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ट्विटर का इंटरमीडियरी स्टेटस छिनने की खबर, एफआईआर भी दर्ज; जानें इस कड़े एक्शन की वजह

फिलहाल सरकार ने आधिकारिक तौर पर तो नहीं कहा है कि ट्विटर ने आईटी एक्ट के सेक्शन 79 की सुरक्षा खो दी है लेकिन गाजियाबाद पुलिस की कार्रवाई ने साफ कर दिया है कि सरकार ने इसके खिलाफ कार्रवाई का मन बना लिया है.

फिलहाल सरकार ने आधिकारिक तौर पर तो नहीं कहा है कि ट्विटर ने आईटी एक्ट के सेक्शन 79 की सुरक्षा खो दी है लेकिन गाजियाबाद पुलिस की कार्रवाई ने साफ कर दिया है कि सरकार ने इसके खिलाफ कार्रवाई का मन बना लिया है.

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ट्विटर का इंटरमीडियरी स्टेटस छिनने की खबर, एफआईआर भी दर्ज; जानें इस कड़े एक्शन की वजह

सरकार की ओर से ट्विटर इंडिया को चेतावनी देने के कुछ ही घंटों के बाद उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई

ट्विटर और सरकार के बीच विवाद अब चरम पर पहुंच गया है. आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री रविशंकर प्रसाद की ओर से ट्विटर को इंटरमीडियरी नियमों का पालन न करने पर नतीजे भुगतने की बात कहे जाने के कुछ ही घंटों बाद उसके खिलाफ एफआईआर कर दी गई. गाजियाबाद में पुलिस ने ट्विटर इंडिया (Twitter India) और दो कांग्रेस नेताओं समेत नौ लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है. बुधवार को ही रविशंकर प्रसाद ने एक के बाद एक ट्वीट करके कहा था कि ट्विटर खुद को 'अभिव्‍यक्ति की आजादी के झंडाबरदार' के रूप में पेश करता है, मगर इंटरमीडियरी गाइडलाइंस का पालन न करने का रास्‍ता चुनता है. हालांकि ट्विटर ने मंगलवार को कहा था कि उसने अंतरिम चीफ कंप्लायंस ऑफिसर (Interim Chief Compliance Officer) नियुक्त कर लिया है. वह जल्द ही इस अफसर के बारे में पूरी जानकारी सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (IT) के साथ साझा करेगा.

आईटी एक्ट के सेक्शन 79 के तहत ट्विटर को मिली सुरक्षा छिनी?

दरअसल सरकार की शिकायत है कि ट्विटर रेजिडेंशियल ग्रिवांस अफसर, नोडल अफसर और चीफ कंप्लायंस अफसर नियुक्त करने के मामले में गाइडलाइंस का पालन करने में नाकाम रहा है. इससे आईटी एक्ट 79 के तहत एक सोशल मीडिया इंटरमीडियरी के तौर पर ट्विटर को जो सुरक्षा मिली हुई है , वो खत्म हो जाएगी. इस सेक्शन में कहा गया कि किसी भी इंटरमीडियरी प्लेटफॉर्म पर किसी थर्ड पार्टी की ओर से कोई सूचना,डेटा या लिंक साझा किया जाता है तो इसके लिए वह जिम्मेदार नहीं होगा. अगर ट्विटर से सेक्शन 79 की सुरक्षा हटा ली जाती है तो उसे कंटेंट पब्लिशर मान कर उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है. फिलहाल सरकार ने आधिकारिक तौर पर तो नहीं कहा है कि ट्विटर ने आईटी एक्ट के सेक्शन 79 की सुरक्षा खो दी है लेकिन सूत्रों के हवाले से ऐसी खबरें आई हैं कि ट्विटर का इंटरमीडियरी स्टेटस छीन लिया गया है. गाजियाबाद पुलिस की कार्रवाई में ट्विटर के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने से भी कुछ ऐसा ही संकेत मिल रहा है.

महंगा पड़ा ट्विटर को सरकार का विरोध?

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25 फरवरी को सरकार ने नए आईटी नियम जारी किए थे. इसके मुताबिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए भारत में एक शिकायत अधिकारी की नियुक्ति करना जरूरी बना दिया गया. इसके मुताबिक सरकार अगर किसी भड़काऊ ट्वीट या पोस्ट के बारे में जानकारी मांगे तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को उस ट्वीट या पोस्ट के ओरिजिनेटर की जानकारी देनी होगी. इसके अलावा सरकार अगर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से किसी कंटेंट को आपत्तिजनक बताते हुए उसे हटाने को कहे तो उसे 36 घंटे के भीतर आदेश का पालन करना होगा.

ट्विटर ने इस प्रावधान को अभिव्यक्ति की आजादी पर रोक बताते हुए उसका विरोध किया था. जबकि गूगल, फेसबुक, यूट्यूब, वॉट्सऐप, इंस्टाग्राम जैसे अन्य प्लेटफॉर्म ने सरकार के नए नियमों को मान लिया था. हालांकि बाद में ट्विटर ने भी कहा था कि वह सरकार के गाइडलाइंस को फॉलो करने के लिए तैयार है और उसने एक अंतरिम कंप्लायंस अधिकारी नियुक्त कर लिया है.

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गाजियाबाद पुलिस ने ट्विटर पर क्यों की है एफआईआर?

गाजियाबाद पुलिस ने जिस मामले में ट्विटर को फेक न्यूज फैलाने का आरोपी मानते हुए एफआईआर दर्ज की है वह लोनी इलाके में अब्दुल समद नाम के एक बुजुर्ग के साथ मारपीट और अभद्रता के वायरल वीडियो से जुड़ा है. पुलिस का कहना है कि इस घटना को गलत तरीके से सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई. इसीलिए वायरल वीडियो को शेयर करने वालों के साथ ही साथ ट्विटर इंडिया के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई है. पुलिस ने इस मामले में मोहम्मद जुबैर, राना अयूब, द वायर, सलमान निजामी, मसकूर उस्मानी, शमा मोहम्मद, सबा नकवी, ट्विटर कम्यूनिकेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और ट्विटर INC के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. इसमें कहा गया है कि पुलिस की ओर से मामला साफ कर दिए जाने के बाद भी ट्विटर ने गलत ट्वीट को हटाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया.

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