्ट्रा-शॉर्ट टर्म फंड आपके बचत खाते की तुलना में ज्यादा ब्याज देते हैं. वर्तमान में इन फंडों का रिटर्न 6 से 9 महीने तक प्रमुख बैंकों की एफडी की दरों से 90 से 150 बीपीएस ज्यादा है. (Source: Advisorkhoj Research and policybazaar.com data as on Aug 2020)

कैसे लगता है टैक्स

अगर आपकी निवेश की होल्डिंग अवधि 36 महीने से कम है, तो अल्ट्रा-शॉर्ट अवधि फंडों की इकाइयों की बिक्री से होने वाले कैपिटल गेन को आपकी आय में जोड़ दिया जाएगा और आपके आयकर स्लैब दर के अनुसार कर लगाया जाएगा.

निवेश के पहले इन बातों पर ध्यान दें

निवेश की अवधि 3 महीने से 12 महीने हो तो यह बेहतर विकल्प है.

एक्सपेंस रेश्यो ज्सादा होने से शॉर्ट टर्म रिटर्न प्रभावित हो सकता है.

हाई क्रेडिट क्वालिटी वाले पेपर में ही पैसा लगाएं.

शॉर्ट टर्म प्रदर्शन के आणार पर स्कीम सेलेक्ट न करें, उसकी क्वालिटी जरूर चेक करें.

(लेखक: वैभव शाह, हेड–प्रोडक्ट्स, मिराए एसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड)

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