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Delhi Flood: यमुना में फिर से बाढ़ का खतरा, हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा गया पानी, अलर्ट जारी

Delhi Flood: दिल्ली में यमुना का जल स्तर पिछले कुछ दिनों से 205.33 मीटर के खतरे के निशान के आसपास मंडरा रहा है.

Delhi Flood: दिल्ली में यमुना का जल स्तर पिछले कुछ दिनों से 205.33 मीटर के खतरे के निशान के आसपास मंडरा रहा है.

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FE Hindi Desk
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Flooding in Ghaziabad

शनिवार को दिल्ली से सटे गाजियाबाद के बाढ़ग्रस्त इलाकों से लोग अपना सामान लेकर सुरक्षित जगह की ओर रूख करते हुए. (PTI Photo)

Delhi Flood: दिल्ली में यमुना का जल स्तर पिछले कुछ दिनों से 205.33 मीटर के खतरे के निशान के आसपास मंडरा रहा है. उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में ताजा बारिश और हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से एक बार फिर 2.9 लाख क्यूसेक पानी छोड़ने के कारण दिल्ली में बाढ़ का खतरा फिर से मंडराने लगा है. इसके अलावा भारत मौसम विज्ञान विभाग ने 25 जुलाई तक हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में भारी से बहुत भारी बारिश की भविष्यवाणी की है.

हथिनीकुंड बैराज में फ्लो रेट बढ़ा

केंद्रीय जल आयोग (CWC) के आंकड़ों से पता चलता है कि यमुना जल स्तर शुक्रवार शाम 6 बजे 205.34 मीटर से गिरकर शनिवार सुबह 9 बजे 205.29 मीटर हो गया. हालांकि कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देर रात नदी का जलस्तर फिर से खतरे के निशान को पार कर गया है. सीडब्ल्यूसी के आंकड़ों के मुताबिक, यमुनानगर स्थित हथिनीकुंड बैराज पर सुबह 9 बजे फ्लो रेट 1.47 लाख क्यूसेक थी, जो 13 जुलाई के बाद सबसे अधिक है.

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दिल्ली में फिर से हो सकती है पानी की किल्लत

अधिकारियों का कहना है कि अगर बाढ़ जैसे हालात पैदा होते हैं तो दिल्ली में फिर से पानी की किल्लत हो सकती है. गौरतलब है कि वजीराबाद में एक पंप हाउस में पानी भर जाने के कारण दिल्ली के कई हिस्सों में 4-5 दिनों से पानी की किल्लत हो रही थी. ये पंप हाउस वज़ीराबाद, चंद्रावल और ओखला जल उपचार संयंत्रों को कच्चे पानी की आपूर्ति करता है, जो शहर की आपूर्ति का लगभग 25 फीसदी है.

क्या है बाढ़ का कारण?

दिल्ली के कुछ हिस्से पिछले एक सप्ताह से अधिक समय से जलभराव और बाढ़ से जूझ रहे हैं. दिल्ली में आए बाढ़ के परिणाम विनाशकारी रहे हैं. करीब 27,000 से अधिक लोगों को उनके घरों से निकाला गया है. राज्य को बाढ़ से करोड़ो का नुकसान हुआ है. विशेषज्ञ दिल्ली में अभूतपूर्व बाढ़ के लिए नदी के बाढ़ क्षेत्र पर अतिक्रमण, थोड़े समय के भीतर अत्यधिक वर्षा और गाद जमा होने के कारण नदी के तल को ऊपर उठाने का कारण बताते हैं.

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