/financial-express-hindi/media/post_banners/EGTHZTWhkYH057RUjwhE.jpg)
The platform said its multi-lingual outlook has enabled eminent personalities and government representatives to reach out to users from across the country.
आप अपने सोशल अकाउंट पर किस तरह का कंटेंट देखना चाहते हैं, अब आप इसे मैनेज कर सकते हैं. इस फीचर के लिए Koo App ने अपना एल्गोरिदम सार्वजनिक कर दिया है और ऐसा करने वाला यह पहला सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बन गया है. कू ऐप के इस कदम से यूजर्स सभी कंटेंट को मैनेज कर सकेंगे कि वे क्या देखना चाहते हैं. इस तरह से कू ऐप ने पारदर्शी और सुरक्षित मंच के रूप में खुद को एक कदम आगे बढ़ा दिया है. यह यूजर्स को यह जानने का अधिकार देता है कि वे कोई सामग्री क्यों देख रहे हैं. कू ऐप की वेबसाइट पर इन एल्गोरिदम को मार्च 2022 में ही पब्लिक कर दिया गया था.
गणित के कई नियमों का समूह है एल्गोरिदम
ये एल्गोरिदम गणित के कई नियमों का एक समूह है जो यूजर्स के व्यवहार और प्राथमिकताओं के आधार पर उनके अनुभवों को उनकी पसंद के मुताबिक और बेहतर बनाने में मदद करता है. इन एल्गोरिदम का मूल सिद्धांत है कि यूजर्स की पसंद के मुताबिक ही उनके सोशल मीडिया अकाउंट में कंटेंट दिखे. कू ऐप फीड, ट्रेंडिंग हैशटैग (#), लोगों की रिकमंडेशंस और नोटिफिकेशंस जैसे अपने चार मुख्य एल्गोरिदम के प्रमुख वैरिएबल्स की चर्चा करता है. ये चार एल्गोरिदम ही यूजर्स द्वारा देखे और इस्तेमाल किए जाने वाले कंटेंट के प्रकार को तय करते हैं.
कंपनी की प्रतिबद्धता का हिस्सा है यह पहल- सीईओ
कू ऐप के सह-संस्थापक और सीईओ अप्रमेय राधाकृष्ण के मुताबिक एल्गोरिदम जारी करना कंपनी की इस प्रतिबद्धता का हिस्सा है कि कू ऐप में कोई छिपा हुआ एजेंडा नहीं है. इसके अलावा कंपनी की सभी नीतियों को कू की वेबसाइट पर कई भाषाओं में भी समझाया गया है. राधाकृष्ण के मुताबिक कंपनी की कोशिश अपने सभी यूजर्स को लगातार बताने की है कि कू ऐप कैसे संचालित होता है और किस तरह से कंपनी भविष्य के लिए एक सुरक्षित, निष्पक्ष और विश्वसनीय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बना रही है.
कुछ समय पहले पेश किया सेल्फ-वेरिफिकेशन फीचर
कू ऐप ने हाल ही में दुनिया में पहली बार स्वैच्छिक सेल्फ-वेरिफिकेशन का फीचर सभी यूजर्स के पेश किया था. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कोई आईडी फेक है या रीयल, इसकी पहचान करना तब बहुत मुश्किल हो जाता है, जब खाता वेरिफाइड न हो. आमतौर पर वीआईपी लोगों के ही खाते वेरिफाई होते हैं लेकिन हाल ही में Koo ने अपना खाता खुद प्रमाणित करने की सुविधा दी है और यह फीचर दुनिया में सबसे पहले Koo ने दिया है. इसके लिए कोई वीआईपी होना जरूरी नहीं है, सिर्फ आपके पास कोई वैध सरकारी आई़़डी होनी चाहिए. अभी सिर्फ आधार को ही लाइव किया गया है यानी कि Koo पर अपने खाते को आधार के जरिए वेरिफाई कर सकते हैं.