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Subscribers wanting to withdraw money can also make partial withdrawals. For instance, partial withdrawal can be made of up to 50 per cent of a subscriber's EPF money, but only under certain cases.
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पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) अकाउंट में निवेश के कई फायदे हैं, जिनमें से एक जरूरत के वक्त लोन लेने की उपलब्धता भी है. जी हां, आप पीपीएफ अकाउंट पर लोन भी ले सकते हैं. इसके एवज में आपको कुछ गिरवीं नहीं देना होता और ब्याज दर भी कम रहती है. इसके अलावा लोन को चुकाना भी आसान रहता है.
PPF पर जिस साल में आपने अकाउंट खोला था, उसके खत्म होने से लेकर अगले एक साल के बाद आप कभी भी लोन ले सकते हैं. पीपीएफ अकाउंट के खुलने के साल के आखिर से लेकर अगले पांच साल के अंदर आप लोन के लिए अप्लाई कर सकते हैं. इसमें आप जिस साल में लोन अप्लाई कर रहे हैं, उसके पहले के दो साल पूरे होने के आखिर में अकाउंट में जितनी राशि है, उसका 25 फीसदी तक लोन के तौर पर लिया जा सकता है.
एक साल में एक लोन मिलेगा
अगर नाबालिग या किसी दिमाग से कमजोर व्यक्ति के नाम पर अकाउंट खोला गया है, तो अभिभावक उसकी ओर से लोन के लिये अप्लाई कर सकता है. इसके लिये उसकी ओर से अकाउंट्स ऑफिस में सर्टिफिकेट जमा करना होगा. पीपीएफ अकाउंट धारक को दोबारा लोन उससे पहले लिए लोन का ब्याज के साथ भुगतान करने पर ही मिलेगा. अगर आपने लोन की पूरी राशि का ब्याज समेत भुगतान नहीं किया है, तो नया लोन नहीं दिया जाएगा. एक पीपीएफ धारक एक साल में केवल एक लोन ही ले सकता है.
लोन का ब्याज और भुगतान
लोन की प्रिंसिपल राशि का भुगतान अकाउंट धारक को जिस महीने में लोन लिया गया है, उसके पहले दिन से 36 महीने खत्म होने तक करना है. इसका भुगतान आप एकमुश्त राशि या किश्तों में भी कर सकते हैं. प्रिंसिपल अमाउंट का पूरा भुगतान करने के बाद अकाउंट धारक को प्रिंसिपल राशि के एक फीसदी की सालाना दर पर दो मासिक किश्तों में ब्याज का भुगतान करना होगा. यह प्रिंसिपल अमाउंट जिस महीने लोन लिया है, उसके अगले महीने के पहले दिन से लेकर जिस महीने आखिरी किश्त का भुगतान हुआ, उसके आखिरी दिन तक की अवधि के दौरान रहा प्रिंसिपल अमाउंट होगा.
अगर 36 महीने की अवधि के अंदर लोन का भुगतान नहीं किया गया है या सिर्फ आंशिक तौर पर उसका भुगतान हुआ है, तो बचे हुए लोन की राशि पर सालाना छह फीसदी की दर से ब्याज लगेगा. यह छह फीसदी ब्याज जिस महीने में लोन लिया है, उसके अगले महीने के पहले दिन से लेकर जिस महीने आखिरी किश्त का भुगतान होगा, उसके आखिरी दिन तक होगा. यानी लोन 36 माह के अंदर चुकता नहीं कर पाने पर पहले जो ब्याज दर 1 फीसदी बन रही थी, वह लोन के शुरुआत से 6 फीसदी बनेगी.
बकाया लोन पर ब्याज 36 महीने की अवधि खत्म होने से पहले नहीं भुगतान करने पर हर साल के आखिर में अकाउंट धारक के खाते से ले लिया जाएगा. अगर अकाउंट धारक की मौत हो जाती है, तो उसका नॉमिनी या वैध उत्तराधिकारी उसके लोन का ब्याज का भुगतान करेगा.