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सीसीआई के मुताबिक ऐप डेवलपर्स के लिए बनाया गया गूगल का बिलिंग सिस्टम अनुचित और भेदभावकारी है. (Image- Bloomberg)
भारत में गूगल की दिक्कतें आने वाले दिनों में बढ़ सकती हैं. ऐप डेवलपर्स के लिए बनाया गया गूगल का बिलिंग सिस्टम अनुचित और भेदभावकारी है. भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने गूगल के खिलाफ अपनी जांच में बिलिंग सिस्टम में इस खामी को पकड़ा है. इसके आधार पर दिग्गज सर्च इंजन गूगल पर भविष्य में जुर्माना लगाया जा सकता है. सीसीआई ने इस मामले में एक महीने लंबी जांच के बाद इस तथ्य पर पहुंची है. यह जांच डेवलपर्स की शिकायत पर शुरू हुई थी.
उनका आरोप है कि गूगल ने उनसे एंड्रॉयड ऐप स्टोर्स और इसके प्रोप्रायटरी पेमेंट्स सर्विसेज का इस्तेमाल करने के लिए अनुचित तरीके से अधिक फीस वसूले. सीसीआई के मुताबिक गूगल की प्रैक्टिसेज से गूगल पे के अलावा अन्य पेमेंट ऐप पर भी असर पड़ रहा है. यूपीआई इनेबल्ड डिजिटल पेमेंट ऐप्स का मार्केट मल्टी-साइडेड है और नेटवर्क इफेक्ट्स से ऐसी स्थिति आ सकती है जब लंबे समय गूगल पे की प्रतिद्वंद्वी मार्केट से बाहर हो सकती हैं.
गूगल के खिलाफ 200 से अधिक स्टार्टअप्स ने खोला है मोर्चा
200 से अधिक स्टार्टअप फाउंडर्स ने एक साथ मिलकर गूगल के खिलाफ मोर्चा खोला और सरकार से गूगल को स्मार्टफोन ऐप पर्जेजेज पर 30 फीसदी की हैवी फीस थोपने से रोकने का आग्रह किया. सीसीआई की 14 मार्च की तारीख में रिपोर्ट में गूगल के बिलिंग सिस्टम को अनुचित और भेदभावकारी बताया गया है. गूगल आमतौर पर अधिक ऐप स्टोर पर्चेजेज और सब्सक्रिप्शन्स पर 30 फीसदी कमीशन लेता है लेकिन हालिया वर्षों में स्पॉटिफाई जैसे मीडिया प्रोवाइडर्स के लिए इसे कम कर 15 फीसदी किया. हालांकि स्पॉटिफाई भी उन कंपनियों में शुमार है जिसकी शिकायत है कि वह मोबाइल ऐप स्टोर्स पर अपने बिलिंग सिस्टम्स का इस्तेमाल नहीं कर पा रही है.
दक्षिण कोरिया में करनी पड़ी फीस में कटौती
दुनिया भर में गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट और एप्पल पर नियामकों का दबाव बढ़ा है. इन दोनों दिग्गज कंपनियों पर आरोप है कि ये डेवलपर्स को अपने पेमेंट सिस्टम का इस्तेमाल करने के लिए बाध्य करती हैं और फिर उनसे बड़ा रेवेन्यू हासिल करती है. दक्षिण कोरिया में गूगल को इस मामले में नियामकीय कार्रवाई के बाद बिलिंग सिस्टम का विकल्प उपलब्ध कराना पड़ा. गूगल को ऐप मेकर्स की फीस में 4 फीसदी की कटौती करनी पड़ी.