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#Trending: ट्विटर पर ‘UPI’ और ‘2000’ कर रहा है ट्रेंड, अब डिजिटल पेमेंट पर देना होगा इतना चार्ज, जाने पूरा मामला

UPI transactions: शुरुआत में फिनटेक कंपनियां यूपीआई ट्रांजैक्शन पर थोड़ा बहुत चार्ज करती थीं, लेकिन अब खबर आ रही है कि 1 अप्रैल से 2000 ट्रांजैक्शन पर 1.1 फीसदी फीस लगेगी.

UPI transactions: शुरुआत में फिनटेक कंपनियां यूपीआई ट्रांजैक्शन पर थोड़ा बहुत चार्ज करती थीं, लेकिन अब खबर आ रही है कि 1 अप्रैल से 2000 ट्रांजैक्शन पर 1.1 फीसदी फीस लगेगी.

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FE Hindi Desk
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UPI transactions in India: National Payments Corporation of India (NPCI) ने इस बात की सिफारिश की है.

Interchange Fee on UPI for transactions: भारत द्वारा देश में विकसित यूनाइटेड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) की भारी सफलता के बाद विदेशों में भी इसकी मांग बढ़ रही है. सिंगापुर की PayNow के साथ करार करने के बाद इसे UAE और इंडोनेशिया जैसे देशों में भी स्थापित करने की बात चल रही है. भारत में आज दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले यूपीआई का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है. आलम यह है कि देश की युवा पीढ़ी जेब में कैश रखना ही भूल गई है. हालांकि अब खबर आ रही है कि 1 अप्रैल 2000 रुपयेज्यादा के ट्रांजैक्शन पर 1.1 फीसदी चार्ज लगेगा. नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने इसकी सिफारिश की है. अब इस मुद्दे के बाद सोशल मीडिया पर #2000 और #UPI ट्रेंड कर रहा है. NPCI के अनुसार 1 अप्रैल से लगने वाले इंटरचेंज शुल्क Committee on Payments and Market Infrastructures और World Bank की समिति की सिफारिशों के अनुरूप है, जो यूपीआई लेनदेन के लिए 1.15 फीसदी तक के इंटरचेंज शुल्क का सुझाव देता है.

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NPCI की सिफारिश 

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नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स (PPIs) के माध्यम से किए गए 2,000 रुपये से अधिक के यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) लेनदेन पर इंटरचेंज शुल्क (Interchange Fee) की सिफारिश की है. NPCI ने 1.1 फीसदी तक के इंटरचेंज शुल्क का प्रस्ताव किया है और इस कदम का उद्देश्य बैंकों और पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए राजस्व बढ़ाना है, जो यूपीआई लेनदेन की उच्च लागत से जूझ रहे हैं. इसकी समीक्षा 30 सितंबर, 2023 तक की जाएगी.

क्या है इंटरचेंज फी?

UPI वर्तमान में भारत में सबसे पसंदीदा और सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली पेमेंट सिस्टम है जो यूजर्स को अपने मोबाइल फोन का उपयोग करके तुरंत बैंक खातों के बीच पैसे ट्रांसफर करने की अनुमति देती है. इसके अलावा एक और टर्म है पीपीआई, जो एक डिजिटल वॉलेट है जो यूजर्स को पैसे जमा करने और भुगतान करने की अनुमति देते हैं. भारत में कुछ पीपीआई हैं, जिनमें पेटीएम, फोनपे और गूगल पे शामिल हैं. एक इंटरचेंज शुल्क एक ऐसा शुल्क है जो लेनदेन को संसाधित करने के लिए एक बैंक द्वारा दूसरे बैंक से लिया जाता है. UPI लेनदेन के मामले में, इंटरचेंज शुल्क का भुगतान मर्चेंट के बैंक (भुगतान प्राप्त करने वाले व्यक्ति या व्यवसाय) द्वारा भुगतानकर्ता (भुगतान करने वाले व्यक्ति) के बैंक को किया जाता है.

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भारत में सबसे ज्यादा UPI ट्रांजैक्शन

पीयर-टू-मर्चेंट (P2M) UPI लेनदेन ने फरवरी 2023 में 119 फीसदी की वृद्धि देखी गई है, जो फरवरी 2022 के 189.58 करोड़ से 415.32 करोड़ हो गई. भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) के नवीनतम UPI डेटा से पता चला है कि ट्रांजैक्शन की वैल्यू  भी फरवरी 2022 में 1.63 लाख करोड़ रुपये से 71.1 फीसदी  बढ़कर फरवरी 2023 में 2.79 लाख करोड़ रुपये हो गया. फरवरी में 753.4 करोड़ लेनदेन के कुल यूपीआई वॉल्यूम में पी2एम लेनदेन की हिस्सेदारी 55.12 फीसदी थी. साल 2022 में दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) एक सत्र को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि भारत में डिजिटल ट्रांजेक्शन अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस की तुलना से काफी अधिक होता है. हालांकि 1 अप्रैल से लागू इंटरचेंज फी की वजह से यूजर्स चिंतित है कि कहीं आने वाले समय में छोटे ट्रांजैक्शन पर भी शुल्क कटौती तो नहीं होगी. हालांकि अभी तक फिनटेक कंपनियों या सरकार के तरफ से इसपर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. 

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