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अमेरिका में वैज्ञानिक बना रहे हैं नया ऐप, कोरोना पॉजिटिव के नजदीक होने पर मिलेगा अलर्ट

यह ऐप यूजर्स की प्राइवेसी की भी सुरक्षा करेगा.

यह ऐप यूजर्स की प्राइवेसी की भी सुरक्षा करेगा.

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FE Online
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american scientists are working on coronavirus tracing app will send alert and ensure privacy

यह ऐप यूजर्स की प्राइवेसी की भी सुरक्षा करेगा.

american scientists are working on coronavirus tracing app will send alert and ensure privacy यह ऐप यूजर्स की प्राइवेसी की भी सुरक्षा करेगा.

वैज्ञानिक नए स्मार्टफोन ऐप पर काम कर रहे हैं जिससे लोग यह जान सकेंगे कि कहीं वे किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आए हैं, जो कोरोना से संक्रमित है. इसके साथ ही यह उनकी प्राइवेसी की भी सुरक्षा करेगा. इस ऐप को शोधकर्ता विकसित कर रहे हैं जिसमें अमेरिका में बोस्टन यूनिवर्सिटी के मयंक वारिया शामिल हैं. लोगों को यह सूचित करने के लिए, अगर वे किसी कोरोना से संक्रमित व्यक्ति से करीब नजदीकी में आए हैं, ऐप ब्लूटूथ इनेबल्ड सेल फोन्स का इस्तेमाल करेगा.

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शोधकर्ताओं ने कहा कि बेहतर तरीके से काम करने के लिए ऐप को ज्यादा लोगों के इस्तेमाल करने की जरूरत है, चाहे उन्हें कोविड-19 है या नहीं. उनके मुताबिक यह ऐप रैंडम ब्लूटूथ सिग्नलों को उन नजदीकी सेल फोन्स के जरिए पकड़ता और प्रसार करता है, जिन्होंने इस ऐप को इंस्टॉल किया है.

संक्रमित व्यक्ति रिपोर्ट कर सकते हैं

जो ऐप यूजर्स कोविड-19 से संक्रमित पाए गए हैं वे स्वेच्छा से और गुमनाम रुप से अपने पॉजिटिव नतीजों के बारे में रिपोर्ट कर सकते हैं. टीम के मुताबिक ऐप यूजर्स को संक्रमित व्यक्ति से नजदीकी पर अलर्ट भेजता है और फिर उन्हें स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ फॉलो अप करने का निर्देश दिया जाता है. ऐप पर अपलोड की गई सारी जानकारी की पब्लिक हेल्थ अथॉरिटी से पुष्टि की जाती है और सभी ऐप्स को यूजर्स स्वेच्छा से इंस्टॉल करें.

वारिया ने बताया कि यह ऐप किसी भी तरह की निजी जानकारी को प्रसार नहीं करता जिसमें फोन के लिए कोई विशेष आइडेंटिफायर भी शामिल है. उन्होंने कहा कि वे रैंडम नंबरों को चर्प्स कहते हैं. जो लोग कोरोना से संक्रमित हैं, वे अपनी इच्छा से इन रैंडम चर्प्स को सार्वजनिक डेटाबेस में पोस्ट कर सकते हैं.

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कोई सेंट्रल डेटाबेस का इस्तेमाल नहीं

शोधकर्ताओं ने बताया कि इस टेक्नोलॉजी से पता चलता है कि कैसे ऑटोमैटिक कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग को फोन यू फोन के आधार पर किया जा सकता है और उसके लिए किसी बिना पारदर्शिता वाले केंद्रीय डेटाबेस की जरूरत नहीं है, जिसके पास सभी लोगों की जानाकारी होती है.

उन्होंने कहा कि यह जरूरी है क्योंकि मौजूदा समय में यह बात हो रही है कि ऑटोमैटिक ट्रेसिंग के जरिए सरकारें बड़े स्तर पर अपनी आबादी की निजता का उल्लंघन कर रही हैं.

(Input: PTI)