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Apple ने अपने बग बाउंटी प्रोग्राम की घोषणा की है जिसमें 10 लाख डॉलर या उससे ज्यादा का इनाम मिलेगा. (Image: Reuters)
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दुनिया भर में साइबर सिक्योरिटी को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं. इस बीच तमाम टेक और स्मार्टफोन मेकर कंपनियां भी इन खतरों से बचने के लिये कदम उठा रही हैं. कंपनियां अपनी डिवाइसेज में लूपहोल्स पता करने के लिए बग बाउंटी प्रोग्राम का एलान करती रहती हैं. प्रोग्राम के तहत जो रिसर्चर डिवाइसेज में खामी ढूंढ निकालते हैं, उन्हें इनाम दिया जाता है और कंपनियां पता चली खामियों और संभावित खतरों को दूर करने की कोशिश करती हैं.
इसी दिशा में एप्पल (Apple) ने एक बार फिर बग बाउंटी प्रोग्राम को सभी सिक्योरिटी रिसर्चर्स के लिये खोल दिया है. इसमें एप्पल के ऑपरेटिंग सिस्टम में बड़ी खामियां ढूंढ़ने पर 10 लाख डॉलर (लगभग 7.11 करोड़ रुपये) तक का इनाम मिलेगा.
एप्पल ने यह प्रोग्राम 2016 में लॉन्च किया था और अब इसमें iOS के अलावा भी ऑपरेटिंग सिस्टम शामिल किये गए हैं. एप्पल ने अगस्त में ब्लैक हैट कॉन्फ्रेंस में एलान किया था कि वह लोगों के लिये इस प्रोग्राम को शुरू कर रही है और इसमें iCloud, iPadOS, macOS, tvOS, और watchOS शामिल होंगे. रिसर्चर्स को इसमें खामी के बारे में डिटेल जानकारी देनी होगी जिससे कंपनी इसे ठीक कर सके.
बीटा वर्जन में खोजने पर 50% बोनस
सबस ज्यादा राशि के इनाम उन रिसर्चर्स को मिलेंगे जो ऐसे बग ढूंढ़ते हैं जिससे एप्पल के कई प्लेटफॉर्म्स पर असर पड़ेगा. खासकर जिनका एप्पल के लेटेस्ट डिवाइसेज और सॉफ्टवेयर पर असर हो सकता है. बीटा वर्जन में कोई बग खोजने पर रिसर्चर को दिये गये इनाम के अलावा 50 फीसदी का बोनस भी मिलेगा.
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25 हजार डॉलर से शुरू है इनामी राशि
इनामों की बात करें तो, जो रिसर्चर के डिवाइस के लॉक स्क्रीन से जुड़ी खामी खोज लेने पर उसे 25 हजार डॉलर से 1 लाख डॉलर तक का इनाम मिलेगा. उसके अलावा अनॉथराइज्ड iCloud के एक्सेस की खामी के लिये भी 25 हजार डॉलर से 1 लाख डॉलर तक का इनाम है और लॉक्ड डिवाइस से संवेदनशील डेटा निकालने को लेकर 1 लाख डॉलर से 2.5 लाख डॉलर तक का इनाम मिलेगा.
जीरो क्लिक अटैक खोजने पर सबसे ज्यादा फायदा
रिसर्चर्स को सबसे बड़ा फायदा उन बग को खोजने पर मिलेगा जो डिवाइस पर क्लिक किए बिना हमला कर सकते हैं, इन्हें जीरो क्लिक अटैक कहा जाता है. इसमें रिर्सचर को पूरी चेन के बारे में रिपोर्ट में जानकारी देनी होगी. एप्पल का यह प्रोग्राम लोगों के लिये 2016 से खुला है लेकिन अब यह दूसरी कंपनियों के मुकाबले काफी बड़े प्रोग्राम के तौर पर उभर रहा है. एप्पल ने एलान किया है कि वह सही रिपोर्ट्स देने वाले रिसर्चर्स को सार्वजनिक तौर पर मान्यता देगा.