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Cabinet Decisions: केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने भारत में डायरेक्ट टू होम (डीटीएच) सेवाएं प्रदान करने के लिए लाइसेंस प्राप्त करने से जुड़े दिशा-निर्देश में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. इसके तहत डीटीएच के लिए लाइसेंस वर्तमान के 10 वर्ष के बजाय अब 20 वर्ष की अवधि के लिए जारी किया जाएगा. लाइसेंस फीस को तिमाही आधार पर कलेक्ट किया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यह जानकारी दी.
बदलावों के तहत लाइसेंस शुल्क को जीआर के 10 फीसदी से घटाकर एजीआर के 8 फीसदी तक लाया गया है. जीआर से जीएसटी को घटाकर एजीआर की गणना की जाएगी. डीटीएच संचालकों को उनके द्वारा दिखाए जाने वाले कुल अनुमति प्राप्त प्लेटफॉर्म चैनलों की क्षमता से अधिकतम 5% के संचालन को अनुमति दी जाएगी. एक डीटीएच संचालक से प्रति पीएस चैनल के लिए 10,000 रुपये की नॉन-रिफंडेबल रजिस्ट्रेशन फीस ली जाएगी.
100 फीसदी FDI को भी इजाजत
जावड़ेकर ने कहा कि दिशानिर्देशों में बदलाव डीटीएच सेक्टर में 100 फीसदी एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) की भी इजाजत देगा. अभी इस सेक्टर में एफडीआई की लिमिट 49 फीसदी है. उन्होंने बताया कि इस बारे में टेलिकॉम रेगुलेटर ट्राई से विचार-विमर्श हो चुका है. इसकेस अलावा यह भी मंजूरी दी गई है कि स्वैच्छिक आधार पर डीटीएच संचालकों के बीच इंफ्रास्ट्रक्चर को साझा करने की इच्छा रखने वाले डीटीएच संचालकों को डीटीएच प्लेटफॉर्म और टीवी चैनलों की ट्रांसपोर्ट स्ट्रीम को साझा करने की अनुमति दी जाएगी. टीवी चैनलों के डिस्ट्रीब्यूटर्स को अपनी ग्राहक प्रबंधन प्रणाली (एसएमएस) और कंडीशनल एक्सेस सिस्टम (सीएएस) आवेदनों के लिए समान हार्डवेयर को साझा करने की अनुमति दी जाएगी.
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बनेंगे रोजगार के अवसर
डीटीएच क्षेत्र एक अत्यधिक रोजगार देने वाला क्षेत्र है. यह सीधे तौर पर डीटीएच संचालकों को रोजगार देने के साथ-साथ कॉल सेंटरों में कार्यरत कर्मियों के अलावा जमीनी स्तर पर अप्रत्यक्ष रूप से काफी बड़ी संख्या में इन्सटॉलर्स को रोजगार प्रदान करता है. दीर्घकालीन लाइसेंस अवधि और रिन्युअल पर स्पष्टता के साथ-साथ सरल एफडीआई सीमा जैसे संशोधित डीटीएच दिशा-निर्देशों से डीटीएच क्षेत्र में नए निवेशों के अलावा रोजगार अवसरों को सुनिश्चित किया जा सकेगा.