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रिटायरमेंट में कुछ ही दिन बचे हैं तो हेल्थ इंश्योरेंस का कवर जरूर सुनिश्चित कर लें.
हेल्थ इंश्योरेंस प्लान हर किसी के पास होना चाहिए. लेकिन कई बार नौकरी करने वाले लोग ये सोचकर हेल्थ इंश्योरेंस नहीं खरीदते कि उन्हें अपनी कंपनी की तरफ से ग्रुप इंश्योरेंस स्कीम का लाभ मिल ही रहा है. मगर इस ग्रुप इंश्योरेंस का फायदा रिटायरमेंट के बाद अचानक खत्म हो जाता है. ऐसे में रिटायरमेंट से पहले निजी तौर पर हेल्थ इंश्योरेंस प्लान लेना बेहद जरूरी है. अगर आपने भी अब तक कंपनी के ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस के भरोसे अब तक अपना हेल्थ कवरेज नहीं लिया और आपका रिटायरमेंट नजदीक आ रहा है, तो आपको जल्द से जल्द हेल्थ इंश्योरेंस खरीद लेना चाहिए. लेकिन पॉलिसी खरीदने से पहले इन 5 अहम बातों पर जरूर समझ लें.
सही और पूरी जानकारी दें
हेल्थ इंश्योरेंस प्लान लेते समय अपने बारे में पूरी और सही जानकारी दें. अगर आप पहले से किसी बीमारी से जूझ रहे हैं तो उसके बारे में बताएं. अगर आप शराब या सिगरेट पीते हैं तो उसके बारे में भी जरूर बताएं. कई बार ऐसा न करने पर इंश्योरेंस कंपनी नियमों के उल्लंघन का हवाला देकर जरूरत के वक्त हेल्थ कवरेज का लाभ देने से इनकार कर सकती हैं.
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वेटिंग पीरियड पर भी ध्यान दें
60 साल की उम्र आते-आते आमतौर पर कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. नई हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी कई बार पहले से मौजूद इन बीमारियों को कवर नहीं करती या अगर करती भी है, तो वेटिंग पीरियड खत्म होने के बाद. अलग-अलग इंश्योरेंस कंपनियों के हेल्थ प्लान में ये वेटिंग पीरियड एक साल से चार साल तक होता है. वेटिंग पीरियड इस बात पर भी निर्भर है कि पहले से मौजूद बीमारी कौन सी है. ऐसे में आपको उस कंपनी का हेल्थ इंश्योरेंस प्लान लेना चाहिए, जिसमें वेटिंग पीरियड कम से कम हो.
आयुष ट्रीटमेंट का कवरेज भी चेक करें
बीमारियों के इलाज के लिए अगर आप एलोपैथिक पद्धति की बजाय आयुष के तहत आने वाले आयुर्वेदिक, होमियोपैथिक, यूनानी, सिद्धा, नेचुरोपैथी और योग जैसे विकल्पों को आजमाना पसंद करते हैं, तो हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय आपको इसका ध्यान भी रखना पड़ेगा. कुछ बीमा कंपनियां अब अपने इंश्योरेंस प्लान में आयुष के तहत आने वाली पद्धतियों को भी शामिल करती हैं. लेकिन कई बार ऐसे इलाज के लिए बीमा कंपनी सब-लिमिट रखती है. ऐसे में आपको उस कंपनी का हेल्थ इंश्योरेंस प्लान खरीदना चाहिए जिनमें आयुष ट्रीटमेंट की लिमिट सबसे ज्यादा हो.
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सही राइडर का चुनाव करें
राइडर अतरिक्त फायदे मुहैया कराते हैं. ये आपके द्वारा खरीदे गए सामान्य इंश्योरेंस प्लान के साथ जुड़े होते हैं, जिन्हें इंश्योरेंस प्लान के साथ एक्स्ट्रा प्रीमियम देकर खरीदा जा सकता है. इलाज के दौरान किसी गंभीर बीमारी का पता लगने पर क्रिटिकल इलनेस राइडर आपकी मदद सकता है. आमतौर पर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिशी में रूम रेंट (वार्ड या आईसीयू) को लेकर कुछ शर्तें जुड़ी होती हैं. अगर आप हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते समय रूम रेंट वेवर चाहते हैं, तो इसके लिए आपको अलग से पैसे देने होते हैं. इसी तरह वेटिंग पीरियड राइडर के जरिए पहले से मौजूद बीमारियों के लिए वेटिंग पीरियड को कम किया जा सकता है.
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टॉप-अप और सुपर टॉप-अप का लाभ लें
ये प्लान आपके द्वारा खरीदे गए सामान्य हेल्थ इंश्योरेंस प्लान के लिए बूस्टर डोज की तरह होते है. आपके ओरिजनल इंश्योरेंस प्लान की रकम इलाज के दौरान खत्म हो जाने के बाद टॉप-अप या सुपर टॉप-अप प्लान एक्टिव हो जाते हैं और आपके इलाज में मदद करते हैं. मेडिकल इमरजेंसी की हालत में सुपर टॉप-अप आपका बोझ कम करते हैं. अगर किसी ने पहले से कम रकम वाला इंश्योरेंस प्लान खरीदा हुआ है, तो वो बाद में टॉप-अप या सुपर टॉप-अप प्लान लेकर अपना कवरेज बढ़ा सकता है.
इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते समय पॉलिसी डाक्युमेंट को बारीकी से पढ़कर तमाम नियमों और शर्तों को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए. कोई भी कनफ्यूजन होने पर बीमा कंपनी के प्रतिनिधि या अधिकारी से विस्तृत जानकारी हासिल करनी चाहिए. पॉलिसी से जुड़े अपवादों, लिमिट्स, को-पेमेंट, डिडक्शन और अन्य पहलुओं को भी पूरी तरह समझ लेना चाहिए. हेल्थ इंश्योरेंस प्लान खरीदने के बाद भी अगर आप संतुष्ट नहीं हैं तो उसे 15 दिन के भीतर लौटाने का विकल्प रहता है. कोई इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने से पहले उसकी तुलना दूसरी कंपनियों के ऑफर्स और फायदों से जरूर करें. इन तमाम बातों का ध्यान रखने के बाद पॉलिसी खरीदेंगे तो आपको जरूरत के वक्त निराश नहीं होना पड़ेगा.
(Article by Pallavi Seth, Assistant Professor, Amity School of Insurance, Banking and Actuarial Science, Amity University)
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