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Though interest rates may not fall further, they are not expected to rise any time soon either.
Year Ender 2020, COVID-19 Pandemic: साल 2020 की शुरुआत में ही एक ऐसी महामारी ने दस्तक दी, जो महीने बीतने के साथ विकराल होती गई. अब साल बीतने को है और दुनिया अभी भी इसकी विभीषिका झेल रही है. इस कोविड-19 महामारी ने दुनिया को कितना नुकसान पहुंचाया, इसका सटीक आकलन अभी करना मुमकिन नहीं है. भारत समेत पूरी दुनिया का ध्यान फिलहाल एक प्रभावी कोविड-19 वैक्सीन उपलब्ध कराने पर है. इन सबके बीच महामारी ने आम लोगों पर गहरा असर डाला, लोगों के कमाने से लेकर खर्च करने और बचत या निवेश की आदतें भी बदल गईं. आइए इसको बिंदुवार समझते हैं.
कमाने के नए अवसर
महामारी के दौरान जहां हजारों लोगों की नौकरियां चली गई. कई छोटे-छोटे व्यवसायों पर बुरा असर हुआ. वहीं, इस दौर में कमाने के कई नए अवसर भी सामने आए. लोगों ने घर बैठे कई बिजनेस शुरू किये. लॉकडाउन के समय में कई हाउसवाइफ ने टिफिन सर्विस शुरू की. कई ऐसे लोग रहे, जिनकी जॉब चली गई, उन्होंने वेलनेस प्रोडक्ट्स, ग्रॉसरी से लेकर फ्रूट्स एंड वेजिटेबल की होम डिलिवरी के स्माल बिजनेस शुरू किए. इसके लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म डेवलप किए. दूसरी ओर, युवा लड़के या लड़कियां जिनके अंदर क्रिएटिविटी थी, उन्होंने अपने यूट्यूब चैनल शुरू किए. इनमें कूकिंग, मॉस्क बनाना, होम डेकोर, गार्डेनिंग जैसे कई अन्य चैनल रहे. ये चैनल आय का एक जरिए बन गए.
लॉकडाउन ने हुनरमंद और पेशेवर लोगों को डिजिटल मोड पर शिफ्ट किया. प्रोफेशनल्स ने ऑनलाइन टिचिंग, डांसिग या म्यूजिक की सर्विस देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में देनी शुरू की. यह नए तरह की इनकम का एक स्रोत बना.
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खर्च करने की आदतें बदली
कोरोना के दौर में लोगों ने सेहत और टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर खर्च बढ़ाया. महामारी में हेल्दी फूड यानी पौष्टिक खानपान की तरफ फोकस बढ़ा. अमूमन प्रतिरोधक क्षमता बेहतर रखने के लिए हर व्यक्ति ने अपने क्वालिटी फूड, न्यूट्रिशन वैल्यू वाले फूड पर अपना खर्च बढ़ाया है. बिना वजह लोगों ने कपड़ों वगैरह की खरीदारी से परहेज किया. हालांकि, ऑनलाइन शॉपिंग हर कैटेगरी में बढ़ी. दूसरी ओर, मल्टीप्लेस के खर्चों की जगह ओवर द टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म पर मूवीज ने ले ली. वर्क फ्राम होम कल्चर के चलते लोगों का खर्च जरूरी डिवाइसेस और गैजेट्स पर बढ़ा है.
बचत/निवेश की अहमियत बढ़ी
महामारी ने बहुत बड़ा सबक बचत और निवेश को लेकर सिखाया. खासकर युवाओं को बचत और परिवारिक मूल्य की अहमियत समझ में आई. आसान शब्दों में समझें तो अधिक से अधिक उपभोग करने की बजाय बचत और निवेश की ओर लोगों की गंभीरता दिखाई दी. लोन की जगह लोगों ने 'कमाओ, बचाओ और निवेश करो' की तरफ अपने को शिफ्ट किया है. यानी, महामारी हमें क्रेडिट कल्चर से सेविंग्स एंड इन्वेस्टमेंट की ओर लेकर आई है.
सीखने को मिले 5 सबक
अब बात करते हैं सीख की. निश्चित तौर पर कोरोना महामारी ने आर्थिक नजरिए से कई अहम सबक दिए हैं. जिनका हमें अनिवार्य रूप से पालन करना चाहिए. इसे हम पांच प्वाइंट में समझते हैं.
इमर्जेंसी फंड:
विश्वव्यापी आपदा ने यह साफ कर दिया कि जॉब या जीवन में किसी भी स्थिति से निपटने के लिए स्वयं को तैयार रखना चाहिए. इसके लिए सबसे जरूरी है कि हमें कम से कम 6 महीने का इमर्जेंसी फंड हमेशा अपने पास रखना चाहिए. इमर्जेंसी फंड का मतलब है कि आप उतने समय तक अपने खर्चों को बिना जॉब भी बिना किसी परेशानी के चला सके.
आय का दूसरा सोर्स:
महामारी का एक बड़ा सबक यह भी है कि हमें एक सेकंडरी सोर्स आफ इनकम को भी अनिवार्य रूप से डेवलप करना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि यदि किसी कारणवश आपकी प्राइमरी आमदनी प्रभावित हो जाती है, जो नियमित आय होती रहे.
हेल्थ इंश्योरेंस:
हॉस्पिटलाइजेशन के बढ़ते खर्चे और महामारी की स्थिति को देखते हुए अब हेल्थ इंश्योरेंस एक अनिवार्य आवश्यकता है.
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फिजूल खर्च से बचें:
महामारी के चलते लागू लॉकडाउन ने एक बात यह समझा दी कि कई ऐसे खर्चें हैं, जिनके बिना हम आराम से रह सकते हैं. मसलन बिना जरूरी खरीदारी से बचना चाहिए.
लायबिलिटी न बढ़ाएं:
एक बात गांठ बांध लेनी चाहिए कि बिना वजह लोन लेने से बचना चाहिए. कहने का मतलब कि जब तक जरूरी न हो अपनी लायबिलिटी यानी देनदारी नहीं बढ़ाएं.
(BPN फिनकैप प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर एंड सीईओ ए.के. निगम से बातचीत पर आधारित)