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Apple ने आरोप लगाया है कि पिछले चार वर्षों में आईफोन की तुलना में एंड्रॉयड डिवाइसेज में 15-47 गुना अधिम मालवेयर पाए गए.
डेटा सिक्योरिटी और प्राइवेसी की बात आती है तो अधिकतर लोगों का भरोसा एप्पल (Apple) पर बना हुआ है. साइबर अपराधी लगातार स्मार्टफोन पर हमले की फिराक में रहते हैं. ऐसे में इस दिग्गज कंपनी ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश है कि आईफोन (iPhone) पर किसी साइबर हमले या वायरस का असर न पड़े. एंड्रॉयड स्मार्टफोन की तुलना में आईफोन पर साइबर हमले की घटनाएं कम होती हैं. अधिकतर यूजर्स के मन में इसे लेकर सवाल उठता रहता है कि आखिर आईफोन इतना सिक्योर कैसे है. एप्पल ने इसे लेकर 28 पृष्ठों की एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें यह खुलासा किया गया है कि वह अपने यूजर्स की डेटा को किस तरीके से सुरक्षित रखती है.
'साइलोडिंग' की मंजूरी नहीं
कई स्मार्टफोन यूजर्स कुछ ऐप अगर प्ले स्टोर पर नहीं मिलते हैं तो उसे थर्ड पार्टी के जरिए इंस्टॉल करने की कोशिश करते हैं लेकिन आईफोन पर यह सफल नहीं हो पाता है. ऐसे में कंपनी पर कई बार सवाल उठे हैं कि वह आईफोन पर थर्ड पार्टी ऐप्स को डाउनलोड करने की मंजूरी क्यों नहीं देता है. थर्ड पार्टी ऐप्स को इंस्टॉल करना साइडलोडिंग कहा जाता है और एंड्रॉयड यूजर्स के लिए बहुत आम हो चुका है. एप्पल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि डायरेक्ट डाउनलोड्स और थर्ड पार्टी ऐप स्टोर्स के जरिए साइडलोडिंग को मंजूरी दी गई तो प्राइवेसी और सिक्योरिटी प्रोटेक्शन प्रभावित हो सकती है. इसे मंजूरी मिलने पर गंभीर सुरक्षा खतरे उत्पन्न हो सकते हैं.
15-47 गुना अधिक वायरस एंड्रॉयड में
अपनी रिपोर्ट में एप्पल ने आरोप लगाया है कि पिछले चार वर्षों में आईफोन की तुलना में एंड्रॉयड डिवाइसेज में 15-47 गुना अधिम मालवेयर पाए गए. आम लोगों के बीच आम धारणा बन चुकी है कि आईफोन एंड्रॉयड की तुलना में अधिक सुरक्षित है. यह सोच पूरी तरह से सही हो या न हो लेकिन कुछ हद तक जरूर सच है. इसके अलावा एप्पल आईफोन को अधिकतर साइबर सिक्योरिटी रिसर्चर्स भी अधिक सुरक्षित मानते हैं.