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यह मॉडल क्लिनिकली डियग्नोस होने से पहले ही इसके बारे में खबर दे देगा
Twitter post will tell whether you are depressed or not: हर दिन विज्ञान में कोई न कोई नया खोज होता रहता है. टेक्नोलॉजी के मिश्रण से यह काम और आसान हो गया है. वैज्ञानिक AI और ट्विटर का उपयोग करके एंग्जायटी और डिप्रेशन की भविष्यवाणी करने वाले मॉडल बनाने पर काम कर रहे हैं. यह मॉडल क्लिनिकली डियग्नोस होने से पहले ही इसके बारे में खबर दे देगा.
3900 लोगों पर हुआ शोध
ब्राजील में साओ पाउलो विश्वविद्यालय (यूएसपी) के रिसर्चर्स की टीम ने कहा कि मॉडल के उपयोग से केवल अपने सोशल मीडिया फ्रेंड्स और फॉलोवर्स के मनोस्थिति (डिप्रेशन) की संभावना का पता लगाया जा सकता है. यह निष्कर्ष जर्नल लैंग्वेज रिसोर्सेज एंड इवैल्यूएशन में प्रकाशित हुए हैं. इस स्टडी के पहले फेज में 47 मिलियन सार्वजनिक रूप से पोस्ट किए गए पुर्तगाली टेक्स्ट और 3,900 ट्विटर यूजर्स के बीच कनेक्शन के नेटवर्क से ये जानकारी हासिल की गई. ये सारे ट्वीट कोविड-19 महामारी के दौरान इकट्ठे किए गए थे.
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डिप्रेस्ड लोग इन शब्दों का करते हैं इस्तेमाल
दूसरा फेज पर अभी कार्य चल रहा है. हालांकि इसके प्रारंभिक परिणाम सामने आने लगे हैं. न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार ये मॉडल एक न्यूरल नेटवर्क से मेल खाते हैं. शोधकर्ताओं ने पाया कि मॉडलों में BERT ने अवसाद और चिंता की भविष्यवाणी करने के मामले में सबसे अच्छा प्रदर्शन किया. उन्होंने कहा कि क्योंकि मॉडल ने वर्ड्स और सेंटेंस के सीक्वेंस का विश्लेषण किया है, इसलिए यह पता लगाना संभव था. रिसर्च में पता चला है कि अवसाद वाले लोग स्वयं से जुड़े विषयों के बारे में लिखते हैं. वह अपने वाक्यों में मृत्यु, संकट और मनोविज्ञान की बात करते हैं. इसी के आधार यह मॉडल पता लगता है कि कौन डिप्रेस्ड है और कौन नहीं.