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Tesla's India Plan: टेस्ला के टॉप एक्जीक्यूटिव इसी हफ्ते करेंगे भारत का दौरा, PMO समेत सरकार के आला अफसरों से मुलाकात के आसार

Tesla Executives to Visit India : टेस्ला ने करीब एक साल पहले इंपोर्ट ड्यूटी काफी अधिक होने का हवाला देते हुए भारत में अपने विस्तार की योजनाओं को रोक दिया था. लेकिन ऐसा लगता है अब कंपनी भारत में अपना आधार बनाने में फिर से दिलचस्पी दिखा रही है.

Tesla Executives to Visit India : टेस्ला ने करीब एक साल पहले इंपोर्ट ड्यूटी काफी अधिक होने का हवाला देते हुए भारत में अपने विस्तार की योजनाओं को रोक दिया था. लेकिन ऐसा लगता है अब कंपनी भारत में अपना आधार बनाने में फिर से दिलचस्पी दिखा रही है.

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FE Hindi Desk
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Tesla's India Plan: चीन के शंघाई में टेस्ला फैक्टरी की पुरानी तस्वीर. भारत के लिए क्या है एलन मस्क का बिजनेस प्लान? (File Photo: REUTERS)

Tesla Executives to Visit India This Week : दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला के बड़े अधिकारी इसी हफ्ते भारत का दौरा करेंगे. खबर है कि अपनी इस यात्रा के दौरान वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय (PMO) और भारत सरकार के अन्य प्रमुख प्रतिनिधियों से मुलाकात भी करेंगे. अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसियों ब्लूमबर्ग और रॉयटर्स ने यह खबर सूत्रों के हवाले से दी है. टेस्ला के अधिकारियों की इस यात्रा का मकसद अपनी सप्लाई चेन का विस्तार भारत में करना माना जा रहा है. ट्विटर (Twitter) के सीईओ एलन मस्क (Elon Musk) की कंपनी टेस्ला चीन से बाहर डायवर्सिफाई करने की अपनी रणनीति के तहत भारत में आधार बनाने की संभावनाएं तलाश रही है. सूत्रों के मुताबिक टेस्ला के अधिकारी सरकार के वरिष्ठ अफसरों से मुलाकात के दौरान अपनी कारों के कंपोनेंट की भारत में मैन्युफैक्चरिंग की संभावनाओं पर भी विचार करेंगे.

एक साल पहले भारत में क्यों अटकी थी टेस्ला की गाड़ी?

दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कारें बनाने वाली कंपनी टेस्ला ने करीब एक साल पहले भारत में अपने कारोबार के विस्तार की प्लानिंग को यह कहते हुए रोक दिया था कि यहां इंपोर्ट ड्यूटी काफी अधिक है. कंपनी के सीईओ एलन मस्क (Elon Musk) ने उस वक्त यह बयान भी दिया था कि भारत में इंपोर्ट ड्यूटी दुनिया में सबसे अधिक है. दरअसल टेस्ला उस वक्त चाहती थी कि भारत सरकार आयात शुल्क घटाकर उसे अमेरिका और चीन में बनी अपनी कारों को इंपोर्ट करने की छूट दे. मस्क ने यह भी कहा था कि उनकी कंपनी किसी भी ऐसे लोकेशन में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट नहीं लगाएगी, जहां उसे पहले अपनी कारें बेचने और उनकी सर्विसिंग करने की इजाजत नहीं दी जाती. लेकिन भारत सरकार मस्क की इस तरह की शर्तों को मानने के लिए तैयार नहीं हुई.

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भारत सरकार ने उस वक्त यह भी साफ कर दिया था कि वो कंपनी के शंघाई प्लांट में बनी कारों के इंपोर्ट के पक्ष में नहीं है. खबरों के मुताबिक सरकार चाहती थी कि कंपनी अगर भारत में मैन्युफैक्चरिंग करने की तैयार होगी, तभी उसे इंपोर्ट ड्यूटी में छूट देने पर विचार किया जा सकता है. माना जाता है कि उस वक्त टेस्ला की भारत में विस्तार की योजना इसी मसले की वजह से अटक गई थी. लेकिन अब कंपनी एक बार फिर से भारत में अपने बिजनेस के विस्तार में दिलचस्पी दिखा रही है, जो चीन से बाहर अपना आधार बनाने की उसकी योजना का हिस्सा है.

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टेस्ला के लिए नुकसानदेह है भारतीय बाजार से दूरी

टेस्ला अगर अपने कंपोनेंट भारत में बनाने के लिए तैयार हो जाती है, तो यह भारत को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की मोदी सरकार की योजना के अनुरूप होगा. ऐसा करने पर टेस्ला कंपनी और भारत सरकार के रिश्तों में बीच पिछले साल जो उदासीनता आ गई थी, उसमें सुधार आने की उम्मीद भी की जा सकती है. हालांकि ब्लूमबर्ग के मुताबिक इस खबर के बारे में टेस्ला को भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं मिला है और न ही भारत सरकार के सड़क परिवहन और हाईवे मंत्रालय ने भी अब तक इस बारे में टिप्पणी नहीं की है. टेस्ला अपने इस एप्रोच की वजह से अब तक भारत में प्रवेश नहीं कर सकी है, जबकि दुनिया भर में उसे चुनौती देने वाली मर्सिडीज बेंज़ एजी (Mercedes-Benz AG) जैसी कंपनियां स्थानीय स्तर पर असेंबल की गई कारें बेचने की तैयारी में जुटी हुई हैं. ये कंपनियां भारत में इलेक्ट्रिक वेहिकल्स की तेजी से बढ़ती मांग का फायदा उठाने की होड़ में जुटी हुई हैं. जाहिर है, इन हालात में टेस्ला ने अगर ज्यादा दिनों तक भारत की अनदेखी की, तो वो अपना ही नुकसान करेगी.

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