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अब गाड़ी की ड्राइविंग के आधार पर इंश्योरेंस प्रीमियम तय होगा.
PAYU: अगर आप अपनी बाइक या कार का इस्तेमाल कम करते हैं, और महंगे इंश्सोरेंस प्रीमियम से परेशान हैं तो टेंशन न लें. अब गाड़ी की ड्राइविंग के आधार पर प्रीमियम तय होगा. आईसीआईसीआई लोम्बार्ड ने पे-ऐज-यू-यूज (PAYU) नाम से प्रोडक्ट लॉन्च किया है. इसमें आप अपने वाहन को जितना चलाएंगे, प्रीमियम उसी आधार पर तय होगा. वाहन में मौजूद टेलीमैटिक्स डिवाइस की सहायता से ड्राइविंग दूरी को मापा जाएगा. क्या है ये प्रोडक्ट, ग्राहकों का कैसा रिस्पांस है और किनके लिए ये बेहतर है. इन सब पर हमने , ICICI Lombard GIC Ltd. के चीफ अंडरराइटिंग, रीइंश्योरेंस, क्लेम एंड एक्चुरियल, संजय दत्ता से बात की है.
ड्राइविंग की जरूरत के आधार पर प्रोडक्ट चुनने का विकल्प
पे ऐज यू ड्राइव' ग्राहकों को उनकी ड्राइविंग की आवश्यकताओं के अनुसार किलोमीटर आधारित विकल्प चुनने की सुविधा देता है. सेगमेंट को लेकर ग्राहकों का रिस्पांस भी बेहतर है. असल में ग्राहकों का एक वर्ग है जो अपनी आवश्यकताओं के हिसाब से एक अलग इंश्योरेंस प्रोडक्ट चाहता है.
यह ड्राइविंग-बिहेवियर आधारित ऐड-ऑन है और यह प्रोडक्ट उन ग्राहकों को ऑफर किया जाता है जो टेलीमैटिक्स डिवाइस-आधारित प्रोडक्ट विकल्प चुनते हैं. टेलीमैटिक्स की पेशकश वाले प्रोडक्ट के लिए पूरा इको-सिस्टम अपने को अच्छी तरह से तैयार कर रहा है.
ग्रोथ आउटलुक बेहतर
किसी भी प्रोडक्ट में जरूरत के हिसाब से लगातार इनोवेशन लाना जरूरी है. आने वाले समय में, हर प्रोडक्ट को और अधिक इनडिविजुअल बनाया जाएगा और ग्राहकों की आवश्यकताओं के अनुरूप उनमें सुधार किया जाएगा. PAYU और PHYU ऐड-ऑन उसी दिशा में एक कदम है. इनका ग्रोथ आउटलुक बेहतर है.
किस उम्र वर्ग में ज्यादा डिमांड
इन प्रोडक्ट को विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों और एज ग्रुप में पेश किया जाता है. हालांकि, किलोमीटर आधारित PAYU ऐड-ऑन की डिमांड उन शहरों में ज्यादा रहने की उम्मीद है, जहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर्याप्त रूप से उपलब्ध है, और ग्राहक अपने व्हीकल को डेली बेसिस पर नहीं चलाते हैं.
मोटर इंश्योरेंस में मुख्यधारा की भूमिका
PAYU और PHYU ऐड-ऑन के लिए अभी शुरुआती दिन हैं, हालांकि भविष्य में इन ऐड-ऑन में मोटर बीमा में मुख्यधारा की भूमिका निभाने की पूरी क्षमता है. इन प्रोडक्ट के लिए जरूरी इको-सिस्टम तेजी से विकसित हो रहा है. ऐसे यूज्ड बेस्ड प्रोडक्ट की डिमांड हमेशा रहती है, भले ही वह सक्रिय रूप से न दिखे.