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IPL 2020 Special: बिजनेस के लिए बना है आईपीएल; BCCI, फ्रेंचाइजी, खिलाड़ियों की ऐसे होती है कमाई

IPL 2020 Business Model: फटाफट क्रिकेट के सबसे लोकप्रिय टूर्नामेंट माने जाने वाले आईपीएल 2020 यानी 13वें एडीशन की शुरूआत होने में कुछ घंटे ही बचे हैं.

IPL 2020 Business Model: फटाफट क्रिकेट के सबसे लोकप्रिय टूर्नामेंट माने जाने वाले आईपीएल 2020 यानी 13वें एडीशन की शुरूआत होने में कुछ घंटे ही बचे हैं.

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Sushil Tripathi
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IPL 2020 Business Model: फटाफट क्रिकेट के सबसे लोकप्रिय टूर्नामेंट माने जाने वाले आईपीएल 2020 यानी 13वें एडीशन की शुरूआत होने में कुछ घंटे ही बचे हैं.

IPL 2020 Business Model: फटाफट क्रिकेट के सबसे लोकप्रिय टूर्नामेंट माने जाने वाले आईपीएल 2020 यानी 13वें एडीशन की शुरुआत होने में कुछ घंटे ही बचे हैं. क्रिकेट के इस रोमांच को महसूस करने के लिए दर्शकों को इस बार कुछ लंबा इंतजार करना पड़ा है. फिलहाल 13वें एडीशन की शुरूआत संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में होने जा रही है. यहां भारतीय दिग्गजों के साथ दुनियाभर के कई नामी क्रिकेटर एक मंच पर दिखेंगे. IPL की पॉपुलैरिटी की सबसे बड़ी वजह इसमें पैसा और ग्लैमर है. यहां एक टूर्नामेंट खेलकर ही खिलाड़ी करोड़पति बन जाते हैं. वहीं, BCCI और फ्रेंचाइजी टीमों की भी जमकर कमाई होती है. असल में आईपीएल को बिजनेस के लिए ही डिजाइन किया गया है.

बिजनेस मॉडल पर आधारित है टूर्नामेंट

फटाफट क्रिकेट के सबसे लोकप्रिय टूर्नामेंट माने जाने वाले आईपीएल 2020 यानी 13वें एडीशन की शुरूआत होने में 1 ही दिन बचा है. क्रिकेट के इस रोमांच को महसूस करने के लिए दर्शकों को इस बार कुछ लंबा इंतजार करना पड़ा है. फिलहाल 13वें एडीशन की शुरूआत संयुक्त अरब एमीरात (UAE) में होने जा रही है. यहां भारतीय दिग्गजों के साथ दुनियाभर के कई नामी क्रिकेटर एक मंच पर दिखेंगे. आईपीएल की पॉपुलैरिटी की सबसे बड़ी वजह इसमें पैसा और ग्लैमर है. यहां एक अूर्नामेंट खेलकर ही खिलाड़ी करोड़पति बन जाते हैं. वहीं बीसीसीआई और फ्रेंचाइजी टीमों की भी जमकर कमाई होती है. असल में आईपीएल को बिजनेस के लिए ही डिजाइन किया गया है.

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IPL में 'पैसा ही पैसा'

आईपीएल को बिजनेस के लिहाज से ही डिजाइन किया गया है. यह एक क्रिकेट टूर्नामेंट है, जिसे कमर्शियल प्रॉपर्टी के तौर पर विकसित किया गया है. टीम मालिकों के लिए ये सिर्फ क्रिकेट का गेम नहीं बल्कि बिजनेस गेम है. शायद इसलिए बाजार के एक्सपर्ट इसे आईपीएल नहीं बल्कि ‘इंडियन पैसा लीग’ भी कहते हैं. इसके जरिए कई कंपनियों को भी अपना एक्सपोजर बढ़ाने में मदद मिलती है और वे अपने विज्ञापन के बदले करोड़ों रुपये देने को तैयार रहती हैं. आईपीएल का प्रमुख बिजनेस प्लान यह है कि कॉरपोरेट्स को क्रिकेट से जोड़कर ऐसा रास्ता तैयार किया जाए, जहां से पैसा आए.

क्या हैं इनकम के सोर्स

फ्रेंचाइजी की नीलामी

ब्रॉडकॉस्‍टिंग

टाइटल और कॉरपोरेट स्पांसरशिप

प्लेयर्स की जर्सी पर विज्ञापन

टिकटों की बिक्री है।

प्राइज मनी

लोकल स्पॉन्सरशिप

क्रिकेट स्टेडियम के अंदर लगने वाले विज्ञापन

मर्चेंडाइज सेल्स

क्या है रेवेन्यू मॉडल?

एक रिपोर्ट के मुताबिक आईपीएल के जरिए जितनी भी कमाई होती है, पहले उसका 40 फीसदी हिस्सा बीसीसीआई को मिलता था, जो अब करीब 47 फीसदी के करीब हो गया है. कुल कमाई का 47 फीसदी फ्रेंचाइजी के खाते में जाता है. 6 फीसदी प्राइज मनी पर खर्च आता है. जबकि फ्रेंचाइजी द्वारा जब खिलाड़ियों पर दांव लगाया जाता है तो उनका भाव तय हो जाता है कि किस खिलाड़ी को पूरे सीजन के लिए कितना मिलेगा. नीलामी से पहले खिलाड़ी का बेस प्राइज तय होता है. फ्रेंचाइजी टीमों की ज्यादातर कमाई का सबसे बड़ा हिस्सा ब्रॉडकॉस्टिंग फीस और बीसीसीआई से केंद्रीय स्पांसरशिप से मिलने वाली रकम से होती है. कमाई का 70 फीसदी हिस्सा इसी आता है.

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BCCI की इनकम

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2018 की बैलेंसशीट के अनुसार सभी 8 फ्रेंचाइजी टीमों को 50 फीसदी रेवेन्यू शेयर करने के बाद बीसीसीआई को इससे 2000 करोड़ सालाना का लाभ हुआ था. आईपीएल के पहले सीजन 2008 में आईपीएल के जरिए बीसीसीआई की इनकम 350 करोड़ रुपए थी. 2016 में फिर से बीसीसीआई को 1200 करोड़ रुपए मिले थे. साफ है कि बीसीसीआई के लिए आईपीएल कितना बड़ा फायदे का सौदा है.

फ्रेंचाइजी टीमों की अर्निंग

एक रिपोर्ट के अनुसार इस साल कोविड 19 के साए के बाद भी फ्रेंचाइजी टीमों की अर्निंग 25 फीसदी बढ़कर 500 करोड़ के आस पास रह सकती है. इसका मतलब हुआ कि पिछले सीजन में टीमों की अर्निंग 400 करोड़ रुपये के आस पास आंकी जा सकती है.

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