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Physical Gold Vs Digital Gold, Gold ETF and Sovereign Gold Bond: गोल्ड में निवेश का सबसे अच्छा तरीका कौन सा है. हर दिवाली यह बहस तेज हो जाती है, जब लोग सोना खरीदते हैं. जहां कुछ लोग फिजिकल गोल्ड खरीदने को तवज्जो देते हैं वहीं कुछ डिजिटल गोल्ड, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड और गोल्ड ईटीएफ में निवेश को ज्यादा बढ़िया ऑप्शन मानते हैं. दरअसल गोल्ड सिर्फ निवेश के लिए नहीं होता. लोग गोल्ड ज्वैलरी पहनते हैं और यही इसकी सबसे प्रमुख उपयोगिता भी है. जो लोग फिजिकल गोल्ड खरीदते हैं उनका कहना है कि आप पेपर गोल्ड तो पहन नहीं सकते. फिर गोल्ड खरीदने का क्या फायदा? लेकिन जो लोग गोल्ड को सदाबहार निवेश मानते हैं वे सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, गोल्ड ईटीएफ और डिजिटल गोल्ड में निवेश करते हैं.
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB)
हाल के दौर में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश (SGB)काफी लोकप्रिय साबित हुआ है. सॉवरेन गारंटी, आपकी खरीदारी पर ब्याज और कई बार मार्केट रेट से सस्ता होने की वजह से सॉवरेन गोल्ड फंड में निवेश लोकप्रिय हो रहा है. हालांकि इसमें लॉक-इन पीरियड भी है. यह स्टॉक एक्सचेंज से भी खरीदा जा सकता है और इसकी लिक्विडिटी आसान होती है. विशषज्ञों का कहना है कि गोल्ड में इनवेस्टमेंट लंबी अवधि के निवेश के तौर पर करना चाहिए. उस लिहाज से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश मुफीद है
गोल्ड ईटीएफ
गोल्ड ईटीएफ में निवेश के लिए कम से कम एक यूनिट गोल्ड खरीदना जरूरी है. हर यूनिट 1 ग्राम की होती है. गोल्ड ईटीएफ की खरीदारी शेयरों की ही तरह होती है. मौजूदा ट्रेडिंग खाते से ही गोल्ड ईटीएफ खरीद सकते हैं. गोल्ड ईटीएफ की यूनिट डीमैट खाते में जमा होती है. ट्रेडिंग खाते के जरिए ही गोल्ड ईटीएफ को बेचा जाता है.गोल्ड ETF को लोन लेने के लिए सिक्योरिटी के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकते हैं. फिजिकल सोने पर आपको मेकिंग चार्ज चुकाना होता है. लेकिन गोल्ड ETF में ऐसा नहीं होता है.
गोल्ड फंड
गोल्ड फंड, सोने की विभिन्न रूपों में निवेश करता है. इनमें फिजिकल गोल्ड भी शामिल हो सकता है और गोल्ड माइनिंग कंपनियों के शेयर भी. फिजिकल गोल्ड में निवेश करने वाले गोल्ड फंड्स निवेशकों को कम कीमत पर शुद्ध सोना खरीदने की सहूलियत की पेशकश करते हैं. निवेशक कभी भी खरीदे गए सोने को बाजार कीमतों पर बेच सकते हैं.
डिजिटल गोल्ड
डिजिटल सोना ऑनलाइन खरीदा जा सकता है. इसकी खरीदारी विभिन्न निवेश प्लेटफॉर्म के जरिए की जाती है, जो निवेशकों के नाम पर गोल्ड खरीदते हैं और इसे होल्ड करते हैं. ये निवेश प्लेटफॉर्म ग्राहक की ओर खरीदे गए गोल्ड को वॉल्ट्स/लॉकर्स में रखते हैं जिसकी ऑडिटिंग की जाती है और इसका बीमा भी होता है. डिजिटल गोल्ड में निवेश सोने की फिजिकल डिलीवरी लेने का विकल्प भी देता है लेकन, आपको डिलीवरी चार्ज देना पड़ सकता है.आम तौर पर, इन डिजिटल गोल्ड प्रोडक्ट्स की अधिकतम होल्डिंग अवधि होती है, जिसके बाद निवेशक को सोने की डिलीवरी लेनी होती है या इसे वापस बेचना पड़ता है.
साफ है कि गोल्ड में निवेश साफ तौर पर आपकी जरूरत और जोखिम लेने की क्षमता पर निर्भर करता है. जो लोग अपने पोर्टफोलियो से शेयरों को निकाल कर गोल्ड में निवेश करना चाहते हैं या इसमें लंबे समय तक बने रहना चाहते हैं उनके डिजिटल गोल्ड में निवेश बेहतर ऑप्शन हो सकता है. ज्यादातर निवेश की सलाहकारों का मानना है कि आपके पोर्टफोलियो में गोल्ड की हिस्सेदारी 5 से 10 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए. इन सलाहकारों का मानना है कि आपका निवेश, शेयर, बॉन्ड, गोल्ड और रियल एस्टेट के तौर पर डाइवर्सिफाई होना चाहिए.