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स्मार्ट सिटी के बाद अब डिजिटल सिटी बनेगा इंदौर, इस ऐप पर एक क्लिक से मिलेगी सटीक लोकेशन

इंदौर को डिजिटल सिटी बनाने के लिए ‘पता’ ऐप के सीईओ रजत जैन और स्मार्ट सिटी के सीईओ ऋषभ गुप्ता के बीच एक एमओयू साइन हुआ है

इंदौर को डिजिटल सिटी बनाने के लिए ‘पता’ ऐप के सीईओ रजत जैन और स्मार्ट सिटी के सीईओ ऋषभ गुप्ता के बीच एक एमओयू साइन हुआ है

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FE Hindi Desk
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दुनिया की पहली डिजिटल सिटी होगा इंदौर, सिर्फ एक कोड़ से मिल जाएगी आपकी सटीक लोकेशन

अभी तक आप इंदौर को सिर्फ उसकी स्वच्छता के लिए जानते होंगे, लेकिन जल्द ही आप उसे उसके डिजिटल एड्रेस की वजह से भी जानेंगे. जी आपने सही सुना डिजिटल एड्रेस. इंदौर दुनिया का पहला ऐसा शहर होगा, जहां हर व्यक्ति का अपना एक डिजिटल एड्रेस होगा. यानी अब इंदौर में किसी एड्रेस को खोजना बहुत ही आसान हो जाएगा. आप को सिर्फ व्यक्ति का कोड़ डालना होगा और आपको उसके घर की लोकेशन मिल जाएगी.  

देश को होता है हर साल 75 हजार करोड़ से ज्यादा का नुक़सान

रिपोर्ट के मुताबिक, अव्यवस्थित एड्रेसिंग सिस्टम की वजह से देश को हर साल 75 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का नुक़सान होता है. जिसे देखते हुए इंदौर के कुछ युवाओं ने एक ऐसा ऐप बनाया है, जिससे किसी भी एड्रेस को आसानी से ढूंढा जा सकता है. ‘पता’ नाम का यह मोबाइल ऐप आपके लंबे और पेचीदा एड्रेस को एक छोटे से डिजिटल एड्रेस कोड में कन्वर्ट कर देगा. ताकि जब भी कोई इस कोड़ को डाले तो उसे आपके एड्रेस की सटीक जानकारी उसे मिल जाए. इस फ्री मोबाइल ऐप का सबसे ज्यादा फायदा ई-कॉमर्स, कूरियर सर्विस, डिलिवरी करने वाले और विजिटर्स को होगा, जिन्हें एड्रेस ढूंढने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती थी. अगर आप को कोई सामान मंगवाना है तो बस आपको डिजिटल कोड बताना होगा और सामने वाले को आपके घर की सही लोकेशन मिल जाएगी. इस ऐप में वॉयस डायरेक्शन की भी सुविधा मिलेगी.

इमरजेंसी सर्विस को भी जोड़ा जाएगा

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इंदौर को डिजिटल सिटी बनाने के लिए ‘पता’ ऐप के सीईओ रजत जैन और स्मार्ट सिटी के सीईओ ऋषभ गुप्ता के बीच एक एमओयू साइन हुआ है. इस एमओयू के तहत इंदौर के सभी सरकारी विभागों, एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड, पुलिस, बिजली विभाग जैसी इमरजेंसी सर्विस के साथ ही नगर निगम की हेल्पलाइन से जोड़ा जाएगा. ताकि लोगों को जल्द से जल्द मदद पहुंचाई जा सके.

पर्यावरण व ईधन की बचत होगी

पता ऐप के आने से होम डिलिवरी करने वाली कंपनियों को तो फायदा होगी ही, साथ ही इससे पर्यावरण को भी फायदा होगा. क्योंकि पहले पता ढूंढने में डिलिवरी बॉय को बाइक से कई किलोमीटर तक बेकार में ही लंबे चक्कर लगाने पड़ते थे. जिसकी वजह से उनका समय तो बर्बाद होता ही था, साथ ही पेट्रोल की भी बर्बादी होती थी, जिससे पर्यावरण प्रदूषित होता है. पता ऐप के सीईओ रजत जैन के मुताबिक, इस ऐप से किसानों को बीज, खाद और तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी. साथ ही यह ऐप ड्रोन से डिलिवरी करने में भी अहम रोल निभाएगा. रजत जैन ने बताया कि इस ऐप को इसरो के सहयोग से तैयार किया गया है.

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