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बकाया सैलरी नहीं मिली है तब भी देना होगा टैक्स, एक्सपर्ट से समझें

वर्तमान संकट से कर्मचारियों के टैक्स आउटगो पर क्या असर होगा और उन्हें वर्तमान स्थिति में कैसे काम करना चाहिए.

वर्तमान संकट से कर्मचारियों के टैक्स आउटगो पर क्या असर होगा और उन्हें वर्तमान स्थिति में कैसे काम करना चाहिए.

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बकाया सैलरी नहीं मिली है तब भी देना होगा टैक्स, एक्सपर्ट से समझें

वर्तमान संकट से कर्मचारियों के टैक्स आउटगो पर क्या असर होगा और उन्हें वर्तमान स्थिति से कैसे काम करना चाहिए.

you have to pay tax even on due salary not paid know from expert वर्तमान संकट से कर्मचारियों के टैक्स आउटगो पर क्या असर होगा और उन्हें वर्तमान स्थिति से कैसे काम करना चाहिए.

सैलरी में कटौती और नौकरी में छंटनी किसी भी वित्तीय या आर्थिक मंदी के समय में सामान्य चीज बन जाता है. और यही चीज कोरोना वायरस संकट के बीच भी देखने को मिल रही है क्योंकि इसने कारोबारों के लिए रूकावट और अनिश्चित्ता का वातावरण पैदा कर दिया है. इस महामारी ने शुरुआती दिनों में ही नौकरी खोने, सैलरी में कटौती और देरी को लेकर डर बढ़ा दिया जिससे लगभग सभी लोग परेशान हो गए खासकर वे लोग जो निजी क्षेत्र में काम करते हैं.

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बहुत से कर्मचारियों को यह समझने में परेशानी हो रही थी कि आगे चलकर वे इस संकट से कैसे प्रभावित होंगे और वह जो सैलरी घर ले जाते हैं, उस पर असर को कैसे कम कर सकते हैं. फाइनेंशियल एक्सप्रेस ऑनलाइन संजीव सिन्हा ने Deloitte India की पार्टनर Aarti Raote से बात की और उनसे उनके विचार लिए कि वर्तमान संकट से कर्मचारियों के टैक्स आउटगो पर क्या असर होगा और उन्हें वर्तमान स्थिति में कैसे काम करना चाहिए.

कोरोना वायरस महामारी की वजह से देशव्यापी लॉकडाउन से परेशान विभिन्न संस्थाओं में काम कर रहे कर्मचारी आज सैलरी में कटौती का सामना कर रहे हैं, सैलरी में देरी और बिना सैलरी के छुट्टी के साथ बड़े स्तर पर छंटनी की भी परेशानी झेल रहे हैं. आप इसे कैसे देखती हैं? इससे कर्मचारियों पर क्या असर होगा और इसके असर को कम करने के लिए उन्हें क्या करना चाहिए?

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 को महामारी घोषित किया है और स्थिति ने ऐसे वातावरण को पैदा किया है जो कारोबारों के लिए रुकावट और अनिश्चित्ता का है. कई उद्योगों जैसे एयरलाइन, रिटेल, ट्रैवल और होटल पर इसके नुकसान को देखा जा सकता है लेकिन कई दूसरों पर इसका गैर-सीधे तरीके से असर भी हुआ है.

सभी कंपनियों के लिए मुख्य प्राथमिकताओं में से एक कैश का संरक्षण करना है और निरंतरता को सुनिश्चित करना है. इससे नियोक्ताओं को कर्मचारियों के लिए सैलरी में कटौती और देरी करनी पड़ी हा. बहुत से नियोक्ता भरपाई के लिए नॉन-कैश जैसे ESOPs और लंबी अवधि के इंसेंटसिव जारी करने के बारे में सोच रहे हैं जिससे तुरंत कैश की कमी से संबंधित परेशानी को दूर किया जा सके लेकिन साथ में कर्मचारियों के साथ भी सही हो और उन्हें भविष्य में बिजनेस में सुधार आने पर फायदा मिले.

बहुत से कर्मचारियों को सैलरी के भाग के तौर पर प्रतिपूर्ति (रिम्बर्समेंट) भी मिलता है. हालांकि, क्योंकि वे बाहर नहीं जा रहे हैं, बाहर जाकर डिनर या दूसरी चीजें नहीं कर रहे हैं, वे एंटरटेनमेंट या ट्रांसपोर्ट अलाउंसेज के लिए क्लेम नहीं कर सकते हैं .या अगर ये अलाउंस दिए भी जाते हैं, तो उन्हें इन पर टैक्स का भुगतान करना पड़ सकता है. तो क्या रिम्बर्समेंट पर क्लेम नहीं करने पर व्यक्ति की टैक्स देनदारी बढ़ जाएगी. इसे टैक्स के उद्देश्यों के लिए किस तरह लिया जाएगा और कर्मचारी टैक्स आउटगो को कम करने के लिए क्या कर सकते हैं?

अलाउंसेज पर टैक्स लगता है, जब तक उन पर विशेष तौर पर छूट नहीं दी गई हो. कुछ अलाउंस जैसे वाहन से जुड़े अलाउंस को कर्मचारी द्वारा खर्च किए जाने की सीमा तक कर से छूट मिलती है. अगर अलाउंस खर्च नहीं किए जाते, तो टैक्स लगता है. वर्तमान स्थिति अप्रत्याशित है जहां कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए मजबूर होना पड़ा है और उन्हें दिए गए उद्देश्य के लिए अलाउंसेज को खर्च करना संभव नहीं है. इस स्थिति में अलाउंसेज पर टैक्स लगेगा.

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अगर सैलरी बकाया है और भुगतान नहीं की गई, तो क्या व्यक्ति को एडवांस टैक्स का भुगतान करने की जरूरत है ?

सैलरी कर्मचारियों के हाथों में बकाया या रसीद के आधार पर टैक्स योग्य होती है, जो जल्दी हो. जबकि नियोक्ता जिम्मेदार है कि वह भुगतान के समय पर टैक्स कटौती कर ले. इसलिए, जो सैलरी बकाया है, वह कर्मचारी के लिए टैक्स योग्य है, अगर उसका भुगतान नहीं भी किया गया. और क्योंकि नियोक्ता ने TDS का भुगतान नहीं किया है, तकनीकी तौर पर यह कर्मचारी की जिम्मेदारी है कि वह उस पर एडवांस टैक्स का भुगतान करे.

यह संभावना है कि नियोक्ता वित्तीय वर्ष के दौरान बाद में भुगतान कर सकता है और टैक्स की कटौती कर सकता है, जिसमें रिफंड की संभावना रहेगी. ऐसे मामले में, यह सुझाव दिया जाता है कि एडवांस टैक्स को साल के अंत तक टाल दिया जाए. अगर अंत तक TDS की कटौती नहीं होती है, तो ब्याज का भुगतान करना होगा.

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