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एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 2019 के दौरान सिंगापुर के बाद भारत पर सबसे अधिक ‘ड्राइव-बाय डाउनलोड’ साइबर हमले देखने को मिले. सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी है. ‘ड्राइव बाय डाउनलोड’ ऐसे साइबर हमले होते हैं, जिनमें किसी असुरक्षित यूजर के किसी वेबसाइट पर जाने अथवा कोई फॉर्म भरते समय उसके कंप्यूटर में मैलिशियस कोड डाउनलोड कर दिया जाता है. बाद में उस कोड के जरिए पासवर्ड और वित्तीय जानकारियां चुरायी जाती हैं.
‘माइक्रोसॉफ्ट सिक्योरिटी एंड प्वॉइंट रिपोर्ट 2019' के अनुसार, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 2019 में इस तरह के हमले साल भर पहले यानी 2018 की तुलना में 27 फीसदी कम हुए. हालांकि इस दौरान भारत में ऐसे हमले 140 फीसदी बढ़ गये और भारत 11वें पायदान से उछलकर दूसरे स्थान पर पहुंच गया.
हमलों की संख्या क्षेत्रीय व वैश्विक औसत की तुलना में तीन गुना
रिपोर्ट में कहा गया कि साइबर अपराधियों का मुख्य जोर अभी भी वित्तीय जानकारियां व बौद्धिक संपदा चुराने पर बना हुआ है. सिंगापुर और हांगकांग जैसे वैश्विक वित्तीय केंद्रों के साथ ही भारत में ऐसे हमलों की संख्या क्षेत्रीय व वैश्विक औसत की तुलना में तीन गुना रही. माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के समूह प्रमुख एवं असिस्टेंट जनरल काउंसिल (कॉरपोरेट, बाहरी व कानूनी मामले) केशव धाकड़ ने कहा, "साइबर अपराधियों ने ड्राइव-बाय डाउनलोड तकनीक को संगठनों और अंतिम यूजर की मूल्यवान वित्तीय जानकारियां या बौद्धिक संपदा की चोरी करने में भुनाया.’’ उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय व्यावसायिक केंद्रों के समक्ष इस तरह के हमलों की सर्वाधिक संख्या का संभावित कारण यही है. साइबर सुरक्षा की व्यवस्था और वास्तविक सॉफ्टवेयर का उपयोग प्रणाली को शिकार बनने से बचाता है.
रैनसमवेयर हमलों के मामले में भी भारत दूसरा सबसे बड़ा शिकार
रिपोर्ट के अनुसार, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में मैलवेयर और रैनसमवेयर हमले औसत से अधिक हैं. साल 2019 के दौरान इस क्षेत्र में ऐसे हमले वैश्विक औसत से क्रमश: 1.6 और 1.7 गुना अधिक रहे. मैलवेयर हमलों के मामले में भारत एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सातवें स्थान पर रहा. ये हमले क्षेत्रीय औसत से 1.1 गुना अधिक रहे. इसी तरह रैनसमवेयर हमलों के मामले में भारत क्षेत्रीय औसत के दो गुना के साथ क्षेत्र में दूसरे स्थान पर रहा.