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Electric vs non-electric car: आइए वित्तीय नजरिये से जानते हैं कि इलेक्ट्रिक या नॉन-इलेक्ट्रिक वाहनों को खरीदने से आपको क्या फायदे और नुकसान हो सकते हैं.
Pros and Cons of Electric and non-electric car: नई कार खरीदते समय खरीदार इस चीज को लेकर परेशान रहते हैं कि इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदें या नॉन-इलेक्ट्रिक व्हीकल. यह तब और मुश्किल हो जाता है जब आपके पास दोनों तरह के वाहन खरीदने का बजट हो. हालांकि, इलेक्ट्रिक और नॉन-इलेक्ट्रिक वाहनों के बीच चयन न केवल पर्यावरण को प्रभावित करता है, बल्कि इसके कई वित्तीय पहलू भी होते हैं. आइए वित्तीय नजरिये से जानते हैं कि इलेक्ट्रिक या नॉन-इलेक्ट्रिक वाहनों को खरीदने से आपको क्या फायदे और नुकसान हो सकते हैं.
इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के फायदे
लो ऑपरेटिंग कॉस्ट: इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) अपनी फ्यूल एफिशिएंसी और कम ऑपरेटिंग कॉस्ट के लिए फेमस हैं. बिजली आम तौर पर गैसोलीन की तुलना में सस्ती होने के कारण, ईवी के मालिक ईंधन के खर्च पर प्रयाप्त पैसे बचा लेते हैं.
टैक्स इंसेंटिव और रिबेट्स: कई सरकारें इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने को बढ़ावा देने के लिए आकर्षक टैक्स इंसेंटिव और रिबेट्स देती हैं. ये वित्तीय लाभ इलेक्ट्रिक कार खरीदने की कुल लागत को काफी कम कर सकते हैं और उन्हें वित्तीय रूप से अधिक आकर्षक बना सकते हैं.
इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने के नुकसान
ज्यादा इनिशियल कॉस्ट: इलेक्ट्रिक वाहनों की शुरुआती लागत आमतौर पर नॉन-इलेक्ट्रिक वाहनों की तुलना में अधिक होती है. हालांकि टैक्स इंसेंटिव और रिबेट्स कुछ हद तक इसकी भरपाई कर सकते हैं. लेकिन इसकी शुरुआती कॉस्ट अभी भी बजट के प्रति जागरूक खरीदारों के लिए एक बाधा हो सकता है.
लिमिटेड चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर: हालांकि चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार हो रहा है, फिर भी यह कुछ क्षेत्रों में पारंपरिक गैस स्टेशनों की तुलना में इलेक्ट्रिक चार्जिंग की कमी है. यह लिमिट ईवी मालिकों के लिए लंबी यात्राओं के दौरान असुविधा पैदा कर सकती है.
नॉन-इलेक्ट्रिक कार के फायदे
लो इनिशियल कॉस्ट: नॉन-इलेक्ट्रिक वाहनों की आम तौर पर इलेक्ट्रिक वाहनों की तुलना में शुरुआती लागत कम होती है, जो उन्हें कई खरीदारों के लिए अधिक किफायती बनाती है.
बेहतर बुनियादी ढांचा: नॉन-इलेक्ट्रिक वाहनों, जैसे कि गैस स्टेशन और सर्विस सेंटर्स के लिए बुनियादी ढांचा अच्छी तरह से स्थापित है. कार मालिक कभी भी, कहीं भी तेल डलवा सकते हैं.
नॉन-इलेक्ट्रिक व्हीकल के नुकसान
ईंधन ओर कम खर्चा: ईंधन की कीमतें कई बार आसमान छूने लगती हैं और इनमें लगातार उतार-चढ़ाव होता रहता है. इसके अलावा, नॉन-इलेक्ट्रिक वाहनों में फ्यूल एफिशिएंसी कम होती है, नतीजन ईंधन की खपत बढ़ जाती है. इसके अलावा इनके रखरखाव में भी खर्चे ज्यादा आते हैं.
पर्यावरणीय प्रभाव: नॉन-इलेक्ट्रिक वाहन ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और वायु प्रदूषण में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं, जिससे भविष्य में सख्त नियम बन सकते हैं. ऐसी भी संभावना है कि अब नॉन-इलेक्ट्रिक व्हीकल पर एक्सट्रा कॉस्ट उगाए जाएं.