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Mutual Funds: बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए अच्छा विकल्प, निवेश से पहले जान लें SEBI की नई गाइडलाइंस

Mutual Funds: इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश बच्चों के भविष्य के लिए अच्छा विकल्प है.

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म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) में निवेश लंबी अवधि के वित्तीय लक्ष्यों के लिए फंड बनाने  को ध्यान में रखकर किया जाता है. इससे लंबी अवधि में दूसरे निवेश विकल्पों के मुकाबले ज्यादा रिटर्न मिलता है, हालांकि इसमें जोखिम भी होता है. बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखकर यदि म्यूचुअल फंड में निवेश का विकल्प चुनते हैं तो इक्विटी फंड्स बेहतर विकल्प साबित हो सकता है. इनमें निवेश के लिए KYC यानी नो योर कस्टमर्स की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है.

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यदि निवेशक नाबालिग है तो वह म्यूचुअल फंड में निवेश कैसे कर सकता है? अमूमन नाबालिग के नास कोई आमदनी नहीं होती है और केवाईसी की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए जरूरी दस्तावेज भी नहीं रहते हैं. इस परेशानी से बचने के लिए अधिकांश लोग अपने बच्चों के लिए म्यूचुअल फंड में निवेश अपने फोलियो से करते हैं या कम रिटर्न वाले विकल्पों जैसे चाइल्ड इंश्योरेंस, सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) आदि में निवेश करते हैं. इसी वजह से वे लक्ष्य को हासिल करने के लिए पर्याप्त फंड नहीं जुटा पाते हैं.

बहुत सारी एसेट मैनेजमेंट कंपनियां (AMCs) अपने केवाईसी प्रक्रिया को पूरा कर चुके निवेशकों को बच्चों के लिए निवेश करने का​ अवसर देती हैं. लेकिन इसके लिए कोई तय की गई गाइडलाइन मौजूद नहीं थी. इस उलझन को दूर करने और नाबालिग के नाम पर म्यूचुअल फंड में निवेश करने को आसान बनाने के लिए मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने गाइडलाइन जारी की है.

क्या है SEBI की नई गाइडलाइंस?

सेबी के मुताबिक, किसी म्यूचुअल फंड फोलियो में निवेश नाबालिग के बैंक अकाउंट या अभिभावक के साथ उसके ज्वॉइंट अकाउंट से किया जा सकता है. इसे चेक, डिमांड ड्राफ्ट या दूसरे किसी स्वीकार्य तरीके से किया जा सकता है. गाइडलाइंस के अभाव में AMCs अभिभावकों को नाबालिग निवेशकों की ओर से ट्रांजैक्शन की अनुमति देते थे. इसमें उनके बालिग हो जाने के बाद भी यह जारी रहता था.

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हालांकि, सेबी ने साफ किया है कि अभिभावक अब यह नहीं कर पाएंगे और कोई भी ट्रांजैक्शन तब तक नहीं होगा जब तक नाबालिग व्यस्क होने पर अपना स्टेटस बदल नहीं देते और केवाईसी पूरा नहीं करते. इसके साथ बैंक अकाउंट की अपडेटेड डिटेल्स और नए अकाउंट का एक कैंसल्ड चेक भी देना होगा.

इस प्रक्रिया का पालन हो, इसके लिए सेबी ने AMCs को ऐसी व्यवस्था बनाने के लिए कहा है जिसमें SIP, STP या SWP के समय नाबालिग के बालिग हो जाने पर स्टेटस बदले बिना निवेश रुक जाए. तो नई गाइडलाइंस यह सुनिश्चित करेंगी कि आप जिस नाबालिग के नाम पर निवेश शुरू कर रहे हैं , उसको इस लॉन्ग-टर्म निवेश का असल में फायदा मिले.

Story: Amitava Chakrabarty

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