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5जी की नीलामी में देरी हो सकती है.
5G Services: अगले दौर की स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए आज केंद्रीय कैबिनेट गाइडलाइंस को मंजूरी दे सकता है. यह नीलामी अगले साल जनवरी के अंतिम हफ्ते में शुरू हो सकती है. सूत्रों के मुताबिक अगली स्पेक्ट्रम नीलामी में संभवतया वे रेडियोवेव्स नहीं होंगे जो 5G सेवाओं के लिए आवश्यक हैं. सूत्रों के मुताबिक स्पेक्ट्रम ऑक्शन नोट कैबिनेट के पास सबमिट कर दिया गया है. इस पर कैबिनेट बुधवार की बैठक के दौरान फैसला लेगी.
5.22 लाख करोड़ के स्पेक्ट्रम नीलामी की सिफारिश
टेलीकॉम रेगुलटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने 5.22 लाख करोड़ मूल्य के स्पेक्ट्रम की नीलामी की योजना की सिफारिश की थी. हालांकि, इनमें से कुछ स्पेक्ट्रम फ्रीक्वेंसीज इस समय डिफेंस मिनिस्ट्री और डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस द्वारा प्रयोग किए जाते हैं. जियो के मुताबिक दूरसंचार विभाग के पास नीलामी के लिए 3.92 लाख करोड़ का स्पेक्ट्रम बिना किसी प्रयोग के पड़ा हुआ है.
दूरसंचार विभाग ने 300 मेगाहर्ट्ज के स्पेक्ट्रम ब्लॉक्स को 5जी सेवाओं के लिए चिन्हित किया है. हालांकि इसमें से 125 मेगाहर्ट्ज के स्पेक्ट्रम ब्लॉक्स का इस्तेमाल डिफेंस मिनिस्ट्री और डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस करती हैं और स्पेक्ट्रम के महज 175 मेगाहर्ट्ज के एयरवेव्स ही टेलीकॉम कंपनियों के उपलब्ध हैं.
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5G की नीलामी में हो सकती है देरी
ट्राई ने 3300-3600 मेगाहर्ट्ज बैंड के 5जी स्पेक्ट्रम के लिए प्रति मेगाहर्ट्ज की बेस प्राइस 492 करोड़ की सिफारिश की है. यह प्राइस पैन इंडिया बेसिस पर है. इस प्रकार किसी टेलीकॉम कंपनी के 5जी सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए 100 मेगाहर्ट्ज के 5जी स्पेक्ट्रम पर करीब 50 हजार करोड़ रुपये लगाने होंगे.
दूरसंचार विभाग ने सरकारी कंपनी एमएसटीसी को स्पेक्ट्रम ऑक्शन सॉफ्टवेयर को डिजाइन और डेवलप करने का काम सौंपा है. हालांकि रक्षा मंत्रालय और अंतरिक्ष विभाग के दावे के कारण नीलामी में देरी हो सकती है. बता दें कि सरकार ने देश में 2020 तक 5जी सेवाएं शुरू करने का लक्ष्य निर्धारित किया था.