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प्वाइजन पिल का रास्ता अपनाने के फैसले पर मस्क ने तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की लेकिन गुरुवार को उन्होंने इशारा दिया था कि वह कानूनी लड़ाई के लिए तैयार हैं.
Musk vs Twitter: दुनिया के सबसे अमीर शख्स और इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने वाली दिग्गज कंपनी टेस्ला (Tesla) के मालिक एलन मस्क (Elon Musk) माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विवटर के अधिग्रहण का ऑफर दे चुके हैं. इसके कुछ दिनों पहले उन्होंने इसमें 9.2 फीसदी हिस्सेदारी खरीदा था जो ट्विटर की सबसे बड़ी इंडिविजुअल होल्डिंग है. मस्क को ट्विटर का अधिग्रहण करने से रोकने के लिए प्वाइजन पिल (Poison Pill) का सहारा ले रही है. ये एक वित्तीय डिवाइस है जिसे कंपनियां दशकों से किसी अनचाहे खरीदारों के हाथों बिकने से रोकने के लिए इस्तेमाल करती है. आइए जानते हैं कि यह क्या होता है और इसका इस्तेमाल किस तरह से होता है?
प्वाइजन पिल का रास्ता अपनाने के फैसले पर मस्क ने तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की लेकिन गुरुवार को उन्होंने इशारा दिया था कि वह कानूनी लड़ाई के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि अगर ट्विटर का मौजूदा बोर्ड शेयरधारकों के हितों के खिलाफ कोई कदम उठाता है तो वे अपने कर्तव्यों का उल्लंघन करेंगे.
क्या करती है Poison Pill?
प्वाइजन पिल्स कई प्रकार के होते हैं लेकिन सभी को इस तरह डिजाइन किया जाता है ताकि किसी अनचाहे अधिग्रहण को रोकने के लिए कॉरपोरेट बोर्ड के पास मार्केट में ढेर सारे नए स्टॉट ला सके. इससे अधिग्रहण करना बहुत महंगा हो जाता है. प्वाइजन पिल्स का विकल्प पिछली सदी के 80 के दशक में बहुत पॉपुलर हुआ था जब पब्लिक कंपनियों को कब्जे में करने की कोशिशें होती थी. ट्विटर ने हालांकि शुक्रवार को अपने प्वाजन पिल्स के बारे में अधिक खुलासा नहीं किया जैसे कि इसमें क्या-क्या होगा लेकिन कहा है कि सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) के पास आगामी फाइलिंग में इसकी अधिक जानकारी दी जाएगी. ट्विटर की प्वाइजन पिल्स वाली योजना उस समय लागू हो जाएगी जब किसी शेयरधारक की होल्डिंग 15 फीसदी हो जाएगी, अभी मस्क की हिस्सेदारी 9.2 फीसदी ही है.
नेगोशिएशन का भी बेहतर टूल
कोई कंपनी प्वाइजन पिल्स के जरिए अनचाहे अधिग्रहण से रोकने की कोशिश करती है. हालांकि इसका इस्तेमाल नेगोशिएशन में भी किया जा सकता है जिससे बिडर्स डील को हल्का करने के लिए बाध्य हो सकते हैं. अगर बोर्ड अधिक कीमत लगाना चाहता है तो प्वाइजन पिल्स के जरिए इसे किया जा सकता है.
करना पड़ा सकता है कई मुकदमों का सामना
प्वाइजन पिल को अपनाने से कई मुकदमों का सामना करना पड़ सकता है. इसकी वजह है कि कॉरपोरेट बोर्ड और मैनेजमेंट टीम पर यह आरोप लग सकता है कि वे शेयरधारकों के बेहतर हितों के खिलाफ काम कर रहे हैं. ये मुकदमे कभी-कभी शेयरधारक की तरफ से फाइल किए जाते हैं जो सोचते हैं कि टेकओवर बेहतर है.
पिल के इस्तेमाल का कोई बेहतर उदाहरण?
प्वाइजन पिल के इस्तेमाल के बेहतर उदाहरण की बात करें तो दिग्गज सॉफ्टवेयर कंपनी ओरेकल और पीपुलसॉफ्ट के बीच की लड़ाई का जिक्र किया जा सकता है. बिजनेस सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी ओरेकल (Oracle) ने एक छोटे प्रतिद्वंद्वी पीपुलसॉफ्ट (PeopleSoft) को जून 2003 में 510 करोड़ डॉलर का ऑफर दिया था. इसके बाद दोनों ही कंपनियों के बीच करीब 18 महीने तक लड़ाई चली. पीपुलसॉफ्ट ने खुद को बचाने के लिए न सिर्फ प्वाइजन पिल का इस्तेमाल किया बल्कि एक कस्टमर एश्योरेंस प्रोग्राम भी तैयार किया.
प्वाइजन पिल के जरिए बोर्ड को ढेर सारे नए शेयर जारी करने का अधिकार मिला तो कस्टमर एश्योरेंस प्रोग्राम के जरिए ग्राहकों से वादा किया गया कि अगर दो साल के भीतर उनकी कंपनी बिकती है तो उनके सॉफ्टवेयर लाइसेंस की कीमत का पांच गुना भुगतान किया जाएगा. इससे पीपुलसॉफ्ट को खरीदने के लिए 80 करोड़ डॉलर की देनदारी भी मिलती. पीपुलसॉफ्ट को एक और मदद अमेरिकी न्याय विभाग से मिली जिसने इस टेकओवर को ब्लॉक करने के लिए एंट्रीट्रस्ट मुकदमा फाइल किया लेकिन जज ने ओरेकल के पक्ष में फैसला सुनाया. कंपनी की तमाम कोशिशों के बावजूद ओरेकल ने पीपुलसॉफ्ट को खरीद लिया लेकिन डिफेंस स्ट्रेटजी के चलते शेयरधारकों को फायदा मिला और ओरिजिनल बोली के दोगुने से अधिक 1110 करोड़ डॉलर में सौदा पूरा हो सका.
(Input: PTI)