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EPF Tax Rule: अगर आप नौकरीपेशा हैं और इंप्लॉई प्रोविडेंट फंड (EPF) का फायदा आपको मिल रहा है तो इस पर भी टैक्स बेनिफिट उपलब्ध है. लेकिन, इसके साथ कुछ शर्तें भी लागू हैं, जिसके चलते आप पर टैक्स देनदारी बन सकती है. इसके लिए पहले यह जानना होगा कि EPF अकाउंट किन कर्मचारियों का होता है. किसी कंपनी या संस्थान में 20 या इससे ज्यादा कर्मचारी होने पर EPF एक्ट के तहत कंपनी को कर्मचारियों का इंप्लॉई प्रोविडेंट फंड (EPF) अकाउंट खुलवाना होता है.
EPF Scheme, 1952 के अंतर्गत आने वाले हर एम्प्लॉयर को अपने हर इम्प्लॉई को EPF की सुविधा देना अनिवार्य है. फिर चाहे वह कंपनी सरकारी हो या प्राइवेट. EPF अकाउंट में कर्मचारी की ओर से हर माह बेसिक सैलरी प्लस DA का 12 फीसदी कॉन्ट्रीब्यूशन जाता है. इसी तरह एंप्लॉयर की ओर से भी हर माह 12 फीसदी का योगदान दिया जाता है.
EPF: जानें टैक्स का गणित
EPF में कर्मचारी के योगदान पर आयकर कानून के सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक का टैक्स डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है. साथ ही इस पर मिलने वाला ब्याज और निकाला जाने वाला पैसा भी टैक्स फ्री होगा. लेकिन इसमें एक शर्त जुड़ी है. वह यह कि EPF से किया जाने वाला विदड्रॉल तभी टैक्स फ्री होगा, जब इंप्लॉई ने लगातार 5 साल नौकरी करने के बाद यह निकासी की हो. अगर 5 साल की नौकरी पूरी होने से पहले ही कर्मचारी EPF अमाउंट निकालता है तो इस पर टैक्स देना होगा.
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नई टैक्स व्यवस्था में नहीं मिलेगा पूरा फायदा
बजट 2020 में घोषित की गई नई वैकल्पिक टैक्स व्यवस्था का फायदा लेने वालों को EPF में निवेश पर पूरा फायदा नहीं मिलेगा. इसकी वजह है कि इस कम दर वाले टैक्स स्लैब के साथ शर्त है कि करदाता आयकर कानून के चैप्टर VIA के तहत मिलने वाले टैक्स एग्जेंप्शन और टैक्स डिडक्शन का फायदा नहीं उठा सकते. लिहाजा EPF में योगदान पर मिलने वाला सेक्शन 80सी का टैक्स डिडक्शन उपलब्ध नहीं होगा.
हालांकि वैकल्पिक टैक्स व्यवस्था में भी EPF अकाउंट पर मिलने वाला ब्याज टैक्स फ्री होगा, बशर्ते यह 9.5 फीसदी से ज्यादा न हो. साथ ही EPF में एम्प्लॉयर की ओर से जमा रकम भी टैक्स फ्री होगी लेकिन इसके लिए राशि 7.5 लाख सालाना से कम होनी चाहिए.