/financial-express-hindi/media/post_banners/d4syvPuO92KfBDaZrJWL.jpg)
Some parts of mobile will also move from nil rate to a moderate 2.5 per cent
देश में स्मार्टफोन इंश्योरेंस का चलन तेजी से बढ़ रहा है. एक कंसल्टिंग कंपनी RedSeer का अनुमान है कि 2025 तक स्मार्टफोन इंश्योरेंस मार्केट 29 फीसदी कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (सीएजीआर) से बढ़ते हुए 50 करोड़ डॉलर (3678 करोड़ रुपये) तक पहुंच जाएगा. कंसल्टिंग कंपनी की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कुछ वर्षों में एक्सीडेंटशन डैमेज और स्क्रीन डैमेज जैसे मामलों के इंश्योरेंस का चलन बढ़ रहा है.
ये प्रॉडक्ट्स नए स्मार्टफोन खरीदते समय ही ऑप्शनल ऐड-ऑन के तौर पर ऑफर किए जाते हैं. हालांकि ग्राहक इसे अन्य स्मार्टफोन इंश्योरेंस प्रोवाइडर्स के जरिए भी खरीद सकते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक इस समय स्मार्टफोन इंश्योरेंस मार्केट करीब 14 करोड़ डॉलर (1030 करोड़ रुपये) का है.
यह भी पढ़ें- PM-WANI से देश में आएगी Wi Fi क्रांति, हर कोई उठा सकेगा फायदा
स्मार्टफोन यूजर बेस भी बढ़कर 100 करोड़ तक
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि स्मार्टफोन यूजर्स की संख्या भी 2025 तक बढ़कर 100 करोड़ तक पहुंच जाएगी. सालाना 7.8 करोड़ नए स्मार्टफोन यूजर्स बढ़ने का अनुमान लगाया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में स्मार्टफोन इंश्योरेंस मार्केट के लिए बहुत बड़ा बाजार है क्योंकि अधिकतर स्मार्टफोन यूजर्स इंश्योरेंस कवर की जरूरत को समझते हैं और 50 फीसदी से भी अधिक इस प्लान को खरीदना चाहते हैं.
स्मार्टफोन इंश्योरेंस के प्रति जागरुक हो रहे लोग
भारत दुनिया भर में सबसे बड़ा स्मार्टफोन मार्केट बनने वाला है. ऐसे में रेडसीयर के कंसल्टिंग हेड इंडिया कंसल्टिंग अभिषेक चौहान का कहना है कि भारतीय जनरल इंश्योरेंस इंडस्ट्री के लिए स्मार्टफोन इंश्योरेंस बेहतर अवसर है. भारतीय ग्राहक इंश्योरेंस के फायदे के प्रति जागरुक हो रहे हैं. अभिषेक चौहान के मुताबिक नियामकीय हस्तक्षेप और स्पष्टता इस इंडस्ट्री की सफलता के लिए जरूरी है क्योंकि इस इंडस्ट्री के ग्रोथ के लिए ग्राहकों का हित सुरक्षित रखना सबसे अधिक जरूरी है.
भारत में स्मार्टफोन इंश्योरेंस अभी नया
भारत में जीवन, मोटर, हेल्थ समेत लगभग सभी इंश्योरेंस प्रॉडक्ट्स पर नियामकीय संस्था इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) सख्ती से नियंत्रण रखती है. IRDAI ने इंश्योरेंस इंडस्ट्री के लिए गाइडलाइंस और रेगुलेशंस को स्पष्ट तरीके से परिभाषित किया है. चौहान के मुताबिक स्मार्टफोन इंश्योरेंस अभी नई श्रेणी है और इसे अधिक स्पष्ट नियमों की जरूरत है ताकि ग्राहकों को संतुष्टि मिले. उनका कहना है कि स्मार्टफोन इंश्योरेंस प्रॉडक्ट्स उपलब्ध कराने वाली कुछ कंपनियां पूरी तरह से नियामक की निगरानी में नहीं हैं जिसके कारण ग्राहकों की शिकायतें बढ़ रही हैं और कुछ कंपनियां कारोबार छोड़ कर बाहर निकल रही हैं.
कुछ कंपनियां बिना लाइसेंस के दे रहीं इंश्योरेंस कवर
रिपोर्ट में कहा गया है कि बाजार में कुछ कंपनियां बिना लाइसेंस के ये इंश्योरेंस उपलब्ध करा रही हैं. लाइसेंसप्राप्त इंश्योरेंस कंपनियां पिछले कुछ वर्षों से बाजार में हैं, इसके बावजूद कुछ मजबूत स्मार्टफोन डिस्ट्रिब्यूशन चैनल प्लेयर्स और ओरिजिनल इक्विपमेंट मैनुफैक्चरर्स (OEMs) भी बिना लाइसेंस वाले प्लेयर्स के साथ साझेदारी किया है. इससे अंततः नुकसान ग्राहकों का ही है. चौहान का कहना है कि इस प्रकार की किसी भी गतिविधियों को रोकने के लिए नियामकीय फ्रेमवर्क तैयार किया जाना चाहिए ताकि ग्राहकों का भरोसा बना रहे.