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अब दो साल तक रखने होंगे कॉल रिकार्ड्स, मोदी सरकार ने सुरक्षा कारणों से लिया यह बड़ा फैसला

अब कंपनियों को सभी कॉल रिकॉर्ड्स को एक साल की बजाय कम से कम दो साल तक सुरक्षित रखना होगा.

अब कंपनियों को सभी कॉल रिकॉर्ड्स को एक साल की बजाय कम से कम दो साल तक सुरक्षित रखना होगा.

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FE Online
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Citing security Centre asks phone firms to keep call records for two years

रिकॉर्ड्स को अधिक समय तक सुरक्षित रखने का फैसला जांच में लगने वाले समय के लिए लिया गया है.

अब कंपनियों को सभी कॉल रिकॉर्ड्स को एक साल की बजाय कम से कम दो साल तक सुरक्षित रखना होगा. दूरसंचार विभाग (DoT) ने यूनिफाइड लाइसेंस एग्रीमेंट में इसे लेकर संशोधन किया है. इसके तहत टेलीकॉम व इंटरनेट सर्विस उपलब्ध कराने वाली सभी कंपनियों को कॉमर्शियल व कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स को कम से कम दो साल तक सुरक्षित रखने का निर्देश दिया गया है. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक यह फैसला कई सुरक्षा एजेंसियों के आग्रह पर केंद्र सरकार ने लिया है.

इसकी अधिसूचना 21 दिसंबर की तारीख में जारी हुई है. इसके मुताबिक सभी कॉल डिटेल रिकॉर्ड, एक्सचेंज डिटेल रिकॉर्ड और आईपी डिटेल रिकॉर्ड को कम से कम दो साल तक कंपनियों को सुरक्षित रखना होगा. हालांकि स्क्रूटनी या सिक्योरिटी कारणों से सरकार के निर्देश पर इसे आगे भी सुरक्षित रखना पड़ सकता है. इसके अलावा इंटरनेट सर्विस उपलब्ध कराने वाली कंपनियों को आईपी डिटेल रिकॉर्ड के साथ-साथ इंटरनेट टेलीफोनी की डिटेल्स भी कम से कम दो साल तक मेंटेन करनी होगी.

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जांच में लगने वाले समय के चलते लिया फैसला

इन रिकॉर्ड्स को अधिक समय तक सुरक्षित रखने का फैसला जांच में लगने वाले समय के लिए लिया गया है. दूरसंचार विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह प्रक्रियागत आदेश है. कई सुरक्षा एजेंसियों ने इसे लेकर आग्रह किया था कि उन्हें एक साल के बाद भी डेटा की जरूरत पड़ती है क्योंकि अधिकतर मामलों की जांच में एक साल से अधिक का समय लग जाता है. ऐसे में सभी रिकॉर्ड सुरक्षित रखने की अनिवार्य अवधि को बढ़ाने का फैसला किया गया. वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इसे लेकर सभी सर्विस प्रोवाइडर्स से बातचीत की गई और वे सभी एक अतिरिक्त वर्ष के लिए डेटा सुरक्षित रखने के लिए सहमत हो गए.

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कंपनियों पर नहीं पड़ेगा अतिरिक्त भार

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक टेलीकॉम और इंटरनेट सर्विस उपलब्ध कराने वाली कंपनियों के सीनियर एग्जेक्यूटिव का कहना है कि पहले कम से कम 12 महीनों तक डेटा को रखने का नियम था लेकिन आमतौर पर इसे 18 महीनों तक रखा जाता था. एक टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर के एग्जेक्यूटिव ने कहा कि जब भी इन जानकारियों को नष्ट किया जाता है तो पहले उस समयावधि के अधिकारियों को सूचित किया जाता है जिस अवधि के डेटा को नष्ट किया जाना है और अगर कानूनी तरीकों से किसी डेटा को सुरक्षित रखने के अनुरोध प्राप्त होते हैं तो रख दिया जाता है और शेष डेटा को अगले 45 दिनों के भीतर नष्ट कर दिया जाता है.

एक अन्य टेलीकॉम कंपनी के एग्जेक्यूटिव ने कहा कि एक साल अतिरिक्त डेटा को रखने पर कोई अधिक खर्च नहीं बढ़ेगा क्योंकि इसे टेक्स्ट के रूप में रखा जाता है तो बहुत कम स्पेस लेता है. उन्होंने बताया कि इस डेटा में किसने किसे और कितनी अवधि तक के लिए कॉल किया, इसकी जानकारी स्टोर होती है.

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